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July 4, 2025

हिमाचल में एम्बुलेंस कर्मचारियों की दो टूक, लंबित वेतन नहीं मिला तो बंद कर देंगे सेवा

कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति चरमराई

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Himachal Ambulance Crisis

शिमला। हिमाचल प्रदेश में आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े 108 और 102 एम्बुलेंस कर्मचारियों का शोषण लगातार बढ़ता जा रहा है। इन कर्मचारियों को बीते दो महीनों से वेतन नहीं मिला है, जिससे उनके बीच सरकार और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के प्रति गहरा रोष है। कर्मचारियों का कहना है कि उन्होंने कई बार उच्च अधिकारियों से गुहार लगाई, लेकिन न तो कोई सुनवाई हुई और न ही किसी स्तर पर कार्रवाई की गई।

दो महीनों से सैलरी को तरसे

प्राप्त जानकारी के अनुसार, कर्मचारियों ने बताया कि सेवा प्रदाता कंपनी के प्रदेश प्रभारी ने खुद एमडी, एनएचएम के समक्ष 25 से 26 जून तक वेतन जारी करने की बात कही थी। बावजूद इसके, अब तक दो महीनों का वेतन नहीं मिला है।

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इससे उनकी आर्थिक स्थिति चरमरा गई है। कर्मचारियों का यह भी आरोप है कि उनके वेतन से अवैध रूप से ईपीएफ के दोनों हिस्से काटे जा रहे हैं, जबकि यह स्पष्ट रूप से नियमों के खिलाफ है। एमडी, एनएचएम ने इस पर रोक लगाने के आदेश दिए थे, लेकिन कंपनी अब भी मनमानी कर रही है।

सरकार करे सख्त हस्तक्षेप

स्थिति इतनी गंभीर है कि अगर कोई कर्मचारी इस बारे में दफ्तर में बात करता है, तो उसे सिर्फ यही कहा जाता है कि “एनएचएम से पैसे नहीं आए हैं।” कर्मचारी यूनियन ने मांग की है कि सरकार इस मामले में सख्त हस्तक्षेप करे और ऐसी कंपनी का टेंडर रद्द किया जाए, जो कर्मचारियों को समय पर वेतन देने में असमर्थ है। वहीं, एम्बुलेंसों की स्थिति भी चिंताजनक है।

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राज्यभर में दौड़ रहीं 108 और 102 सेवाओं की गाड़ियों में से करीब 70 फीसदी एम्बुलेंसों में ज़रूरी मेडिकल उपकरण या तो मौजूद नहीं हैं या फिर खराब पड़े हैं। ऑक्सीमीटर जैसे बेसिक उपकरणों तक की हालत खराब है, जिससे मरीजों को उचित ऑक्सीजन भी नहीं दी जा पाती।

मरीजों के स्वास्थ्य से खिलवाड़

इन खामियों के चलते मरीजों की जान खतरे में पड़ रही है। यूनियन इस मुद्दे पर अब कंपनी के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी कर रही है, और कई सामाजिक संगठन भी इसके समर्थन में आ रहे हैं। अब देखना यह है कि सरकार इस गंभीर मामले पर कितनी तेजी से और कितनी संवेदनशीलता के साथ कदम उठाती है।

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