#विविध
January 21, 2025
हिमाचल के लिए 6 बार खेला नेशनल, अब मोमोज-चाउमिन बेचकर चला रही परिवार
नहीं मिली नौकरी तो खोली फास्ट फूड की दुकान
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सिरमौर। कहते हैं नींद ना मांगे बिस्तर, भूख ना मांगे मास। ये शब्द नाहन की एक बेटी के जीवन को बखूबी चरितार्थ करते हैं। दरअसल, बास्केटबॉल में छह बार की नेशनल खिलाड़ी रह चुकी इंद्रा को रोजी-रोटी के लिए खूब संघर्ष करना पड़ रहा है। परिवार को पालने के लिए इंद्रा को मोमोज और चाउमिन बेच कर गुजारा करना पड़ा रहा है।
आपको बता दें कि इंद्रा ने 11 साल की उम्र में बास्केटबॉल में हिमाचल की ओर से अपना पहला नेशनल खेला था। उसने खेल में भविष्य बनाने की सोची थी, लेकिन उसे कुछ हासिल नहीं हुआ। इंद्रा ने बताया कि उसको बचपन से ही बास्केटबॉल खेलने का शौक था। उसने अपने शौक को पूरा भी किया। इंद्रा ने दस बार राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में हिस्सा लिया।
इंद्रा छह बार नेशनल खेल चुकी है। जिसमें-
इंद्रा का कहना है कि उसे उम्मीद थी कि नेशनल खेलने पर उसे सरकारी नौकरी मिल जाएगी। मगर नेशनल खेलने का कोई फायदा नहीं हुआ। उसे कोई नौकरी नहीं मिली और इसी बीच उसकी शादी हो गई।
इंद्रा ने बताया कि उसकी दो बेटियां और एक बेटा है। महंगाई के इस दौर में घर चलाने में काफी परेशानी आ रही है। वहीं, नौकरी का भी कुछ जुगाड़ नहीं हुआ है तो ऐसे में उसने अपने पति के साथ मिलकर फास्ट फूड की दुकान खोल ली है। इसी दुकान से पैसा कमा कर वो अपना और अपने परिवार का गुजर-बसर कर रही है।
इंद्रा का कहना है कि अगर कोई नौकरी मिल जाती तो परिवार को पालने में आसानी हो जाती। उसने कहा कि सरकारी को खिलाड़ियों के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए। हिमाचल के खिलाड़ियों को मूलभूत सुविधाएं देनी चाहिए।