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September 15, 2025
हिमाचल के नालों ने मचाई तबाही- हर तरफ बाढ़ का खतरा, आने वाले दिनों और बिगड़ सकते हैं हालात
दिन-प्रतिदिन ब्यास नदी का बढ़ रहा जलस्तर
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कुल्लू। हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही बारिश ने सब कुछ बर्बाद कर दिया है। भारी बारिश के कारण कई इलाकों का नामोनिशान तक मिट गया है। राज्य की खूबसूरत कुल्लू घाटी अब हर साल प्राकृतिक आपदा का केंद्र बनती जा रही है।
घाटी के फोजल, सरवरी, कसोल, हुरला और मौहल नाले बरसात के मौसम में इस कदर उफान पर आ जाते हैं कि ब्यास नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ जाता है और मनाली से लेकर मैदानी इलाकों तक तबाही मच जाती है।
यह खुलासा हाल ही में जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण एवं सतत विकास अनुसंधान संस्थान, मौहल के अध्ययन में हुआ है। संस्थान ने 2014 से 2025 तक इन नालों पर लगातार निगरानी रखी और ब्रिटेन की कुंब्रिया यूनिवर्सिटी, दिल्ली विश्वविद्यालय और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के साथ मिलकर यह शोध किया।
अध्ययन में 1835 से लेकर 2020 तक के आंकड़े जुटाए गए। शोधकर्ताओं ने ब्रिटिश लाइब्रेरी लंदन से उस दौर की अंग्रेज अधिकारियों की डायरियां खंगालकर डाटा निकाला, जिनमें इन नालों के सर्वेक्षण और बाढ़ की घटनाओं का उल्लेख मिलता है। इसके अलावा कटराई स्थित कृषि अनुसंधान संस्थान के मौसम स्टेशन से भी आंकड़े लिए गए।
अध्ययन से साफ हुआ कि 1990 से 2020 के बीच इन नालों में बाढ़ आने की घटनाएं 68% बढ़ गई हैं। वर्ष 1846 से 2020 के बीच कुल्लू में 128 बार बाढ़ आई, जिसने घाटी को बार-बार झकझोरा। इनमें से अधिकांश घटनाएं ग्रीष्मकालीन मानसून (जून से सितंबर) में हुईं।
पिछले तीन सालों में इन नालों ने लगातार तबाही मचाई है-
अध्ययन रिपोर्ट में साफ चेतावनी दी गई है कि अगर इन नालों का तटीकरण (चैनलाइजेशन) समय रहते नहीं किया गया तो आने वाले सालों में तबाही और बढ़ेगी। संस्थान ने दो अहम सुझाव दिए हैं। जैसै कि-
इसके अलावा लोगों को भी इन नालों के पास न बसने और न खेती करने की सलाह दी गई है। संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. केसर चंद के अनुसार, भविष्य में मनाली क्षेत्र के अलेऊ, हरिपुर, मनालसु, बड़ाग्रां और खाकी नालों पर भी अध्ययन किया जाएगा, क्योंकि ये नाले भी बरसात में भारी तबाही मचा रहे हैं।