#अव्यवस्था
September 11, 2025
हिमाचल: बंद सड़कों ने खराब कर दिया लाखों का सेब, नाले में बहाने को मजबूर बागवान, देखें वीडियो
अड्डू के शिला गांव में बागवानों ने नाले में फेंका सेब
शेयर करें:
रामपुर बुशहर (शिमला)। हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश और भूस्खलनों से उत्पन्न प्राकृतिक आपदा ने प्रदेश की आर्थिकी को गहरा झटका दिया है। खासकर सेब उत्पादन पर निर्भर हजारों बागवान इस समय अपने जीवन की सबसे बड़ी चुनौती से जूझ रहे हैं। राज्य की 5000 करोड़ रुपये की सेब आधारित आर्थिकी पर मानसून कहर बनकर टूटा है। जगह.जगह सड़कें बंद हैं, एचपीएमसी के खरीद केंद्र समय पर शुरू नहीं हो सके, और बागवानों को अपनी उपज खुले में फेंकने तक की नौबत आ गई है।
प्रदेश में अब तक चार नेशनल हाईवे समेत 600 से अधिक सड़कें भूस्खलन के चलते बंद हो चुकी हैं। इसका सीधा असर सेब परिवहन पर पड़ा है। मंडियों तक पहुंच न होने के कारण बागवानों के हजारों पेटी सेब या तो खेतों में पड़े सड़ रहे हैं या ट्रकों और गोदामों में खराब हो रहे हैं। कई बागवानों को तो अपना सेब खराब होने पर नाले में बहाना पड़ा है। जिसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
यह भी पढ़ें : अनशन पर बैठे कांग्रेस MLA का सीएम सुक्खू- विक्रमादित्य ने किया समर्थन, केंद्र से मांगा हस्तक्षेप
दरअसल ननखड़ी तहसील के ग्राम पंचायत अड्डू के शिला गांव में सेब बागवानों को अपना सेब नाले में फेंकना पड़ा है। यह सेब एचपीएमसी को दिए जाने वाला सी ग्रेड का था, एचपीएमसी के खरीद केंद्र ना खुलने से बागवानों को यह सेब नाले में बहाना पड़ा है। बताया जा रहा है कि एक तरफ आपदा ने सड़कों को बंद कर दिया है। वहीं दूसरी तरफ एचपीएमसी भी सेब नहीं खरीद रहा है। जिसके चलते ही क्षेत्र के बागवान देव राज, रमेश खूंड, रमेश ठाकुर व अमित ने अपने सेब को नाले मे फेंक दिए।
यह भी पढ़ें : संजौली मस्जिद विवाद: हिंदू संगठनों ने किया सुक्खू सरकार का 'अर्ध पिंडदान', दी ये चेतावनी
प्रधान ग्राम पंचायत अड्डू पिंकू खूंद ने बताया कि एचपीएमसी अपने खरीद केंद्र को जल्द खोले, ताकि सेब बागवानों की मेहनत को नाले में ना फेंकना पड़े। उन्होंने बताया कि एचपीएमसी यदि सेब खरीद नहीं करता है तो बागवानों को मजबूरन सड़कों पर उतरना पड़ेगा और सरकार के खिलाफ जाना पड़ेगा। स्थानीय बागवानों देवराज शिला, गुड्डू राम शिला, रमेश चंद जतराल और अमित जतराल ने बताया कि बर्फबारी और बारिश से सड़कों का जो हाल हुआ है, उसने उनकी वर्षों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। हमारा जीवन सेब पर टिका है, लेकिन अब इस फसल को बचा पाना मुश्किल हो गया है।
बागवान नाले में फेंकने को मजबूर हुए अपनी सेब की फसल... प्रदेश की आर्थिकी पर मंडराया संकट pic.twitter.com/6xb9fI964D
— Vishal Rana (@VishalR77182544) September 11, 2025
बागवानों का कहना है कि एक तरफ मौसम का प्रकोप है और दूसरी तरफ प्रशासनिक लापरवाही ने उनकी परेशानियों को और बढ़ा दिया है। खरीद केंद्रों के समय पर शुरू न होने से उन्हें उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। वहीं, कई स्थानों पर सरकार की तरफ से राहत सामग्री या सहायता तक नहीं पहुंच पाई है।
स्थानीय लोगों और बागवानों का कहना है कि अगर सरकार ने शीघ्रता से कदम नहीं उठाए, तो न केवल इस सीजन की फसल बर्बाद होगी, बल्कि आने वाले वर्षों में भी प्रदेश की सेब आर्थिकी को पुनः खड़ा करना मुश्किल हो जाएगा।