#विविध
September 2, 2025
सुक्खू सरकार का बड़ा कदम, भ्रष्टाचार में संलिप्त पंचायत प्रधान नहीं लड़ पाएंगे चुनाव; विधेयक पारित
इन पंचायत प्रधानों पर लगेगी चुनावी पाबंदी
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शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार ने पंचायत स्तर पर पारदर्शिता सुनिश्चित करने और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से एक बड़ा कदम उठाया है। विधानसभा में पंचायती राज संशोधन विधेयक, 2025 पारित किया गया है। इसके तहत अब जिन पंचायत प्रधानों व दूसरे प्रतिनिधि पर भ्रष्टाचार या वित्तीय गड़बड़ियों का आरोप साबित होगा, वे भविष्य में पंचायत चुनाव लड़ने के पात्र नहीं होंगे।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि पंचायत चुनावों में अब कड़ा नियम लागू होगा। जो प्रधान दोषी साबित होगा, उसे चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं मिलेगा। उन्होंने बताया कि यदि कोई प्रधान पंचायत में ठेकेदारी करता है या अपने परिवार के सदस्य को ठेके देता है और शिकायत मिलने पर जांच में आरोप सही पाए जाते हैं, तो ऐसे व्यक्ति को चुनाव लड़ने से हमेशा के लिए वंचित कर दिया जाएगा।
यह विधेयक बीते कल यानी सोमवार को विधानसभा के पटल पर रखा गया। उस समय पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह सदन में मौजूद नहीं थे, इसलिए उनकी अनुपस्थिति में उद्योग मंत्री हर्ष वर्धन चौहान ने यह बिल पेश किया।
सरकार का कहना है कि पंचायतें ग्रामीण विकास की रीढ़ मानी जाती हैं और यदि इन्हीं स्तरों पर भ्रष्टाचार बढ़ेगा तो योजनाओं का लाभ सही पात्रों तक नहीं पहुंच पाएगा। संशोधन के बाद पंचायत प्रतिनिधियों की जवाबदेही और अधिक तय होगी तथा सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता आएगी।
विधानसभा में विपक्ष ने भी इस बिल का समर्थन किया, हालांकि उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि केवल चुनावी रोक ही नहीं, बल्कि पंचायतों के नियमित ऑडिट और सख्त निगरानी प्रणाली पर भी काम किया जाना चाहिए, ताकि भ्रष्टाचार की संभावना जड़ से खत्म हो सके।
बहरहाल, जनता द्वारा इस फैसले को सकारात्मक नजरिए से देखा जा रहा है। लोगों का मानना है कि अब प्रधान पद का दुरुपयोग करने वालों पर कड़ी रोक लगेगी और ईमानदार प्रतिनिधियों को काम करने का बेहतर अवसर मिलेगा।