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January 29, 2025

हिमाचल BJP में जल्द हो सकता है धमाका- कांग्रेस के बागियों की एंट्री से नाराज नेता करेंगे खेला

हिमाचल में हो सकती है तीसरे मोर्चे की संभावनाएं

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कांगड़ा। हिमाचल प्रदेश में BJP में आने वाले दिनों में सियासी तूफान मच सकता है। हाल ही में कांग्रेस के 6 बागी विधायक और 3 पूर्व निर्दलीय विधायकों की BJP में एंट्री के कारण BJP में भी काफी घमासान मचा हुआ है। वहीं, पूर्व मंत्री रमेश चंद धवाला ने इस सियासी हलचल का संकेत दिया है और दावा किया है कि जल्द ही भाजपा के नाराज नेताओं के साथ मिलकर एक बड़ा धमाका करेंगे। 

क्या तीसरे मोर्चे का होगा गठन

रमेश चंद धवाला ने शुक्रवार को देहरा में एक बैठक बुलाने की योजना बनाई है, जिसमें पार्टी कार्यकर्ताओं से बातचीत कर प्रदेश भ्रमण करने का निर्णय लिया जा सकता है। इस भ्रमण के दौरान वह भाजपा के नाराज और हाशिये पर चल रहे नेताओं से चर्चा करेंगे और तीसरे मोर्चे के गठन पर विचार करेंगे। सूत्रों के मुताबिक, धवाला की निगाहें पूर्व मंत्री वीरेंद्र कंवर, पूर्व मंत्री डॉ. रामलाल मारकंडा, पूर्व सांसद कृपाल परमार, बड़सर के पूर्व विधायक बलदेव शर्मा, किन्नौर के पूर्व विधायक तेजवंत नेगी और प्रवीण शर्मा जैसे नेताओं पर टिकी हुई हैं। 

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2022 के बागियों से बातचीत 

धवाला का तीसरे मोर्चे के गठन के लिए 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से बगावत करने वाले बागियों से भी संपर्क करने का विचार है। साल 2022 में भाजपा के 21 बागियों ने बगावत की थी, जिससे पार्टी को चुनावी हार का सामना करना पड़ा था। इन बागियों से चर्चा करने की योजना भी धवाला की रणनीति का हिस्सा हो सकती है।

धूमल गुट के नाराज नेताओं को जोड़ने का प्रयास

रमेश धवाला पूर्व मंत्री प्रेम कुमार धूमल गुट के नाराज नेताओं से भी संपर्क करने की योजना बना रहे हैं, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों से धूमल गुट के नेता हाशिये पर महसूस कर रहे हैं। धवाला ने इस गुट के नेताओं को एकजुट करने का दावा किया है। हालांकि, यह देखना बाकी है कि वह इस प्रयास में कितने सफल होते हैं। 

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ब्लॉक अध्यक्ष चुनाव में भी नाराजगी

हाल ही में bjp के जिला और ब्लॉक अध्यक्ष के चुनाव हुए थे, जिसमें पुराने नेताओं और उनके समर्थकों की अनदेखी की गई। इससे भी रमेश धवाला के भीतर असंतोष बढ़ा है। उनका यह असंतोष पार्टी में एक नई हलचल का कारण बन सकता है।

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तीसरे मोर्चे की संभावनाओं पर सवाल

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि हालांकि रमेश धवाला तीसरे मोर्चे का गठन करने की योजना बना रहे हैं, लेकिनप्रदेश में तीसरे मोर्चे की कोई खास संभावना नजर नहीं आती। राज्य की जनता पहले भी कई बार तीसरे मोर्चे को नकार चुकी है। 1990 में जनता दल, 1998 में हिमाचल विकास कांग्रेस और 2012 में हिमाचल लोकहित पार्टी ने ऐसे प्रयास किए थे, लेकिन इन सभी दलों का बाद में कांग्रेस और भाजपा में विलय हो गया। यहां की जनता पांच साल बाद कांग्रेस और पांच साल बाद भाजपा के बीच राजनीतिक फेरबदल को ही पसंद करती रही है।

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