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May 28, 2025
हिमाचल में हड़ताल पर बैठे हैं एंबुलेंस कर्मचारी, मरीज परेशान- जानें कब खुलेंगी सेवाएं
इमरजेंसी में नहीं मिल रही एंबुलेंस सेवा
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में आज का दिन स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण रहा। प्रदेश भर में 102 और 108 एंबुलेंस सेवाएं पूरी तरह ठप रहीं, क्योंकि 1400 से अधिक एंबुलेंस कर्मचारी मंगलवार रात 8 बजे से 24 घंटे की हड़ताल पर चले गए हैं।
इसके चलते राज्य के किसी भी हिस्से में इमरजेंसी मरीजों को एंबुलेंस नहीं मिल पा रही है, जिससे आम लोगों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। हड़ताल पर उतरे एंबुलेंस कर्मचारी आज प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों में प्रदर्शन कर रहे हैं।
राजधानी शिमला में NHM कार्यालय और सेवा प्रदाता कंपनी के मंडी जिले के धर्मपुर स्थित दफ्तर के बाहर भी कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने ऐलान किया है कि वे रात 8 बजे तक काम पर नहीं लौटेंगे। जब तक उनकी मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं होती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
हड़ताल की सबसे बड़ी वजह कर्मचारियों की तीन मुख्य मांगें हैं-
कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें 10 से 15 वर्षों की सेवा के बावजूद भी महज ₹11,300 मासिक मानदेय दिया जा रहा है, जबकि कोर्ट के आदेशानुसार उन्हें न्यूनतम वेतन मिलना चाहिए।
एंबुलेंस कर्मचारियों ने हाल ही में सीटू की अगुवाई में एक यूनियन का गठन किया है, ताकि वे अपने हक की लड़ाई एकजुट होकर लड़ सकें। यूनियन बनने के बाद ही सेवा प्रदाता कंपनी ने कुछ कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया और कुछ का मनमाना तबादला कर दिया, जिससे कर्मचारियों में रोष है।
एंबुलेंस कर्मचारी यूनियन के महासचिव बालकराम ने बताया कि कंपनी को पहले ही हड़ताल की सूचना दी जा चुकी थी, मगर इसके बावजूद उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया। इसलिए कर्मचारियों को मजबूरी में हड़ताल का रास्ता अपनाना पड़ा।
सीटू के राज्य नेता विजेंद्र मेहरा ने कहा कि एंबुलेंस सेवा प्रदाता कंपनी न सिर्फ कोर्ट के आदेशों की अवहेलना कर रही है, बल्कि कर्मचारियों के साथ मनमानी भी कर रही है। उन्होंने चेताया कि यह आंदोलन आगे और तेज होगा यदि कर्मचारियों की मांगों को नजरअंदाज किया गया।
इस हड़ताल का सबसे बड़ा असर आम जनता पर पड़ा है। आपातकालीन स्थिति में मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिए एंबुलेंस न मिल पाने के कारण कई जिलों में परिजनों को खुद निजी वाहनों का सहारा लेना पड़ा। यदि यह स्थिति लंबे समय तक बनी रही तो प्रदेश की आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह चरमरा सकती हैं। वहीं, सरकार व संबंधित विभागों की ओर से अब तक कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है, मगर संभावना जताई जा रही है कि जल्द ही इस मुद्दे पर कोई फैसला लिया जाएगा।