#अव्यवस्था
June 3, 2025
हिमाचल के इस स्कूल में शिक्षा व्यवस्था के बुरे हाल- 3 क्लासों के बच्चे संभाल रही सिर्फ एक टीचर
खराब सड़कें और जर्जर भवन बना बड़ी मुश्किल
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कुल्लू। देश डिजिटल इंडिया और एजुकेशन फॉर ऑल की बात करता है, मगर हिमाचल के दुर्गम गांवों में बच्चों की शिक्षा आज भी संघर्षों से भरी है। कुल्लू की तीर्थन घाटी का शरची गांव इसकी बानगी है। यहां मिडिल स्कूल में पढ़ाई तो होती है, मगर एक ही महिला अध्यापिका तीनों कक्षाओं की जिम्मेदारी उठा रही हैं। गांव के 25 बच्चे इसी स्कूल में पढ़ते हैं, लेकिन पढ़ाई का स्तर और सुविधा दोनों सवालों के घेरे में है।
एक छात्रा बताती है कि उनकी अध्यापिका को अलग-अलग समय पर तीनों कक्षाओं को पढ़ाना पड़ता है। टाइम टेबल ऐसा बनाया गया है कि कोई भी कक्षा छूटे नहीं, लेकिन इससे बच्चों की पढ़ाई में निरंतरता और गहराई का अभाव रहता है। ग्रामीण महिला किरण बताती हैं कि अगर कभी अध्यापिका बीमार हो जाएं, तो स्कूल की मल्टी टास्क वर्कर ही बच्चों को संभालती हैं। इससे शिक्षा की गुणवत्ता और भी प्रभावित होती है।
शरची गांव का मिडिल स्कूल सिर्फ स्टाफ की कमी से नहीं जूझ रहा, बल्कि भवन भी मरम्मत मांग रहा है। पुरानी और कमजोर इमारत में बच्चों को पढ़ाना जोखिम भरा है। ग्रामीणों की मांग है कि शिक्षा विभाग इस स्कूल की हालत पर संज्ञान ले और तुरंत कार्रवाई करे।
शरची के ही प्राइमरी स्कूल में सिर्फ दो शिक्षक हैं और कोई अन्य स्टाफ मौजूद नहीं है। ऐसे में इन दोनों शिक्षकों को पढ़ाई के अलावा बाकी सभी काम खुद ही करने पड़ते हैं। यहां तक की सफाई का काम भी।
सबसे बड़ी चिंता 8वीं कक्षा के बाद बच्चों की आगे की पढ़ाई की है। उन्हें बंजार या गुशैनी जाना पड़ता है, लेकिन खराब सड़कें और जंगल का रास्ता उनके लिए खतरे से खाली नहीं। कई बार 8 किलोमीटर का सफर पैदल तय करना पड़ता है। अभिभावकों के लिए ये चिंता का बड़ा कारण है।