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May 23, 2025

हिमाचल के वीर जवानों ने रचा इतिहास: भारत की सबसे ऊंची चोटी माउंट कंचनजंगा पर फहराया तिरंगा

भारत की सबसे ऊंची और दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी माउंट कंचनजंगा

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Himachal Jawan

चंबा/कुल्लू। हिमाचल प्रदेश के दो जांबाज सैनिकों ने एक बार फिर साबित कर दिया कि भारतीय सेना का हौसला हर ऊंचाई से बड़ा होता है। चंबा जिले के चुराह क्षेत्र के हवलदार केवल कृष्ण और कुल्लू जिले के पड़ेई गांव के हवलदार सुशील कुमार ने एशिया की सबसे कठिन पर्वत चोटियों में गिनी जाने वाली माउंट कंचनजंगा 8586 मीटर की सफल चढ़ाई की है। यह चढ़ाई हर शिखर तिरंगा मिशन के अंतर्गत की गई, जो कि सेना के प्रसिद्ध पर्वतारोही कर्नल रणवीर सिंह के नेतृत्व में आयोजित किया गया था।

दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी है माउंट कंचनजंगा

बता दें कि माउंट कंचनजंगा भारत की सबसे ऊंची और दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी है। जिसे हिमाचल के दो वीर जवानों ने फहत कर तिरंगा लहरा दिया है। यह अभियान न केवल पर्वतारोहण की एक उपलब्धि थी, बल्कि भारत की सैन्य शक्ति, साहस और राष्ट्रीय गर्व का प्रतीक भी बन गया।

 

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देश और सेना को समर्पित की विजय

दोनों जवानों ने अपनी इस विजय को देश, सेना और हिमाचल के नाम समर्पित करते हुए कहा कि यह चढ़ाई उनके लिए केवल एक व्यक्तिगत लक्ष्य नहीं थी, बल्कि यह देश की आन-बान-शान का प्रतीक बनकर उनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि बन गई।

 

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दोनों जवान कई पर्वतारोहण अभियानों में ले चुके हैं भाग

हवलदार केवल कृष्ण और सुशील कुमार दोनों ही पिछले एक दशक से अधिक समय से पर्वतारोहण के क्षेत्र में सक्रिय हैं। अब तक केवल कृष्ण ने 19 और सुशील कुमार ने 15 से अधिक बड़े पर्वत अभियानों में भाग लिया है। इन दोनों सैनिकों का अदम्य साहस, मानसिक दृढ़ता और कठोर प्रशिक्षण उन्हें ऐसे कठिन अभियानों के लिए सक्षम बनाता है।

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भारत की बेटी ने भी रचा कीर्तिमान

जहां एक ओर भारतीय सेना के जवान ऊंचाइयों को छू रहे हैं, वहीं देश की बेटियां भी पीछे नहीं हैं। हरियाणा की 19 वर्षीय कृतिका ने हाल ही में माउंट एवरेस्ट 8,848 मीटर की चढ़ाई कर एक नया इतिहास रच दिया। बेहद कम उम्र में इस चोटी को फतह करना कृतिका के अद्भुत साहस, समर्पण और कड़ी मेहनत का परिणाम है। उन्होंने अपने इस मिशन के ज़रिए यह संदेश दिया कि सपनों की ऊंचाई उम्र से नहीं, हौसले से तय होती है। कृतिका की यह उपलब्धि देश की युवतियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुकी है।

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