#उपलब्धि

July 6, 2025

हिमाचल : सिर से उठा पिता का साया, भाई ने उठाई जिम्मेदारी- लेक्चरर बन बहन ने बढ़ाया मान

इंडियन आर्मी में सेवाएं दे रहा है कविता का भाई

शेयर करें:

Kavita

सिरमौर। संघर्ष की राहों में जो दीप जलाया करती थी, हर आंसू को हौसलों से छुपाया करती थी। पिता का साया जब छूटा, भाई बना दीवार, तो एक बेटी ने तब अपने ख्वाबों को किया साकार। ये कहानी है हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले की बेटी कविता शर्मा की।

लेक्चरर बनी छोटे से गांव की बेटी

जिले के उपमंडल संगड़ाह के छोटे से गांव डाहर की रहने वाली कविता शर्मा ने अपनी मेहनत, लगन और संघर्ष के दम पर वो मुकाम हासिल किया है, जिसकी तमन्ना हर युवा करता है। कविता को हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग (HPPSC) द्वारा घोषित Lecturer (स्कूल न्यू) पॉलिटिकल साइंस के पद के लिए चयनित किया गया है।

यह भी पढ़ें : हिमाचल : आंगन में खेल रहा था 4 साल का मासूम, सांप ने डसा; निकले प्राण- परिजनों में मची चीख-पुकार

संघर्षों भरा रहा कविता का जीवन

यह खबर न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि पूरे इलाके के लिए गर्व का विषय बन गई है। कविता के जीवन की राह आसान नहीं रही। कुछ वर्ष पूर्व उनके पिता का असमय निधन हो गया था, जिससे परिवार पर गहरा आघात लगा। उस समय कविता की शिक्षा अधूरी थी।

भाई ने उठाई बहन की जिम्मेदारी

ऐसे कठिन समय में भारतीय सेना में कार्यरत उनके बड़े भाई पुनीत शर्मा ने बहन की पढ़ाई की ज़िम्मेदारी उठाई। उन्होंने न केवल परिवार को संभाला, बल्कि कविता की शिक्षा में कोई कमी नहीं आने दी।

यह भी पढ़ें : हिमाचल : रेड अलर्ट के बीच अब पर्यटन नगरी में फटा बादल, पानी का तेज बहाव देख सहमे लोग

अंतिम सूची में आया नाम

लेक्चरर (स्कूल-न्यू) के कुल 92 पदों के लिए परिणाम 3 फरवरी, 2025 को घोषित किए गए थे, लेकिन हाईकोर्ट में चल रही याचिका के चलते 10 पदों के परिणाम रुके हुए थे। अदालत में मामला सुलझने के बाद, आयोग ने 5 जुलाई, 2025 को शेष पदों के परिणाम घोषित किए, जिसमें कविता का चयन पॉलिटिकल साइंस विषय में हुआ। यह सूचना आते ही डाहर गांव में खुशी की लहर दौड़ गई।

परिजनों में खुशी की लहर

कविता की इस उपलब्धि पर परिवार, रिश्तेदार, शिक्षक और गांव के लोगों ने खुशी जाहिर की है। सोशल मीडिया पर बधाइयों का तांता लग गया है। क्षेत्र के शिक्षाविदों ने कहा कि कविता की सफलता युवाओं के लिए प्रेरणा है और यह साबित करती है कि संकल्प और कठिन परिश्रम से कोई भी मंजिल दूर नहीं होती।

यह भी पढ़ें : हिमाचल में दो जगह फटा बादल- नहीं थम रहा तबाही का दौर, कई घर-जमीनें मलबे में बही

संकल्प और समर्पण की मिसाल

कविता की सफलता की कहानी इस बात की मिसाल है कि परिस्थितियां चाहे जैसी भी हों, अगर इरादे मजबूत हों तो हर बाधा को पार किया जा सकता है। पिता को खोने के बाद जिस साहस और समर्पण के साथ उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी, वह अपने आप में प्रेरणादायक है।

नोट : ऐसी ही तेज़, सटीक और ज़मीनी खबरों से जुड़े रहने के लिए इस लिंक पर क्लिक कर हमारे फेसबुक पेज को फॉलो करें।

ट्रेंडिंग न्यूज़
LAUGH CLUB
संबंधित आलेख