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June 7, 2025

संजौली कॉलेज विवाद: छात्रा बोली- अपने व्यवहार के लिए शर्मिंदा हूं, HC में मांगी बिना शर्त माफी

हाईकोर्ट ने विभाग को दिया ये आदेश

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शिमला। हिमाचल प्रदेश की राजधानी के प्रतिष्ठित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस कॉलेज, संजौली से पिछले वर्ष निष्कासित की गई एक छात्रा ने हाईकोर्ट में पेश होकर बिना शर्त माफी मांगने की बात कही है। छात्रा ने अदालत से आग्रह किया है कि कॉलेज से अपने व्यवहार के लिए वह शर्मिंदा है और भविष्य में ऐसा कोई कृत्य नहीं दोहराएगी। उसने हाईकोर्ट से यह भी अनुरोध किया कि उसका निष्कासन रद्द किया जाए ताकि उसकी पढ़ाई और भविष्य बर्बाद न हो।

 

हाईकोर्ट बोला- साल बर्बाद ना हो


हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संदीप शर्मा की एकल पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह कॉलेज प्रबंधन द्वारा पारित निष्कासन आदेश पर पुनर्विचार करते हुए एक सप्ताह के भीतर उचित दिशा-निर्देश लेकर कोर्ट में प्रस्तुत करें। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि निष्कासन आदेश पर पुनर्विचार नहीं किया गया तो इससे छात्रा की शैक्षणिक वर्ष की हानि हो सकती है, जो एक मानवाधिकार और शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन भी हो सकता है।

 

यह है पूरा मामला


पिछले शैक्षणिक सत्र (2024) में 20 सितंबर को शिमला के संजौली कॉलेज प्रशासन ने छह छात्रों को कॉलेज से निष्कासित कर दिया था। इन छात्रों पर कॉलेज में अनुशासनहीनता, हुड़दंग मचाने और शिक्षकों से दुर्व्यवहार करने का आरोप था। मामले को लेकर कॉलेज में तनाव का माहौल बन गया था। छात्र संगठनों ने कॉलेज प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी किए थे। 

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निष्कासन के बाद छात्राएं और छात्र हाईकोर्ट पहुंचे, जहां उन्होंने कॉलेज के फैसले को चुनौती दी। याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी कर छात्रों को परीक्षा में बैठने की अनुमति दी थी। अब उन्हीं छात्रों में से एक छात्रा ने कोर्ट को सूचित किया है कि वह अपने किए पर पछतावा व्यक्त करती है और भविष्य में अच्छा आचरण बनाए रखने की शपथ लेती है।

 

कोर्ट की टिप्पणी


न्यायमूर्ति संदीप शर्मा ने कहा कि कॉलेज प्रशासन को यह समझना होगा कि छात्रा का एक शैक्षणिक वर्ष दांव पर है। शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की गुंजाइश हमेशा बनी रहनी चाहिए। अगर छात्रा अपने आचरण पर पछतावा जता रही है, तो उसे एक और अवसर देना चाहिए।

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विभागीय निर्णय जल्द लें


हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और शिक्षा विभाग से इस संदर्भ में रिपोर्ट तलब करते हुए निर्देश दिया है कि कॉलेज प्रिंसिपल द्वारा जारी निष्कासन आदेश पर एक सप्ताह के भीतर पुनर्विचार कर निर्णय लिया जाए। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि शिक्षा से किसी भी छात्र को सिर्फ प्रशासनिक सख्ती के आधार पर वंचित नहीं किया जा सकता, जब तक कि वह वास्तव में सुधार के लिए तैयार हो।

 

अन्य छात्र भी पहुंचे कोर्ट


इस केस में केवल एक छात्रा नहीं, बल्कि अन्य निष्कासित छात्रों ने भी हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की हैं। आने वाले दिनों में उन याचिकाओं पर भी सुनवाई होगी। देखना होगा कि कोर्ट इन मामलों में किस तरह का रुख अपनाता है और शिक्षा विभाग व कॉलेज प्रशासन किस प्रकार की कार्रवाई करता है।

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