#राजनीति
April 7, 2025
ताशकंद में अनुराग ठाकुर की बड़ी जीत, ग्लोबल लीडर बन बढ़ाया देश का मान
जानें निर्विरोध क्यों हुआ अनुराग ठाकुर का चयन.?
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नई दिल्ली। हिमाचल के हमीरपुर से सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति के मंच पर एक नई पहचान बनाई है। ताशकंद में आयोजित इंटर पार्लियामेंटरी यूनियन (IPU) की असेंबली में उन्हें लोकतंत्र और मानवाधिकार पर स्थायी समिति के ब्यूरो का निर्विरोध सदस्य चुना गया। यह उपलब्धि न केवल उनकी व्यक्तिगत महत्ता को दर्शाती है, बल्कि भारत की वैश्विक छवि को भी उजागर करती है।
दुनिया भर के चार देशों ने आईपीयू की सीट पर दावा किया था, परंतु अनुराग ठाकुर का निर्विरोध चयन एकजुट सहमति का प्रतीक है। बैठक में सभापति द्वारा उनका नाम लिया गया और सभी सदस्य बिना किसी दुविधा के उनके पक्ष में रहे।
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लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, राज्यसभा उपसभापति हरिवंश और अन्य भारतीय सांसदों ने उन्हें बधाई दी, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि अनुराग ठाकुर की काबिलियत और नेतृत्व पर विश्व भर का भरोसा है।
IPU दुनिया भर के सांसदों का एक ऐसा मंच है जो लोकतांत्रिक सिद्धांतों और मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए समर्पित है। इसकी स्थापना 130 साल पहले हुई थी, और यह संगठन अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर सहयोग, संवाद और मित्रता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अनुराग ठाकुर का चयन, इस मंच पर भारत की प्रतिष्ठा को और भी मजबूत करता है।
ताशकंद सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि इतिहास के कई महत्वपूर्ण अध्यायों का गवाह रहा है। 10 जनवरी 1966 को, भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके एक दिन बाद शास्त्री जी की रहस्यमयी मृत्यु हुई थी। इस ऐतिहासिक नगरी में आज भारत को एक नई ऊंचाई पर देखा जाना निश्चित ही भावनाओं को छू जाता है।
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अनुराग ठाकुर की इस उपलब्धि ने न केवल भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को बल दिया है, बल्कि वैश्विक मंच पर देश की बढ़ती भूमिका का प्रतीक भी है। यह खबर देश के लिए गर्व का एक अनूठा क्षण है, जो बताता है कि भारत अब विश्व राजनीति में एक महत्वपूर्ण और सम्मानित शक्ति बन चुका है। इस तरह, ताशकंद में अनुराग ठाकुर का निर्विरोध चयन एक नई उम्मीद की किरण लेकर आया है, जिसने भारतीय राजनीति को और भी मजबूती प्रदान की है।