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November 17, 2025

हिमाचल में कोड ऑफ कंडक्ट लागू, चुनाव आयोग ने जारी की अधिसूचना; सुक्खू सरकार को दिया झटका

चुनाव की तिथि घोषित होने वाले दिन पूरी तरह से लागू होगी आचार संहिता

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शिमला। हिमाचल प्रदेश में लंबे समय से अटकी पंचायत चुनाव प्रक्रिया को लेकर अब स्पष्ट दिशा मिल गई है। राज्य निर्वाचन आयोग ने सोमवार को आदर्श आचार संहिता का एक क्लॉज लागू कर दिया है। जिसको लेकर राज्य चुनाव आयोग ने अधिसूचना भी जारी कर दी है। इस अधिसूचना के जारी होने के बाद अब राज्य सरकार चाहकर भी पंचायतों का पुनर्गठन नहीं कर पाएगी।  राज्य निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक पंचायतों और नगर पालिकाओं की संरचना, वर्गीकरण या क्षेत्रीय सीमाओं में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किया जाएगा।

पंचायतों का पुनर्गठन नहीं कर पाएगी सरकार

राज्य निर्वाचन आयोग के इस फैसले के बाद अब प्रदेश की सुक्खू सरकार अब पंचायतों का पुनर्गठन नहीं कर पाएगी। प्रदेश सरकार ने पिछली कैबिनेट मीटिंग में पंचायतों के पुनर्गठन का फैसला लिया था। स्टेट इलेक्शन कमीशन ने आज सोमवार को एक आदेश जारी कर कर इस पर रोक लगा दी है।

हिमाचल में आचार संहिता लागू

हिमाचल चुनाव आयोग द्वारा जारी की गई इस अधिसूचना के साथ ही हिमाचल में आदर्श आचार संहिता का एक क्लॉज लागू हो गया है। इसके लागू होने के बाद अब हिमाचल की सुक्खू सरकार पंचायतों के वार्ड की बाउंड्री चेंज नहीं कर पाएगी। हालांकि विकास कार्य पर इस आचार संहिता का कोई असर नहीं पड़ेगा। पूरे तौर पर आचार संहिता उस दिन लागू होगी, जब इलेक्शन कमीशन चुनाव की तिथि घोषित करेगा।

आयोग ने सीमाओं में बदलाव पर लगाई रोक

राज्य निर्वाचन आयोग ने संविधान के प्रावधान और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के आधार पर निर्णय लिया है कि पंचायतों और नगर निकायों की सीमाओं में अब कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। आयोग ने अपने नोटिफिकेशन में स्पष्ट किया है कि मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट, 2020 की धारा 2.1 के तहत अब परिसीमन फ्रीज़ माना जाएगा।

 

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राज्य निर्वाचन आयुक्त अनिल कुमार खाची ने कहा कि पंचायतों और नगरपालिकाओं की संरचना, वर्गीकरण या क्षेत्र में अब आयोग की अधिसूचना जारी होने के बाद चुनाव प्रक्रिया समाप्त होने तक कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। सभी संबंधित विभागों और अधिकारियों को इसका पालन सुनिश्चित करना अनिवार्य होगा।

 

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चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि वोटर 3577 पंचायतों में 3548 की वोटर लिस्ट पहले ही तैयार कर दी गई है। ऐसे में दोबारा से डिलिमिटेशन से वार्ड की बाउंड्री डिस्टर्ब हो जाएगी। लिहाजा दोबारा डिलिमिटेशन नहीं किया जा सकता। कमीशन ने कहा कि  सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार चुनाव पांच साल पूरा होने से पहले करवाने है। यह संवैधानिक बाध्यता है।

चुनाव प्रक्रिया समय पर शुरू होगी

आयोग ने बताया कि प्रदेश में मौजूदा पंचायती राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों का कार्यकाल जल्द समाप्त होने वाला है। पंचायत राज संस्थाओं का कार्यकाल 31 जनवरी 2026, 50 शहरी स्थानीय निकायों का कार्यकाल 18 जनवरी 2026 और धर्मशाला, पालमपुर, मंडी और सोलन नगर निगमों का कार्यकाल 13 अप्रैल 2026 को पूरा होगा। वहीं, पांच नगर पंचायतों, अंब, चिरगांव, कंडाघाट, नेरवा और निर्मंड का कार्यकाल 16 अप्रैल 2026 को समाप्त हो जाएगा।

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आयोग के अनुसार 3577 ग्राम पंचायतों, 90 पंचायत समितियों, 11 जिला परिषदों और 71 शहरी स्थानीय निकायों का परिसीमन कार्य पूरा कर लिया गया है और अंतिम अधिसूचना जारी कर दी गई है। मतदाता सूचियां भी लगभग तैयार हैं, केवल कुछ ग्राम पंचायतों और एक शहरी निकाय की सूची दिसंबर 2025 तक अंतिम रूप लेगी।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार चुनाव अनिवार्य

आयोग ने अपने नोटिफिकेशन में यह भी स्पष्ट किया कि "द स्टेट ऑफ पंजाब एंड अदर्स बनाम बेंट कुमार" मामले के आदेश के अनुसारए किसी भी संस्था के कार्यकाल समाप्त होने से छह महीने पहले चुनाव प्रक्रिया अनिवार्य रूप से शुरू होनी चाहिए। इसी संवैधानिक व्यवस्था के तहत हिमाचल प्रदेश में पंचायत और शहरी निकायों के चुनाव समय पर आयोजित होंगे।

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