#राजनीति
December 15, 2025
हिमाचल: मोदी तेरी क*ब्र खुदेगी...नारों पर भड़की भाजपा, माफी मांगे CM सुक्खू - सोनिया गांधी
भाजपा ने की इस घटनाक्रम की कड़ी निंदा
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शिमला। लोकतंत्र भले ही हमें बोलने की भरपूर आजादी देता है। मगर हमने कब कहां और क्या बोलना है यह हमारे विवेक पर निर्भर करता है। सार्वजनिक स्थानों पर लगाए जाने वाले नारे न केवल उस भीड़ की सोच दर्शाते हैं, बल्कि राजनीतिक संस्कृति पर भी असर डालते हैं। हाल ही में कांग्रेस की रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ लगाए गए आपत्तिजनक नारों को लेकर हिमाचल में भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और इसे लोकतांत्रिक मर्यादाओं के खिलाफ बताया है।
हिमाचल प्रदेश भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व शिमला से सांसद सुरेश कश्यप ने कहा कि रैली के दौरान जिस तरह की अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल किया गया, वह कांग्रेस की सोच और संस्कारों को उजागर करता है। उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री के प्रति इस तरह की भाषा न केवल अस्वीकार्य है, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों का भी अपमान है।
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कश्यप ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पर भी निशाना साधते हुए कहा कि दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित रैली में कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व मौजूद था और हिमाचल के मुख्यमंत्री व उनके विधायक भी वहां शामिल थे। इसके बावजूद इस तरह के नारे लगना या तो कांग्रेस नेतृत्व की मौन सहमति को दर्शाता है या जानबूझकर नकारात्मक राजनीति को बढ़ावा देने का संकेत देता है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के खिलाफ मृत्यु की कामना करना बेहद निंदनीय, शर्मनाक और अमानवीय है। यह कांग्रेस की हताशा और निराशा का प्रतीक है। बार-बार जनता द्वारा नकारे जाने के बाद कांग्रेस राजनीतिक स्तर को लगातार गिरा रही है, जिससे उसकी मानसिकता साफ झलकती है।
इस मुद्दे को लेकर संसद के दोनों सदनों में विरोध दर्ज कराया गया। राज्यसभा में सदन के नेता और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस नेतृत्व से माफी की मांग की, जबकि लोकसभा में केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने इसे राजनीति के पतन का उदाहरण बताया।
सुरेश कश्यप ने कहा कि भाजपा इस घटनाक्रम की कड़ी निंदा करती है और सोनिया गांधी, मुख्यमंत्री सुक्खू तथा कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से देश की जनता से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग करती है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक असहमति लोकतंत्र का हिस्सा है, लेकिन इस तरह की भाषा देश कभी स्वीकार नहीं करेगा।