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May 16, 2025

सुक्खू सरकार ने धर्मशाला शिफ्ट किया तीसरा दफ्तर, शिमला के लोग नाखुश- जानें वजह

सरकारी दफ्तरों का धर्मशाला स्थानांतरण जारी

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शिमला। हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार के शासनकाल में प्रदेश की प्रशासनिक प्राथमिकताओं में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। राज्य सरकार एक के बाद एक महत्वपूर्ण सरकारी कार्यालयों को राजधानी शिमला से कांगड़ा जिला मुख्यालय धर्मशाला स्थानांतरित कर रही है। अब इस कड़ी में रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) का नाम भी जुड़ गया है। इस सब के बीच शिमला के स्थानीय लोग सरकार के इस फैसले से काफी ज्यादा नाखुश हैं।

पहले भी हुए हैं कई तबादले

इससे पहले वन विभाग के वाइल्ड लाइफ विंग को शिमला से धर्मशाला भेजा गया और फिर हिमाचल पर्यटन विकास निगम का मुख्यालय भी कांगड़ा स्थानांतरित करने का निर्णय लिया गया था।

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अब रेरा कार्यालय, जो वर्तमान में शिमला के मजीठा हाउस (छोटा शिमला) में संचालित हो रहा है, उसे भी धर्मशाला शिफ्ट करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

खाली पद और चल रही न्यायिक प्रक्रिया

गौरतलब है कि रेरा में इस समय चेयरमैन और दोनों मेंबरों के पद रिक्त हैं। कार्यभार फिलहाल हाउसिंग विभाग के सचिव के पास अतिरिक्त रूप से है। इस संस्था में नियुक्तियों से जुड़ा मामला उच्च न्यायालय में भी विचाराधीन है। इन सबके बावजूद राज्य सरकार ने इसके स्थानांतरण का निर्णय ले लिया है।

धर्मशाला में कार्यालय की तैयारी

हाउसिंग विभाग के अंडर सेक्रेटरी ने रेरा अध्यक्ष को पत्र लिखकर पूछा है कि धर्मशाला में कार्यालय के लिए कितनी जगह की आवश्यकता है, ताकि डिप्टी कमिश्नर कांगड़ा के साथ इस विषय पर आगे की औपचारिकताएं की जा सकें। यह पत्र स्थानांतरण की प्रक्रिया को औपचारिक रूप देने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।

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क्यों अहम है रेरा?

रेरा एक महत्वपूर्ण नियामक संस्था है, जो हाउसिंग और रियल एस्टेट परियोजनाओं की निगरानी और नियंत्रण का कार्य करती है। इसका गठन खरीदारों के हितों की रक्षा, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के उद्देश्य से हुआ था। हालांकि, हिमाचल प्रदेश सरकार के पास अभी तक रेरा के निर्णयों के विरुद्ध अपील के लिए कोई ट्रिब्यूनल नहीं है, जिससे प्रभावित पक्षों को न्यायिक प्रक्रिया में कठिनाई होती है।

राजनीतिक संकेत और प्रशासनिक प्रभाव

सरकारी कार्यालयों के स्थानांतरण को लेकर राजनीतिक हलकों में यह चर्चा भी तेज हो गई है कि कांगड़ा जिले को प्रशासनिक रूप से सशक्त बनाकर भविष्य की राजनीति को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है। वहीं, शिमला में बैठे कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों में इस क्रमिक बदलाव को लेकर असंतोष की भावना भी पनप रही है।

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बहरहाल, इस पूरे घटनाक्रम से साफ है कि सरकार की नीति स्पष्ट है, प्रशासनिक केंद्रितता को शिमला से हटाकर धर्मशाला की ओर स्थानांतरित करना। अब देखना होगा कि रेरा कार्यालय का स्थानांतरण कब तक औपचारिक रूप से संपन्न होता है और इसका प्रदेश की रियल एस्टेट प्रणाली पर क्या प्रभाव पड़ता है।

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