#अपराध

June 22, 2025

हिमाचल: मां-बाप से बोला जवान बेटा, "मैंने स*ल्फास खा लिया" अस्पताल पहुंचाया-पर नहीं बच पाया

29 साल की उम्र में परिजनों को बेसहारा छोड़ गया बेटा

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Himachal Village Youth

बिलासपुर। हिमाचल प्रदेश में आत्महत्याओं के बढ़ते मामलों के बीच एक और दुखद घटना सामने आई है। जिला बिलासपुर के बरमाणा थाना क्षेत्र अंतर्गत गसौड़ गांव के 29 वर्षीय युवक शुभम शर्मा की एम्स बिलासपुर में इलाज के दौरान मौत हो गई। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि युवक ने कथित तौर पर जहरीला पदार्थ सल्फास निगल लिया था।

बेटा बोला- मैंने सल्फास खा लिया

जानकारी के अनुसार बीते दिवस शुभम ने खुद अपने परिजनों को बताया कि उसने सल्फास खा लिया है। परिजन उसे तुरंत सिविल अस्पताल मार्कंडेय लेकर पहुंचे, लेकिन वहां उसकी हालत गंभीर बताकर डॉक्टरों ने उसे एम्स बिलासपुर रेफर कर दिया। दुर्भाग्यवश वहां इलाज के दौरान शुभम की जान नहीं बचाई जा सकी। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू की और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

 

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क्या कहते हैं डीएसपी बिलासपुर

डीएसपी बिलासपुर मदन धीमान ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि शुभम के भाई और जीजा के बयान दर्ज किए गए हैं। उन्होंने बताया कि शुभम कुछ समय से किसी संक्रमण से जूझ रहा था, लेकिन हाल ही में उसकी तबीयत में सुधार हो गया था। उन्होंने स्पष्ट किया कि परिजनों को युवक की मौत को लेकर किसी तरह का शक नहीं है। 

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आत्महत्या के बढ़ते मामलों पर चिंता

प्रदेश में आत्महत्या के मामलों में हो रही बढ़ोतरी समाज के सामने एक गहरी चिंता का विषय बनकर उभर रही है। खासकर युवा वर्ग में मानसिक तनाव, स्वास्थ्य समस्याएं और सामाजिक दबाव जैसे कारणों से आत्महत्या की प्रवृत्ति चिंताजनक स्तर तक बढ़ चुकी है। कई बार आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में पीछे रह जाने के चलते भी युवा पीढ़ी अपनी जिंदगी को खत्म कर रहे हैं।

 

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शुभम की मौत एक बड़ी चेतावनी

शुभम शर्मा की असमय मौत न सिर्फ उसके परिवार के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है कि अब चुप्पी तोड़नी होगी और मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी होगी। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मामलों को लेकर अब सरकार और समाज दोनों को गंभीरता दिखानी होगी। प्रदेश में काउंसलिंग केंद्रों, हेल्पलाइन सेवाओं और स्कूल.कॉलेज स्तर पर मेंटल हेल्थ से जुड़े अभियानों को मजबूती से लागू करने की जरूरत है। अगर समय रहते युवाओं को मानसिक और भावनात्मक सहयोग मिल जाए तो ऐसी दुखद घटनाओं को रोका जा सकता है। 

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