#राजनीति
December 4, 2025
CM सुक्खू ने खुद कबूला- OPS का बोझ बढ़ता चला जाएगा, लंदन ट्रिप का भी दिया हिसाब
5356 कर्मचारी ले रहे ओपीएस के तहत पेंशन
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धर्मशाला। हिमाचल में कर्मचारियों को OPS बहाल करने का वादा कांग्रेस की चुनावी रणनीति का सबसे बड़ा हथियार था, लेकिन सत्ता में आते ही इसे लागू करने वाली सुक्खू सरकार अब खुद इसी फैसले के बोझ तले दबती दिख रही है। सदन में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने स्वीकार किया कि OPS बहाली से भविष्य में सरकारी खजाने पर भारी दबाव बढ़ेगा, ऐसा बयान जिसने राजनीतिक गलियारों में नई बहस छेड़ दी है।
दरअसल कांग्रेस ने 2022 के विधानसभा चुनाव में कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) देने का वादा किया था और सत्ता मिलते ही सुक्खू सरकार ने अपनी पहली ही कैबिनेट बैठक में 1.36 लाख कर्मचारियों के लिए OPS लागू कर दिया। चुनावी वादा पूरा होने पर सरकार ने इसे सामाजिक सुरक्षा और कर्मचारियों के सम्मान से जोड़कर पेश किया, लेकिन अब खुद मुख्यमंत्री सदन में खुलकर कह रहे हैं कि आने वाले समय में यह फैसला प्रदेश की वित्तीय स्थिति के लिए चुनौती बन सकता है।
विधानसभा सत्र के सातवें दिन नेता प्रतिपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री सुक्खू ने खुलासा किया कि फिलहाल 5356 कर्मचारी OPS के तहत पेंशन ले रहे हैं, लेकिन जैसे-जैसे रिटायरमेंट बढ़ेगा, सरकारी खजाने पर भार कई गुना बढ़ जाएगा।
सीएम ने कहा कि हमने यह योजना किसी राजनीतिक लाभ के लिए नहीं, कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा को ध्यान में रखकर लागू की थी, लेकिन इसका आर्थिक असर भविष्य में बढ़ेगा। सीएम सुक्खू ने सदन में यह भी बताया कि हिमाचल में ओपीएस लागू करने की एवज में केंद्र सरकार ने हिमाचल को मिलने वाला 1600 करोड़ रुपये का अतिरिक्त ऋण रोक दिया। जिससे प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर गहरा असर पड़ा।
सदन में सुलह से भाजपा विधायक विपिन सिंह परमार ने पिछले महीने सीएम के लंदन दौरे पर सवाल उठाया। जवाब में सीएम सुक्खू ने साफ कहा कि यह उनकी निजी यात्रा थी और पूरा खर्च उन्होंने स्वयं ऑनलाइन पेमेंट के जरिए किया।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने हाल ही में ABVP कार्यकर्ताओं पर हुए लाठीचार्ज का मुद्दा उठाया। उन्होंने सदन में छात्रों को मिली अनुमति का दस्तावेज पढ़कर सुनाया। सीएम ने स्पष्ट किया कि ABVP को टैक्सी स्टैंड से जोरावर स्टेडियम तक शांतिपूर्ण मार्च की अनुमति थी, लेकिन विधानसभा भवन की ओर बढ़ने की अनुमति नहीं थी। इस मुद्दे पर हंगामा करते हुए भाजपा विधायक सदन से वॉकआउट कर गए।