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November 16, 2025

सुक्खू सरकार का भद्दा मजाक ! दुध के दाम बढ़ाए, पर महीनों नहीं मिल रही पेमेंट; आंदोलन की तैयारी

दूध की पेमेंट में हो रही देरी पर भड़के दुग्ध उत्पादक, बड़े आंदोलन की तैयारी 

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rampur bushar milk man

शिमला। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू एक तरफ किसानों. दुग्ध उत्पादकों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने और उनकी आय बढ़ाने की बड़ी बड़ी बातें करती हैं, लेकिन जमीनी हकीकत क्या है यह शिमला जिला के रामपुर बुशहर में देखने को मिल रही है। यहां के दुग्ध उत्पादकों को उनके दूध के पैसे ही नहीं मिल रहे हैं। लंबे समय से पेमेंट ना होने के चलते अब इन दुग्ध उत्पादकों के सब्र का बांध टूट गया है और उन्होंने सुक्खू सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी कर ली है।

बैठक कर आंदोलन की बनाई तैयारी

दरअसल हिमाचल दुग्ध उत्पादक संघ रामपुर ब्लॉक ने एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की, जिसमें पशुपालकों की बढ़ती समस्याओं पर विस्तार से चर्चा हुई। बैठक में यह स्पष्ट रूप से महसूस किया गया कि बढ़े हुए दूध के दाम तब तक बेअसर हैं, जब तक दुग्ध उत्पादकों को उनकी मेहनत का भुगतान समय पर नहीं मिलता। इसी कड़वाहट और नाराजगी ने किसानों को मजबूर कर दिया है कि वे 26 नवंबर को रामपुर में सरकार के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन करें।

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दाम बढ़ाना दिखावा, महीनों से नहीं मिली दूध की पेमेंट

बैठक को हिमाचल किसान सभा के महासचिव राकेश सिंघा, जिला महासचिव देवकी नंद, दुग्ध उत्पादक संघ के संयोजक सुभाष ठाकुर, रणजीत, तुला राम और पूर्ण ठाकुर सहित कई प्रतिनिधियों ने संबोधित किया। नेताओं ने कहा कि भले ही मौजूदा सुक्खू सरकार ने पिछली सरकार की तुलना में दूध के दाम बढ़ाकर किसानों को राहत देने का दावा किया हो, लेकिन जब भुगतान दो-दो, तीन-तीन महीने बाद मिलता है, तो इस बढ़ोतरी का किसानों को कोई फायदा नहीं है। उन्होंने कहा कि दूध बेचने के बाद भी किसानों को अपने घर की रोजमर्रा की जरूरतें, पशुओं का चारा और दवाइयां खरीदना मुश्किल हो रहा है। ऐसी स्थिति में दाम बढ़ाना सिर्फ कागजी राहत बनकर रह गया है।

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पशु औषधालयों में डॉक्टर नहीं

बैठक में पशुपालकों ने पशु औषधालयों में डॉक्टरों की कमी को एक बड़ी समस्या बताया। उनका कहना था कि डॉक्टर उपलब्ध न होने से गायों को समय पर टीकाकरण नहीं मिल पाता, जिससे पशु बीमार पड़ते हैं और किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ता है। इसके अलावा दूध की गुणवत्ता मापने के लिए टेस्टिंग मशीनों का अभाव, सोसायटी स्तर पर फीड का न मिल पाना जैसे मुद्दे भी प्रमुखता से उठाए गए।

 

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सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलेगा संघ

दूध उत्पादक संघ ने खुलकर कहा कि अब वे सुक्खू सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने जा रहे हैं। प्रतिनिधियों ने एकजुट होकर फैसला लिया कि जब तक सरकार उनकी मांगें नहीं मानती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। संघ ने सरकार के सामने अपनी मांगें भी रखी हैं।

  • हर महीने की 10 तारीख से पहले सभी उत्पादकों को डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर के जरिए भुगतान किया जाए। 
  • सभी दूध सोसायटियों में गुणवत्ता जांच की टेस्टिंग मशीनें अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराई जाएं। 
  • सोसायटियों के माध्यम से नियमित फीड वितरण सुनिश्चित किया जाए।
  • पशु औषधालयों में खाली पदों पर डॉक्टरों की तत्काल नियुक्ति की जाए।

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आंदोलन की तैयारियां पूरी

बैठक में कृष्णा राणा, सुंदरी देवी, सुमन, शोभा राम, बुद्धि सिंह, शंकर मेहता, गंगा राम, सागर दास, पदम, दर्शन, राम पाल, दुर्गा सिंह सहित बड़ी संख्या में दुग्ध उत्पादक मौजूद रहे। सभी ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया कि अब समय आ गया है कि अपनी आवाज बुलंद की जाए। यदि सरकार ने तुरंत समाधान नहीं दिया, तो दूध उत्पादक बड़े पैमाने पर सड़क पर उतरेंगे।

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