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June 5, 2025

पर्ची फीस पर सीएम सुक्खू का यू टर्न, बोले- हमने नहीं थोपा, फिर कहां से आया आइडिया? जानें

हिमाचल के अस्पतालों में अब मुफ्त इलाज नहीं! उठे कई सवाल

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CM SUKKHU

शिमला। हिमाचल प्रदेश के आम लोगों को अब सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए और अधिक खर्च उठाना पड़ेगा। अब किसी भी सरकारी अस्पताल में ओपीडी की पर्ची बनवाने के लिए ₹10 का शुल्क देना अनिवार्य कर दिया गया है। इतना ही नहीं अब तक जो टेस्ट मुफ्त होते थे उन पर भी शुल्क लिया जाएगा। यह नई व्यवस्था 5 जून 2025 से पूरे राज्य में लागू कर दी गई है। स्वास्थ्य विभाग ने इस संबंध में राज्य के सभी अस्पतालों को आदेश जारी कर दिए हैं।

इन्हें नहीं देना होगा शुल्क

  • शुल्क के इस दायरे से कुछ विशेष वर्गों को बाहर रखा गया है:
  • BPL परिवारों से जुड़े मरीज
  • कैंसर पीड़ित
  • 60 वर्ष से अधिक आयु की महिलाएं

 

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  • गर्भवती महिलाएं और नवजात शिशु
  • दिव्यांग व्यक्ति
  • विधवा और उनके बच्चे
  • निराश्रित बच्चे
    इन श्रेणियों के मरीजों को किसी भी तरह का पर्ची या जांच शुल्क नहीं देना होगा, लेकिन आम मरीजों के लिए अब सरकारी अस्पताल भी ‘मुफ्त इलाज’ का विकल्प नहीं रहे।

विवाद क्यों खड़ा हुआ?

विपक्ष ने इस कदम पर सरकार को आड़े हाथों लिया है। पूर्व सीएम व नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर का कहना है कि आम आदमी पर इलाज का बोझ डालना अमानवीय है, खासकर ऐसे दौर में जब महंगाई पहले से ही चरम पर है। विपक्ष का आरोप है कि यह फैसला गरीबों के स्वास्थ्य अधिकारों पर सीधा हमला है।

मुख्यमंत्री का सपष्टीकरण

जब मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से इस विषय में सवाल पूछा गया तो उन्होंने स्पष्ट किया कि यह सरकार का कोई सीधा निर्णय नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने अस्पतालों को स्वायत्त कर दिया है।

 

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अब प्रत्येक अस्पताल की रोगी कल्याण समिति (RKS) इस तरह के निर्णय स्वयं ले सकती है। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि, अगर किसी अस्पताल के पास साफ-सफाई, मरम्मत या अन्य व्यवस्थाओं के लिए संसाधन कम हैं, तो वे पर्ची पर ₹10 वसूल सकते हैं। लेकिन कोई अस्पताल चाहे तो शुल्क न भी ले यह निर्णय उनका है, सरकार का नहीं।

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