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October 22, 2025
सुक्खू सरकार का मेडिकल सिस्टम में बड़ा कदम, बदले डॉक्टरों की भर्ती नियम- जानें
सेहत के क्षेत्र में CM सुक्खू का व्यवस्था परिवर्तन
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शिमला। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली हिमाचल प्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र में एक और बड़ा कदम उठाया है। राज्य के मेडिकल कॉलेजों में सीनियर रेजिडेंट डॉक्टरों की भर्ती प्रक्रिया अब पूरी तरह से बदल दी गई है। पहले जहां हर मेडिकल कॉलेज अपने स्तर पर इंटरव्यू लेकर डॉक्टरों की नियुक्ति करता था, वहीं अब यह जिम्मेदारी अटल मेडिकल एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी को सौंपी गई है।
नई नीति के तहत अब राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों में सीनियर रेजिडेंट्स की भर्ती लिखित परीक्षा के माध्यम से होगी। यह परीक्षा अटल मेडिकल यूनिवर्सिटी आयोजित करेगी, और चयन भी यूनिवर्सिटी की मेरिट सूची के आधार पर होगा। सरकार का कहना है कि इस बदलाव से भर्ती प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनेगी तथा केवल योग्य डॉक्टरों को अवसर मिलेगा।
अब तक मेडिकल कॉलेजों में सीनियर रेजिडेंट्स की भर्ती बिना किसी लिखित परीक्षा के सिर्फ इंटरव्यू के माध्यम से होती थी। इससे कई बार चयन प्रक्रिया पर सवाल उठते रहे थे। सरकार का मानना है कि इस पुराने तरीके में पारदर्शिता की कमी थी और कभी-कभी योग्य डॉक्टरों को अवसर नहीं मिल पाता था।
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इसलिए अब अटल मेडिकल यूनिवर्सिटी को यह जिम्मेदारी देकर पूरी प्रक्रिया को एक समान और निष्पक्ष बनाया गया है। हाल ही में चमियाना के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल ने सीनियर रेजिडेंट भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन वहां पर्याप्त अभ्यर्थी नहीं पहुंचे थे। सरकार का मानना है कि केंद्रीकृत परीक्षा प्रणाली से ऐसी समस्याएं नहीं आएंगी और पूरे राज्य से योग्य डॉक्टर इसमें भाग ले सकेंगे।
सरकार ने पोस्ट ग्रेजुएट (PG) मेडिकल शिक्षा से संबंधित नियमों में भी महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। पहले यह देखा गया कि कुछ डॉक्टर बॉन्ड पीरियड यानी सेवा अवधि पूरी किए बिना ही सरकारी नौकरी छोड़ देते थे। कई डॉक्टर यह कहते हुए स्टाइपेंड (वजीफा) भी नहीं लेते थे कि वे बॉन्ड पीरियड पूरा नहीं करेंगे, ताकि बाद में सरकार उनसे वसूली न कर सके।
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अब नई पॉलिसी में साफ कर दिया गया है कि ऐसा कोई विकल्प नहीं होगा। यानी अगर कोई डॉक्टर PG कोर्स करता है तो उसे स्टाइपेंड लेना भी अनिवार्य होगा और बॉन्ड पीरियड पूरा करना भी जरूरी होगा। अगर डॉक्टर सेवा अवधि पूरी नहीं करते, तो उन्हें सरकार को बॉन्ड मनी चुकानी पड़ेगी।
स्वास्थ्य सचिव एम. सुधा देवी ने बताया कि इन दोनों नीतियों में संशोधन का मुख्य उद्देश्य राज्य के मेडिकल कॉलेजों को और मजबूत बनाना है। सरकार चाहती है कि हिमाचल के मेडिकल संस्थान न केवल शिक्षण के क्षेत्र में बल्कि रिसर्च और सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं में भी अग्रणी बनें।
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उन्होंने कहा, राज्य सरकार का लक्ष्य है कि हर मेडिकल कॉलेज में योग्य फैकल्टी और डॉक्टरों की उपलब्धता बनी रहे। नई नीति से पारदर्शिता आएगी, भर्ती की गुणवत्ता बढ़ेगी और युवाओं को समान अवसर मिलेगा।