मंडी। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के बेटे राकेश कुमार को उनके पैतृक गांव में पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। गांव के ही श्मशान घाट में उनका अंतिम संस्कार किया गया। शहीद पति राकेश कुमार को अंतिम विदाई देने से पहले पत्नी भानूप्रिया ने तीन बार जोर से जयहिंद का नारा लगाया।
माथा चूम पत्नी ने किया विदा
अंतिम यात्रा से पहले पत्नी ने पति का माथा चूमा और बेटी यशस्वी ने मां के साथ पिता राकेश कुमार के पार्थिव शरीर को कंधा दिया। राकेश कुमार के ताबूत को देखकर परिवार के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे।
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हर ओर मची चीख-पुकार
तिरंगे में लिपटे राकेश को देखकर उनकी मां और पत्नी बेसुध हो गए थे। परिवार की बेबसी देखकर हर ओर चीख-पुकार मची हुई है। मौके पर सैकड़ों लोग पहुंचे हैं।
आपको बता दें कि राकेश कुमार की पार्थिव देह बीती शाम को जम्मू से हेलिकॉप्टर में मंडी के कंगनीधार हेलिपैड पर लाया गया था। यहां से पार्थिव शरीर को नेरचौक मेडिकल कॉलेज में रखा गया था। आज सुबह पार्थीव देह को करीब एक घंटा उनेक घर पर रखा गया। पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचा तो मानों चिख-पुकार से धरती का सीना भी फट गया हो।
आतंकी मुठभेड़ में हुए शहीद
राकेश कुमार भारतीय सेना की 2-पैरा SF (स्पेशल फोर्स) में नायब सूबेदार (JCO) के पद पर तैनात थे। राकेश कुमार रविवार को जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में हुई आतंकियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए हैं। 42 वर्षीय जवान की शहादत के बाद से पूरे जिल में शोक की लहर है।
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हफ्ता पहले ही ज्वाइन की थी ड्यूटी
बताया जा रहा है कि राकेश कुमार दिवाली पर घर आए हुए थे। अभी एक हफ्ता पहले ही राकेश वापस ड्यूटी पर लौटे थे। राकेश कुमार की शहादत के बाद से उनके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। घर पर रिश्तेदारों और आस-पड़ोस के लोग परिवार को ढांढस बांधने पहुंच रहे हैं।
मां और पत्नी हुए बेसुध
राकेश अपने पीछे 90 वर्षीय बूढ़ी मां, पत्नी और दो बच्चे छोड़ गए हैं। राकेश की बेटी यशस्वी 14 साल की है और बेटे प्रणय की उम्र महज 9 साल है। राकेश की शहादत के बाद उनकी मां और पत्नी बेसुध हो गए हैं।
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23 साल से सेना में दे रहे थे सेवाएं
राकेश कुमार मंडी जिले के ब्लह उपमंडल स्थित बरनोग गांव के रहने वाले थे। राकेश साल 2001 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। राकेश कुमार ने 42 साल की उम्र में शहादत पाई है। वर्तमान में राकेश J&K के किश्तवाड़ जिले के केशवान इलाके में अपनी सेवाएं दे रहे थे।
आतंकियों से मुठभेड़ में लगी लोग
बताया जा रहा है कि रविवार को केशवान इलाके के गिदरी जंगलों में सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ हो गई। यहीं आतंकियों से लोहा लेते हुए नायब सूबेदार राकेश कुमार शहीद हो गए।
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मिलनसार स्वभाव के थे राकेश
राकेश की शहादत के बाद से हर आंख नम है और पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि राकेश का स्वभाव काफी मिलनसार था और वो हमेशा सामाजिक गतिविधियों में शामिल रहते थे।
घर बनाने का सपना रह गया अधूरा
लोगों ने बताया कि साल 2023 की आपदा में राकेश कुमार का घर ढह गया था। वर्तमान में राकेश का परिवार किराए के पुराने स्लेटपोश घर में रहकर गुजर बसर कर रहा है। राकेश अभी जब छुट्टी पर घर आए हुए थे तो वो जनवरी में नए मकान का निर्माण कार्य शुरू करवाने का वादा करके गए थे। मगर उन्हें क्या पता था कि अब वो कभी वापस घर नहीं आएंगे। राकेश का नया घर बनाने का सपना अधूरा ही रह गया।