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February 17, 2025
संजौली अवैध मस्जिद मामला: वक्फ बोर्ड के झूठ का पर्दाफाश, 136 दिन में नहीं गिरी अवैध इमारत
कोर्ट ने किया था 45% मस्जिद गिराने का दावा, असल में टीन की छत गिराकर कन्नी काट ली
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शिमला। नगर निगम शिमला के डीसी की कोर्ट ने बीते साल 5 अक्टूबर को संजौली में बनी मस्जिद की तीन मंजिलों को अवैध करार देते हुए उसे गिराने के आदेश दिए थे। इसके लिए दो महीने, यानी 60 दिन की मोहलत दी गई थी। आज 136 दिन बीतने के बाद भी मस्जिद नहीं गिराई जा सकी है। हालांकि, हिमाचल वक्त बोर्ड ने कोर्ट में अवैध मस्जिद के आधे हिस्से को गिराने का झूठा दावा किया गया था। लेकिन न्यूज4हिमाचल की तफ्तीश बताती है कि वक्फ बोर्ड ने मस्जिद की टीन की छत गिराकर अपने हाथ खींच लिए हैं। बोर्ड का कहना है कि इससे आगे के काम के लिए उसके पास पैसे नहीं हैं। लेकिन बोर्ड ने न तो नगर निगम को इस बारे में सूचित किया और न ही आर्थिक तंगी को देखते हुए जनसहयोग मांगा।
हिमाचल में वन विभाग के बाद सबसे ज्यादा जमीन वक्फ बोर्ड के पास है,यानी हिमाचल का वक्फ बोर्ड अच्छा ख़ासा अमीर है। इस तथ्य को देखते हुए कहीं न कहीं यह प्रतीत होता है कि कहीं राज्य वक्फ बोर्ड पैसा न होने का बहाना बनाकर पूरे मामले से हाथ खींचने के मूड में तो नहीं है? अगर बात यही है तो बोर्ड के इस रुख को शिमला में अशांति पैदा करने की साजिश कहना गलत नहीं होगा। बोर्ड के इस कदम से अवैध मस्जिद के खिलाफ लामबंद जनता का गुस्सा फिर भड़क सकता है।
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न्यूज4हिमाचल ने 17 फरवरी को इस मामले की तहकीकात करनी चाही, तो हमें बताया गया कि मौके पर किसी भी तरह की वीडियोग्राफी करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। मस्जिद के आसपास रहने वाले लोगों ने भी हमें बताया है कि फैसला आने के कुछ दिनों के बाद मस्जिद के ऊपर लगे टीन को खोलने का काम शुरू किया गया था- जिसकी तस्वीर भी हम सबके सामने आई थीं, मगर फिर 5-6 दिन के बाद अवैध हिस्सा गिराने के काम को रोक दिया गया। अब मस्जिद कमेटी की तरफ से इस बात का बहाना बनाया जा रहा है कि उनके पास मस्जिद गिराने के पैसे ही नहीं हैं।
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स्थानीय लोगों ने बताया कि पैसे ना होने की बात सुनकर वे लोग भी मस्जिद गिराने में सहयोग करने के लिए आगे आए थे। इस मामले को सदन में बड़ी ही बेबाकी के साथ उठाने वाले मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने कहा था कि वे आर्थिक रूप में और श्रमदान के रूप में मदद करने के लिए तैयार हैं। पीडब्लूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने भी इस मामले पर कहा था कि यदि कमेटी को मस्जिद तोड़ने में कोई दिक्कत आ रही है तो वह नगर निगम को पत्र लिख कर सहायता मांग सकते हैं। मगर संजौली में अदालत के आदेश की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
बीते साल अक्टूबर में मस्जिद गिराने का फैसला आने के बाद जब दिसंबर में इस मामले की दोबारा से सुनवाई हुई थी, उस वक्त वक्फ बोर्ड जमीन के मालिकाना हक को लेकर रिकॉर्ड भी पेश नहीं कर पाया था। वक्फ बोर्ड ने मस्जिद जमीन का रिकॉर्ड पेश करने के लिए समय की मांग की थी और अगली सुनवाई के लिए 15 मार्च की तारीख फाइनल हुई थी। कोर्ट में संजौली मस्जिद निर्माण कमेटी ने करीब 50 प्रतिशत अवैध निर्माण गिराने का दावा भी किया था। स्थानीय लोगों ने इस बारे में बताया है कि 50 प्रतिशत अवैध निर्माण गिराने का दावा झूठा है।
बताया जा रहा है कि संजौली मस्जिद को जल्दी गिराए जाने को लेकर मुस्लिम भी दो फाड़ हो चुके है। 9 अक्टूबर, 2024 को मुस्लिमों के एक संगठन ने बैठक कर मस्जिद गिराए जाने के खिलाफ हाई कोर्ट जाने की बात कही थी। हालांकि, संजौली मस्जिद कमिटी ने ऐसी किसी भी बात से इनकार किया था। हमारी तफ्तीश बताती है कि पैसा ना होने की बहानेबाजी के जरिए इसे लंबा खींचने का प्रयास किया जा रहा है।