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March 17, 2025

HP BUDGET LIVE: 51 और 61 रुपए में दूध खरीदेगी सरकार, 2 रुपए एक्स्ट्रा मिलेंगे

सीएम सुक्खू बजट अनुमान 2025-26 प्रस्तुत कर रहे है

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HIMACHAL BUDGET

शिमला। हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधानसभा में अपने तीसरे बजट प्रस्तुत करते हुए राज्य की वित्तीय स्थिति पर कई महत्वपूर्ण बातें साझा की। उन्होंने बताया कि कांग्रेस सरकार को 76,185 करोड़ रुपए का ऋण विरासत में मिला था। इसके अलावा, 12,266 करोड़ रुपए ब्याज भुगतान और 8,087 करोड़ रुपए ऋण वापसी पर खर्च किए गए थे। 

गाय का दूध 51 रूपए लीटर

प्रदेश में गाय और भैंस के दूध का मूल्य बढ़ा दिया गया है। अब गाय का दूध 51 रूपय लीटर और भैंस का दूध 61 रूपय लीटर मिलेगा। वहीं जो लोग दूध को बेचने के लिए सेंटर पर खुद लेकर जाएगे उन्हें ट्रास्पोर्ट सब्सिडी के रूप में अतिरिक्त 2 रूपए दिए जाएंगे। सीएम ने कहा कि इन दोनों ही मदों को मिलाकर इस बार हमारी तरफ से दुग्ध उत्पादकों के लिए 8 रुपए की वृद्धि की गई है। 

70% रकम कर्ज-ब्याज चुकाने में गई

वर्तमान वित्तीय वर्ष में उनकी सरकार ने 29,046 करोड़ रुपए का ऋण लिया है, जिसमें से 8,000 करोड़ रुपए विकास कार्यों के लिए आवंटित किए गए हैं। लेकिन 70 प्रतिशत ऋण का उपयोग पुराने कर्ज के मूलधन और ब्याज चुकाने में किया गया है।  

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अगले वित्त वर्ष में लोन की राशि केंद्र द्वारा तय की जाएगी

सीएम ने आगे कहा कि भारत सरकार ने 2024-25 के लिए 6,551 करोड़ रुपए के ऋण लेने की सीमा तय की है, जो राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 3 प्रतिशत होगा। उन्होंने बताया कि अगले वित्त वर्ष में हिमाचल को कितना ऋण मिलेगा, यह पूरी तरह से केंद्र सरकार पर निर्भर करेगा।  

स्टेट एक्साइज ड्यूटी और वैट में 867 करोड़ की वृद्धि

सीएम सुक्खू ने कहा कि एक्साइज पॉलिसी में बदलाव के कारण स्टेट एक्साइज ड्यूटी और वैट में 867 करोड़ की वृद्धि हुई है। इसके अलावा, अगले वित्तीय वर्ष में इसमें 300 करोड़ की और वृद्धि होने का अनुमान है।  

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शेर पढ़कर शुरू किया बजट

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने कार्यकाल का तीसरा बजट पेश किया। इस विशेष अवसर पर मुख्यमंत्री ने विधानसभा तक पहुंचने के लिए अपनी आल्टो कार खुद चलाकर विधानसभा पहुंचने का एक अनोखा उदाहरण प्रस्तुत किया

बजट भाषण की शुरुआत में मुख्यमंत्री ने एक प्रेरणादायक शेर पढ़ा: "न गिराया किसी को, कभी न किसी को उछाला, जहां आप पहुंचे छलांगें लगा-लगाकर, मैं भी वहां पहुंचा धीरे-धीरे।" 

मेज थपथपाकर हुआ स्वागत

सत्ता पक्ष के विधायकों ने मुख्यमंत्री का गर्मजोशी से स्वागत किया और मेज थपथपाकर उन्हें बधाई दी। मुख्यमंत्री ने इस भाषण के जरिए न केवल प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर चर्चा की, बल्कि उन्होंने राज्य के विकास और कल्याण के लिए अपने संकल्प को भी जाहिर किया।

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आर्थिक स्थिति पर गहरी चिंता जताई

प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बजट सत्र के दौरान देश की आर्थिक स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था गंभीर संकट से गुजर रही है, जिसका असर आम जनता पर पड़ रहा है। सीएम का कहना है कि केंद्र की खराब आर्थिक व्यवस्था के कारण हिमाचल को काफी नुकसान हुआ है। सीएम ने कहा कि RDG कोई ग्रांट नहीं है। इससे प्रदेश आत्मनिर्भर नहीं होगा। वहीं, सीएम ने कहा कि हमारा पहाड़ी राज्य स्पेशल केटेगरी में आता है, केंद्र के कारण प्रदेश उपेक्षित महसूस कर रहा है। 

केंद्र से मदद ने मिलने पर जताई नाराजगी

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने जीएसटी कंपनसेशन की समाप्ति और बीबीएमबी से 4000 करोड़ रुपए से ज्यादा का शेयर नहीं मिलने पर गहरी चिंता व्यक्त की है। बजट सत्र के दौरान उन्होंने यह मुद्दा उठाया और कहा कि ये दोनों घटनाएं राज्य की आर्थिक स्थिति पर गंभीर असर डाल सकती हैं।

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 सीएम सुक्खू ने यह भी बताया कि हिमाचल को एनपीएस (नेशनल पेंशन स्कीम) के तहत मिलने वाला 1600 करोड़ का लोन भी कम हो गया है, जो राज्य के वित्तीय संकट को और बढ़ा सकता है। इसके अलावा, रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट में भी कमी आई है, जिससे राज्य सरकार को वित्तीय मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। सीएम ने कहा कि इन वित्तीय चुनौतियों के बावजूद राज्य सरकार प्रदेश के विकास और कल्याण के लिए आवश्यक कदम उठाने की पूरी कोशिश करेगी। उन्होंने केंद्र से हिमाचल के लिए अधिक सहायता और वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने की अपील की।

 

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना उद्देश्य: CM

 

सुक्खू ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं। उन्होंने बताया कि गेंहूं और मक्की के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) घोषित किया गया है, ताकि किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य मिल सके। इसके अलावा, सेब और अन्य फलों के लिए भी MSP देने का निर्णय लिया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कदम ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने और किसानों की आय में वृद्धि करने की दिशा में अहम कदम है। उनका उद्देश्य प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और बागवानी को प्रोत्साहित करना और किसानों को उनकी मेहनत का सही मूल्य दिलाना है।

 

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