#अपराध
November 8, 2025
हिमाचल : लोहे के स्केल से छात्र को पी*टा, पहली कक्षा में पढ़ता है मासूम- सलाखों के पीछे पहुंचा टीचर
कोर्ट ने 20 दिन के लिए न्यायिक हिरासत पर भेजा टीचर
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सोलन। हिमाचल प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से सरकारी स्कूलों में शिक्षकों का स्टूडेंट्स के साथ व्यावहार चर्चा का विषय बना हुआ है। सोलन जिले में पहली कक्षा के छात्र की पिटाई के मामले में ख्ड्डापानी स्कूल के आरोपी शिक्षक नितिश ठाकुर को गिरफ्तार कर लिया गया है। नितिश ठाकुर को कोर्ट ने 20 दिन के लिए न्यायिक हिरासत पर भेज दिया है।
यह गंभीर मामला राजकीय प्राथमिक पाठशाला गाईघाट से सामने आया। घटना के बाद विद्यालय प्रबंधन और परिजनों के बीच अलग-अलग दावे सामने आए। पीड़ित छात्र के सिर से खून बहने के बाद परिजन उसे क्षेत्रीय अस्पताल सोलन लेकर पहुंचे, जहां उसका उपचार किया गया।
परिजनों ने इस मामले को लेकर सदर थाना सोलन में शिकायत दर्ज करवाई, जिसके बाद पुलिस और शिक्षा विभाग दोनों ने जांच शुरू की। पीड़ित छात्र शिवांश की माता शोभा ठाकुर ने बताया कि बुधवार दोपहर स्कूल से फोन आया, जिसमें शिक्षक ने खुद स्वीकार किया कि उन्होंने बच्चे को चांटा मारा, जिसके कारण उसके सिर से खून निकल आया।
जब वह स्कूल पहुंची, तो सहपाठी बच्चों ने बताया कि छात्र को हाथ से नहीं, बल्कि लोहे की स्केल से मारा गया, जिससे उसके सिर में गहरी चोट आई। शोभा ठाकुर ने कहा कि मैं पहले भी स्कूल को चेतावनी दे चुकी हूं कि मेरे बच्चे के साथ मारपीट न हो। इसके बावजूद यह घटना दोहराई गई। अब मैं इस मामले में सख्त कार्रवाई चाहती हूं।
स्कूल प्रबंधन का कहना है कि छात्र को किसी खिड़की से टकराने के कारण चोट लगी, न कि शिक्षक ने उसे स्केल से मारा। हालांकि, यह दलील परिजन और अन्य बच्चों के बयानों से मेल नहीं खाए, जिससे मामले पर और सवाल खड़े हो गए।
छात्र के सिर पर आए घाव का चिकित्सकों द्वारा उपचार किया गया है। परिजनों के अनुसार, डॉक्टरों ने बताया कि चोट किसी कठोर वस्तु से लगी प्रतीत हो रही है। परिजनों की शिकायत के बाद सदर थाना पुलिस ने मामले में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी।
घटना के बाद क्षेत्र में अभिभावकों के बीच असंतोष और चिंता बढ़ गई है। लोग इस बात को लेकर परेशान हैं कि छोटे बच्चों के साथ स्कूल में इस तरह की शारीरिक हिंसा कैसी शिक्षा वातावरण का संकेत देती है।
स्कूलों में शारीरिक दंड पर बच्चों का मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा अधिकार (RTE) अधिनियम 2009 और बच्चों के संरक्षण की नीति (POCSO के साथ समन्वय) के तहत पूर्ण प्रतिबंध है। इसके बावजूद इस प्रकार की घटनाएं तंत्र और निगरानी की गंभीर कमी को दर्शाती हैं।
परिजनों की मांग है कि बच्चे के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की निरंतर निगरानी हो। साथ ही स्कूल में अनुशासन और सुरक्षा मानकों को सख्ती से लागू किया जाए। फिलहाल, पुलिस और विभागीय जांच जारी है। अभिभावक और स्थानीय लोग शिक्षा विभाग की अगली कार्रवाई पर नजर बनाए हुए हैं।