शिमला। हिमाचल प्रदेश में उपचुनाव सम्पन्न होते ही कांग्रेस सरकार एक बार फिर से कर्ज लेने की तैयारी में जुट गई है। प्रदेश मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के निर्देशों के बाद वित्त विभाग ने इसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसकी अधिसूचना आज जारी कि जा सकती है। बताया गया कि राज्य सरकार अभी 500 करोड़ रुपए का लोन लेने जा रही है, जो ओपन मार्केट से लिया जाएगा।
अप्रैल से अब तक लिया 2900 करोड़ रुपए कर्ज
बता दें कि, चालू वित्त वर्ष में अप्रैल माह से अब तक सुक्खू सरकार कुल 2900 करोड़ रुपए कर्ज ले चुकी है, जो अब 500 करोड़ रुपए मिलाकर कुल कर्ज 3400 करोड़ रुपये हो जाएगा।
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चालू वित्त वर्ष में दिसंबर माह तक सरकार के पास मात्र 6000 करोड़ रुपए कर्ज लेने की लिमिट है। जिसके बाद दिसंबर से मार्च तक के लिए केंद्र सरकार की तरफ से अलग से लोन लिमिट सेंक्शन होगी।
पूर्व वित्त सचिव ने जताई चिंता
वहीं, हिमाचल सरकार में रहे पूर्व वित्त सचिव केआर भारती ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार द्वारा कर्ज लेकर खर्च चलाना अपने आप में भयावह स्थिति दर्शाता है। उन्होंने कहा कि कर्ज के ब्याज तक को चुकाने के लिए सरकार को कर्ज उठाने की नौबत आ चुकी है।
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भारती ने कहा कि दिसंबर माह तक मौजूदा सरकार के पास सेंक्शन लोन लिमिट में से कुल 2600 करोड़ रुपए कर्ज लेने की सीमा रहेगी। यदि फाइनेंस कमीशन से उदार सहायता के रूप में रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट में कोई विशेष बढ़ोतरी नहीं मिली तो सरकार के लिए आने वाला समय अत्यंत कठिन हो जाएगा।
सरकार का वित्तीय संकट हो रहा गहरा
विदित हो, प्रदेश बुरी तरह से डेब्ट ट्रैप में फंस चुका है, सेवानिवृत हो रहे कर्मचारी व पेंशनर्स भी अपने फाइनेंशियल ड्यूज के लिए हाईकोर्ट का रुख कर रहे हैं। साथ ही अदालतों द्वारा भी राज्य सरकार को निरंतर कई मामलों में एरियर व पेंशनर्स के बकाया ब्याज सहित भुगतान के लिए आदेश जारी हो रहे हैं।
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हाल ही में एक केस में सुक्खू सरकार ने जब हाईकोर्ट में खराब वित्तीय संकट का हवाला दिया तो अदालत ने कहा कि जैसे भी हो, भुगतान करना ही होगा। ऐसे में सरकार का वित्तीय संकट और गहरा हो रहा है।