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March 5, 2025

सुक्खू सरकार वाह! बिना गलती के अफसर का किया डिमोशन- जानें क्या है पूरा मामला

अभी 10 और अफसरों पर गिर सकती है गाज

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Himachal News

शिमला। हिमाचल प्रदेश में सुक्खू सरकार के नए कानून के चलते एक अफसर का डिमोशन हो गया है। अभी डिमोशन की राह पर 10 और अधिकारी खड़े हैं, जिनका पहले इसी सरकार ने प्रमोशन किया था। यह कमाल है सुक्खू सरकार के सरकारी कर्मचारी भर्ती एवं सेवा शर्तें संशोधन विधेयक 2024 का, जो 20 फरवरी से पूरे राज्य में लागू हो चुका है। सबसे पहले प्रदेश के शिक्षकों को इस कानून के तहत प्रमोशन और वित्तीय लाभ से वंचित किया गया और अब बारी है दूसरे विभागों की।

यह है पूरा मामला

खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग में एक खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी की डिमोशन हुई है जिसे अनुबंध अवधि में इंस्पेक्टर ग्रेड-1 से पदोन्नत कर खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी बनाया गया था। लेकिन हिमाचल प्रदेश सरकारी कर्मचारी भर्ती एवं सेवा शर्तें संशोधन विधेयक 2024 के तहत अधिकारी को मिली प्रमोशन को रद्द किया गया है। अब इस अधिकारी को इंस्पेक्टर ग्रेड-1 के पद पर ही अपनी सेवाएं देनी होंगी। इसको लेकर अतिरिक्त मुख्य सचिव खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति आरडी नजीम ने अधिसूचना जारी की है।

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कोर्ट में हारी सरकार तो बदल दिया कानून

अनुबंध से आए इंस्पेक्टरों ने अपनी वरिष्ठता को लेकर प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में मामला दायर किया था और फैसला उनके पक्ष में आया। जिस पर राज्य सरकार ने फैसले के खिलाफ प्रदेश उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी लेकिन सरकार को फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय से भी कोई राहत नहीं मिली। प्रदेश हाईकोर्ट ने ट्रिब्यूनल के फैसले को ही बरकरार रखा जिसके बाद सरकार मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची, लेकिन वहां पर सरकार के हाथ निराशा लगी। ऐसे में इस मामले पर सरकार ने हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका भी दायर की थी, जिसे भी खारिज किया गया।

सीनियरिटी और वित्तीय लाभ स्थायी नियुक्ति के बाद

हिमाचल प्रदेश सरकारी कर्मचारी भर्ती एवं सेवा शर्तें संशोधन विधेयक 2024 के मुताबिक अनुबंध से नियमित हुए कर्मचारियों को उनकी रेगुलर नियुक्ति की तारीख से ही वरिष्ठता एवं वित्तीय लाभ मिलेंगे।

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इसमें अब अनुबंध अवधि को नहीं जोड़ा जाएगा। वहीं वर्ष 2008, 2010 और 2011 में अनुबंध आधार पर नियुक्त किए गए निरीक्षकों को पांच साल की सेवा पूरी करने के बाद रेगुलर किया गया था, लेकिन 2010 में भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में बदलाव के बाद सीधी भर्ती और पदोन्नति से आने वाले कर्मियों का अनुपात 75:25 कर दिया गया। बाद में वरिष्ठता सूची को लेकर विवाद हुआ, जिसमें अनुबंध से नियमित हुए निरीक्षकों को पदोन्नति में पीछे रखा गया था।

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