शिमला। हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई है। एक तरफ सरकारी कर्मचारियों ने एरियर की मांग रख दी है। वहीं दूसरी तरफ आज से वोकेशनल शिक्षकों ने भी अपनी अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। कर्मचारियों और वोकेशनल शिक्षकों की मांग से आर्थिक तंगहाली के दौर से गुजर रही सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार एक बार फिर मुश्किलों में फंसती हुई नजर आ रही है।
क्यों सड़कों पर उतरने को मजबूर हुए ये शिक्षक
आज सोमवार से हिमाचल के सरकारी स्कूलों में तैनात वोकेशनल व्यावसायिक शिक्षक हड़ताल पर चले गए हैं। प्रदेश के 1100 से अधिक सरकारी स्कूलों में तैनात 2400 के करीब वोकेशनल शिक्षकों ने अपनी मांगों को लेकर आज से अपनी अनिश्चतकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। जिससे स्कूलों में वोकेशनल शिक्षा पूरी तरह से ठप हो गई है।
स्थायी नीति बनाने की उठाई मांग
राजधानी शिमला के चौड़ा मैदान में आज सोमवार को वोकेशनल शिक्षक संघ के बैनर तले वोकेशनल शिक्षकों ने धरना दिया। इस दौरान सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और स्थायी नीति की मांग उठाई। यह प्रदर्शन कल भी जारी रहेगा।
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कंपनियां नहीं मान रही सरकार के आदेश
वोकेश्नल टीचर एसोसिएशन के अध्यक्ष अश्वनी डटवालिया और शिमला के अध्यक्ष धीरज शर्मा ने बताया कि कंपनियों के तुगलकी फरमानों से व्यावसायिक शिक्षक परेशान हैं। कंपनियां सरकार और शिक्षा विभाग के आदेशों को भी दरकिनार कर रही हैं।
क्या हैं शिक्षकों की मांगे
- वोकेश्नल टीचर सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों को बाहर करने की मांग
- वोकेशनल शिक्षकों को समय पर वेतन देने की मांग
- वोकेशनल शिक्षकों को दिवाली पर एरियर ना मिलने की नाराजगी
- सरकार के आदेश ना मानने वाली कंपनियों पर कार्रवाई की मांग
20 को मिलना था एकमुश्त एरियर
शिक्षा निदेशक ने 5 अक्टूबर को एक आदेश जारी कर कहा था कि सभी वोकेशनल शिक्षकों को 20 अक्टूबर तक सैलरी का एरियर एकमुश्त दिया जाए। बावजूद इसके कुछ कंपनियों ने एक-दो महीने का एरियर दिया है, जबकि शिक्षा निदेशक के आदेश के अनुसार 6 माह के एरियर का भुगतान एकमुश्त किया जाना था।
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कंपनियां मनमाने ढंग से दे रही वेतन
अध्यक्ष अश्वनी के अनुसार यह कंपनियां मनमानी कर रही हैं। कंपनियां वोकेशनल शिक्षकों को समय पर वेतन भी नहीं दे रही हैं। कंपनियां मनमाने ढंगसे वेतन प्रदान करती हैं। अश्वनी ने बताया कि आज और कल शिमला के चौड़ा मैदान में वोकेश्नल टीचर प्रदर्शन करेंगे। यदि उनकी मांगे नहीं मानी गई तो वह हड़ताल को आगामी दिनों में भी जारी रख सकते हैं।
किस योजना में भर्ती किए थे ये शिक्षक
दरअसल हिमाचल के सरकारी स्कूलों में वोकेश्नल शिक्षकों की भर्ती केंद्र सरकार की स्कूलों में दक्ष कामगार तैयार करने की योजना के तहत की गई है। इन शिक्षकों पर खर्च होने वाले बजट का 90 प्रतिशत हिस्सा केंद्र सरकार और 10 फीसदी बजट राज्य सरकार देती है।
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सुक्खू सरकार ने इस साल इनका मानदेय भी बढ़ाया था। लेकिन इसका भुगतान अब तक इन शिक्षकों को नहीं किया गया है। जिसके चलते ही शिक्षा निदेशक ने 20 अक्टूबर तक कंपनियों को बढ़े हुए वेतन का एरियर देने के आदेश जारी किए थे। लेकिन कई सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों ने विभाग के आदेशों की परवाह ना करते हुए इन शिक्षकों को दिवाली पर भी एरियर नहीं दिया।
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इन शिक्षकों की भर्ती के लिए 17 कंपनियां पंजीकृत
बता दें कि हिमाचल प्रदेश के सरकारी हाई और सेकेंडरी स्कूलों में साल 2013 से वोकेश्नल सब्जेक्ट 9वीं से 12वीं कक्षा तक के छात्र.छात्राओं को पढ़ाया जा रहा है। इन पाठ्यक्रमों में 80 हजार से ज्यादा छात्र पंजीकृत है। मगर आज तक वोकेश्नल टीचर की सेवाएं निजी कंपनियों के माध्यम से ली जा रही है। हैरानी की बात यह है कि शिक्षा विभाग ने इसके लिए 17 कंपनियों को पंजीकृत किया हुआ है।