#हिमाचल
May 28, 2025
हिमाचल की ये सब्जी बाजार में मचा रही धूम, 6 हजार किलो है दाम- अभी और बढ़ सकते हैं रेट
सूखे ने घटाई पैदावार, मेले में चढ़े भाव
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कुल्लू । हिमाचल प्रदेश की कुल्लू घाटी की पहाड़ियों में इस बार जंगलों की खामोशी कुछ अलग रही। दुर्लभ प्राकृतिक गुच्छी की बेहद कम पैदावार के कारण लोगों का आना जाना कम रहा। सूखे मौसम ने जहां जंगलों की नमी छीन ली, वहीं ग्रामीणों की उम्मीदों को भी झकझोर दिया। मगर कम पैदावार के चलते इस बार गुच्छी का दाम आसमान छू गया है।
बंजार, सैंज और बालीचौकी के मेलों में गुच्छी 6,000 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रही है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 1,500 रुपये प्रति किलो ज्यादा है। गुच्छी का मौसम 15 मार्च से 15 मई तक होता है। इस दौरान ग्रामीण खेतों, बगीचों और ऊंचाई वाले जंगलों में गुच्छी की खोज में निकलते हैं। यह कोई आसान काम नहीं होता—यह एक जोखिमभरा और मेहनतभरा सफर होता है। कई बार एक किलो गुच्छी जुटाने में हफ्तों लग जाते हैं।
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बेली राम, झाबे राम, दुनी चंद जैसी ग्रामीण महिलाएं और पुरुष बताते हैं कि इस बार गुच्छी की बहुत कम उपज हुई है। जंगलों में सूखा पड़ने से गुच्छी की प्राकृतिक वृद्धि रुक गई। नतीजतन, गुच्छी बाजार में कम पहुंची और भाव तेज़ हो गए। कुल्लू जिले में हर साल चार से पांच करोड़ रुपये का गुच्छी व्यापार होता है, जिससे सैकड़ों ग्रामीणों की आर्थिकी जुड़ी हुई है।
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गुच्छी व्यापारी बीर सिंह ठाकुर और बेली राम बताते हैं कि इस बार उन्होंने 6,000 रुपये प्रति किलो की दर से गुच्छी खरीदी है, जबकि पिछले साल 5,500 रुपये में खरीदी गई थी। खास बात यह रही कि 2024 में जहां पांच क्विंटल तक गुच्छी की खरीद हुई थी, वहीं इस बार महज़ 68 किलो की ही गुच्छी मिल पाई।
गुच्छी का स्वाद ही नहीं, इसका पोषण भी अनमोल है। इसमें प्रोटीन, फाइबर, विटामिन-डी, और एंटीऑक्सिडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं। यही कारण है कि प्रधानमंत्री से लेकर विदेशी राजनेताओं और बॉलीवुड हस्तियों की थाली में यह ‘रॉयल डिश’ बनी रहती है। देश के फाइव स्टार होटलों में भी इसकी जबरदस्त मांग है।