शिमला। हिमाचल के बागवानों ने विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को इस कारण से अपना समर्थन दिया कि सरकार बदलने से उनके हालत भी बदलेंगे। मगर अब स्थिति ये हो गई है कि बागवानों से ना कुछ निगलते बन रहा है और ना कुछ उगलते। ताजा खबर शिमला से है, जहां के बागवानों को उनकी फसल के बदले में हिमफेड की तरफ से पेमेंट की जगह सीमेंट ले जाने का विकल्प दिया जा रहा है।
आपको बता दें कि बागवानों का 46 करोड़ रुपया हिमफेड के पास बकाया पड़ा हुआ है। ऐसे में जब वो अपना पैसा लेने के लिए हिमफेड के केन्द्रों पर जा रहे हैं, तो उनसे कहा जा रहा है कि आप सीमेंट ले जाइए। जिसपर बागवान अपनी नाराजगी जाता रहे हैं।
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खाद-कीटनाशक दो, सीमेंट का क्या करेंगे
बागवानों का कहना है कि अगर सरकार उन्हें कैश में पेमेंट नहीं कर पा रही तो वह उन्हें कीटनाशक और खाद जैसी चीजें मुहैया करवा दे, जिसका इस्तेमाल वो अपनी खेतबाड़ी के काम में कर सकें। मगर उन्हें सीमेंट ले जाने के लिए कहा जा रहा है।
46 करोड़ बाकी थे- बजट 11 करोड़ का जारी हुआ
आपको बता दें कि हिमाचल प्रदेश के सरकारी उपक्रम हिमफेड की हालत दिन प्रतिदिन खस्ता होती जा रही है। फिलहाल हिमफेड पर बागवानों की 46 करोड़ की देनदारी है। जिसमें से सरकार ने अभी केवल 11 करोड़ ही जारी किए हैं। वहीं, अब बताया ये जा रहा है कि सरकार के पास बाकी का भुगतान करने के लिए पैसा नहीं बचा है।
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इस कारण से बागवानों को पेमेंट के बदले सीमेंट का विकल्प दिया जा रहा है। गौर रहे कि अभी तक प्रदेश सरकार सूबे के सैकड़ों बागवानों की पेमेंट नहीं कर पाई है। वहीं, इस नई स्कीम के बारे में सवाल किए जाने पर हिमफेड से जुड़े लोगों का कहना है कि हम अपने केन्द्रों पर कैल्शियम नाइट्रेट, न्यूट्री प्लस और जैविक खाद भी दी जा रही है। अगर बागवान सीमेंट नहीं लेना चाहते हैं, तो अन्य विकल्पों का भी चुनाव कर सकते हैं।