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May 13, 2025
हिमाचल के इस गांव से 30 बेटे सरहद पर दे रहे सेवाएं, बचपन से ही शुरू हो जाती है ट्रेनिंग
800 की आबादी में से 30 जवान देश को दिए
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सिरमौर। भारत-पाक तनाव के बीच हिमाचल का शिलाई तहसील का छोटा सा गांव जास्वी अचानक राष्ट्रीय चर्चा में आ गया है। वजह है—इस गांव से भारतीय सेना में सेवारत 30 जांबाज़ जवान, जो देश की सरहदों की रक्षा कर रहे हैं।
सिरमौर जिले के इस वीर-गांव की आबादी महज 800 के करीब है, लेकिन यह हर किसी को गर्व से कहने पर मजबूर करता है कि यहां हर बच्चा बचपन से ही फौजी बनने का सपना लेकर बड़ा होता है।
जास्वी गांव में सेना भर्ती की तैयारी बच्चों को छठी-सातवीं कक्षा से ही सिखाई जाती है। यह परंपरा नहीं, जुनून है। अतर जस्टा ने बताया कि उनके परिवार के 5 सदस्य सेना में हैंतीन सगे भाई और दो चचेरे भाई।
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उनके भाई विलम जस्टा तीन दिन पहले ही ड्यूटी पर लौटे हैं। जब वह जा रहे थे, तो पिता रणसिंह ने उनसे कहा,या तो भर्ती नहीं होना था... जब हुए हो तो दुश्मन को ठोककर आना।
बलवीर जस्टा बताते हैं कि हमारे गांव का हर बच्चा सेना में जाना चाहता है। पाकिस्तान की हर नापाक हरकत का जवाब देने के लिए जास्वी गांव के लोगों की हिम्मत और भरोसा अडिग है।
सम्मान / आंकड़ा | विवरण |
---|---|
कारगिल शहीद | 527 में से 52 हिमाचल से |
परमवीर चक्र (PVC) | 2 हिमाचल वीरों को (सोमनाथ शर्मा, संजय कुमार) |
अशोक चक्र | 2 |
महावीर चक्र | 10 |
कीर्ति चक्र | 18 |
वीर चक्र | 51 |
शौर्य चक्र | 89 |
पहले PVC सम्मानित सपूत | मेजर सोमनाथ शर्मा (24 वर्ष की उम्र में शहादत) |
कुल सेना में हिमाचल का योगदान | देश की सेनाओं में प्रति 1000 में सबसे ज्यादा भर्ती दर |
हिमाचल प्रदेश को यूं ही देवभूमि और वीरभूमि नहीं कहा जाता। यह वह धरती है जहाँ मां अपने लाल को फौज में भेजते वक्त गर्व से सिर ऊँचा करती है। पिता बेटे को युद्ध में जाने से पहले आशीर्वाद की जगह जज़्बा और ज़िम्मेदारी सौंपते हैं। बच्चे देशभक्ति की कहानियाँ सुनकर बड़े होते हैं, और बंदूक थामने का सपना देखते हैं।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने हर हिमाचल दौरे पर वीरभूमि शब्द का ज़िक्र जरूर किया है। उन्होंने कई बार कहा कि हिमाचल के गांव-गांव में देशभक्ति का खून दौड़ता है।