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April 16, 2025

सुक्खू सरकार का नया फैसला: अब सरकारी एजेंसियां भी बेचेगी शराब, यहां जानें खबर

2850 करोड़ का राजस्व लक्ष्य- 250 ठेके अब तक नहीं बिके

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 liquor shops to the corporation

शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार ने शराब के ठेके चलाने को लेकर एक अहम निर्णय लिया है। राज्य सरकार अब सरकारी एजेंसियों को शराब के ठेके चलाने की जिम्मेदारी सौंपेगी, जिससे निजी ठेकेदारों की मोनोपली खत्म हो सकती है। यह कदम सरकार द्वारा शराब के ठेकों की नीलामी से अपेक्षित राजस्व हासिल करने में विफलता के कारण उठाया गया है। इस निर्णय से राज्य के वित्तीय स्वास्थ्य को एक नया मोड़ मिल सकता है।

250 ठेके अब तक नहीं बिके

प्रदेश में 2025-26 के वित्तीय वर्ष के लिए शराब के ठेकों की नीलामी का निर्णय लिया गया था, जिसमें 2,850 करोड़ रुपये के राजस्व का लक्ष्य रखा गया था। हालांकि, नीलामी प्रक्रिया में कई ठेके बिकने से रह गए। मार्च और अप्रैल में आयोजित नीलामी के बाद भी लगभग 250 ठेके बिक्री से बाहर रह गए। इसके बाद सरकार ने दो बार नीलामी की प्रक्रिया को पूरा करने का प्रयास किया, लेकिन फिर भी कुछ ठेके बिक नहीं सके। इसके चलते अब सरकार ने यह निर्णय लिया है कि सरकारी एजेंसियां इन ठेकेदारों की जगह पर शराब के ठेके चलाएंगी।

 

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सरकारी एजेंसियों की भूमिका

सरकार ने शराब के बचे हुए ठेके संचालित करने की जिम्मेदारी सरकारी निगमों और एजेंसियों को सौंपने का प्रस्ताव तैयार किया है। इनमें हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ (हिमफैड), हिमाचल प्रदेश मार्केटिंग एंड कोऑपरेटिव सोसाइटी (HPMC), वन निगम, सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन, और नगर निगम जैसी संस्थाएं शामिल हैं। इन सरकारी संस्थाओं को ठेके चलाने की जिम्मेदारी मिलने से राज्य को शराब की बिक्री में बेहतर नियंत्रण मिल सकता है और संभवतः शराब की कीमतों में भी स्थिरता आ सकती है।

ठेकेदारों की मोनोपली खत्म

सरकार का यह कदम ठेकेदारों की मोनोपली को समाप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण हो सकता है। अब तक शराब के ठेके निजी ठेकेदारों द्वारा संचालित किए जाते थे, जो कई बार राज्य के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी का कारण बनते थे। सरकारी एजेंसियों द्वारा शराब के ठेके चलाए जाने से यह संभावना जताई जा रही है कि शराब की बिक्री में अधिक नियंत्रण और पारदर्शिता आएगी। अगर यह योजना सफल रहती है, तो भविष्य में शराब ठेकों की नीलामी में सरकारी निगमों का अधिक प्रभाव हो सकता है और ठेकेदारों की भूमिका कम हो सकती है।

 

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निगम और कॉर्पोरेशन के लिए वित्तीय लाभ

यदि सरकारी एजेंसियां शराब के ठेके चलाने में सफल रहती हैं, तो इससे उनके पास एक अतिरिक्त वित्तीय स्रोत हो सकता है। इससे सरकार के अन्य विभागों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो सकती है। साथ ही, यदि इन निगमों और एजेंसियों को शराब की बिक्री से अच्छा लाभ मिलता है, तो वे अपने अन्य कार्यों और योजनाओं के लिए भी अतिरिक्त बजट जुटा सकते हैं। हालांकि, यह सफलता शराब की बिक्री और ठेके संचालन की व्यवस्था पर निर्भर करेगी।

2850 करोड़ का राजस्व लक्ष्य

इस वित्तीय वर्ष में सरकार ने शराब के ठेकों से 2850 करोड़ रुपये के राजस्व का लक्ष्य रखा था। हालांकि, नीलामी प्रक्रिया में पूरी सफलता नहीं मिल पाई थी, लेकिन सरकार को उम्मीद है कि सरकारी एजेंसियों द्वारा शराब के ठेके चलाए जाने से यह लक्ष्य हासिल किया जा सकेगा। पिछले वित्तीय वर्ष (2024-25) में सरकार ने शराब के ठेकों की नीलामी से 2600 करोड़ रुपये का राजस्व जुटाया था, और इस बार इसे बढ़ाकर 2850 करोड़ रुपये का लक्ष्य तय किया गया था।

 

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क्या यह फैसला सफल होगा?

यह फैसला आने वाले समय में राज्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, लेकिन इसके परिणाम पूरी तरह से इस पर निर्भर करेंगे कि सरकारी एजेंसियां शराब के ठेके चलाने में कितनी सफल होती हैं। अगर यह योजना सफल होती है, तो यह राज्य की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने में मददगार साबित हो सकती है और शराब की बिक्री में भी पारदर्शिता बढ़ सकती है। हालांकि, अगर इसमें कोई कठिनाई होती है तो इससे राज्य को अपेक्षित राजस्व हासिल करने में मुश्किल हो सकती है।

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