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December 2, 2025

जहां आज चंबा है, पहले वहां भूत-प्रेत रहते थे: फिर इस कील में कैद कर दी गईं बुरी शक्तियां

नकारात्मक शक्तियों का यहां था साया

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 Himachal News

चंबा। देवभूमि कहे जाने वाले हिमाचल प्रदेश के भी स्थानों का भी अपना-अपना इतिहास है, जो इन्हें और खास बनाता है।आज हम बात करेंगे चंबा की जिसकी स्थापना आज से लगभग 1 हजार साल पहले कि गई थी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस नगर के क्षेत्र में पहले भूत-पिशाचों और बुरी आत्माओं का निवास माना जाता था। 

नकारात्मक शक्तियों का यहां था साया

ऐसा कहा जाता है कि दसवीं शताब्दी में राजा साहिल वर्मन ने लोअर रावी वैली पर अधिकार कर अपनी राजधानी भरमौर से वर्तमान चंबा में शिफ्ट की। नगर बस जाने के बाद भी स्थानीय लोगों का डर कम नहीं हुआ।

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डर और नकारात्मक शक्तियों को मिटाने के लिए राजा ने काशी से विद्वानों और पुरोहितों को बुलाया। विशेष तांत्रिक अनुष्ठानों के बाद चंबा की चारों दिशाओं में एक विशेष स्तंभ, जिसे आज गूगल स्तंभ के नाम से जाना जाता है, उसे  स्थापित किया गया।

चारों दिशाओं में स्थापित किए स्तंभ

स्थानीय मान्यताओं के अनुसार यह विशालकाय स्तंभ केवल ऊपर दिखाई देने वाला नहीं है, बल्कि लगभग 10 फीट नीचे धरती में गड़ा हुआ है। स्तंभ के ऊपर पुरुष और स्त्री का रूप अंकित है, जिसे संतुलन और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है।

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लोगो की आस्था का प्रतीक हैं यह स्तंभ

यह माना जाता है कि स्तंभ के माध्यम से नकारात्मक शक्तियों को हमेशा के लिए धरती में बांध दिया गया। लक्ष्मी नारायण मंदिर के मुख्य द्वार के पास स्थित यह स्तंभ आज भी नगरवासियों की सुरक्षा और आस्था का प्रतीक है। हाल के वर्षों में इसे नुकसान पहुँचाने की कोशिशें हुईं, लेकिन चंबा के लोगों ने इसे फिर से खड़ा किया। उनका मानना है कि यह केवल एक स्तंभ नहीं, बल्कि उनकी सुरक्षा, आस्था और ऐतिहासिक पहचान का प्रतीक है।

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