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June 28, 2025

हिमाचल फ्लड : घर से 7KM दूर मिली मूर्ति की देह, पानी का सैलाब देख पिता को बुलाने गई थी- परिवार संग बही

पिता और बुआ का अभी भी नहीं मिला कोई सुराग- 3 दिन से तलाश रही टीमें

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Murti

कुल्लू। हिमाचल प्रदेश में मानसून ने दस्तक देते ही तबाही मचा दी है। भारी बारिश ने कई घरों को उजाड़ दिया है। कुल्लू जिले में सैंज के बिहाली गांव में रहने वाले परिवारों के लिए 25 जून, 2025 वो तारीख बन गई है- जब उन्होंने अपना सब खो दिया। इस आपदा ने गांव के छह परिवारों के आशियानों को नेस्तनाबूद कर दिया और एक ही परिवार के तीन लोग सैलाब में बह गए।

मासूम मूर्ति का मिला शव

सबसे दर्दनाक मंजर उस समय देखने को मिला जब 13 साल की मासूम मूर्ति देवी, जो अपने पिता की लाडली थी, उन्हें बचाने के लिए घर की ओर वापस गई और फिर दोनों हमेशा के लिए सैलाब में गुम हो गए। चार दिन तक चले सर्च ऑपरेशन के बाद अब जाकर 28 जून को NDRF की टीम ने मूर्ति का शव बरामद किया। टीम को मूर्ति का शव बकशाहल बेकर नामक स्थान पर मिला, जो घटना स्थल से करीब 7 किलोमीटर दूर है।

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हर तरफ पसरा है मातम

NDRF इंस्पेक्टर दीपक बिष्ट ने पुष्टि की कि यह शव मूर्ति का ही है। उन्होंने बताया कि इस स्थान पर टीम ने पहली बार सर्च किया और भारी मलबे व पेड़ों के नीचे दबा हुआ शव आखिर घटना के तीन दिन बाद बाहर निकाला गया। अब टीम मूर्ति के पिता 66 वर्षीय नंदलाल और बुआ यानिदासी (67) की तलाश में जुटी हुई है। सुबह-सुबह हुए बादल फटने की घटना ने इस शांत पहाड़ी गांव की जिंदगी ही बदल दी। जहां पहले चिड़ियों की चहचहाहट सुनाई देती थी, वहां अब मातम पसरा है।

आपदा से पहले क्या हुआ था?

मूर्ति के भाई भाग चंद ने बताया कि घटना से एक दिन पहले पूरा परिवार रिश्तेदार जमुना देवी के घर सियुंड शौर नाला के पास एक पारिवारिक कार्यक्रम में गया हुआ था। अगले दिन सुबह मूर्ति, उनके पिता, मां और छोटा भाई सत्यम (4 वर्ष) वापस घर लौट आए। दोपहर के वक्त जब नाले में जलस्तर बढ़ने की सूचना मिली तो गांव के वीर सिंह ने दौड़कर सबको घर खाली करने को कहा।

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पिता को लेने गई थी मूर्ति

मूर्ति सबसे पहले आंगन तक पहुंच गई थी, लेकिन जैसे ही उसने देखा कि पिता घर में हैं, वो पापा को लेने फिर से लौट गई। उसी क्षण, पानी का तेज़ बहाव घर को चपेट में ले गया और मूर्ति, नंदलाल व यानिदासी को साथ बहा ले गया।

नन्हा गवाह: 4 साल का सत्यम

सत्यम, जो उस वक्त आंगनबाड़ी से घर लौटा था, इस पूरे मंजर का चश्मदीद बना। वीर सिंह ने बताया कि उन्होंने सत्यम को समय रहते घर से बाहर निकाला, लेकिन छोटा बच्चा फिर से अपने पालतू कुत्ते और बैग को लेने घर की ओर गया। हालांकि वह बच गया, लेकिन उसकी आंखों के सामने पानी ने उसकी बहन, पिता और बुआ को निगल लिया। आज भी सत्यम गांववालों को बताता है, "पानी उन्हें बहा ले गया..."

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पिता की लाडली थी मूर्ति

मूर्ति आठवीं कक्षा की छात्रा थी और हमेशा अपने पिता की सेवा में लगी रहती थी। उसके भाई बताते हैं कि वो अपने पापा से बेहद जुड़ी हुई थी। उस दिन भी जब सब जान बचाकर बाहर निकलने लगे, मूर्ति अपने पापा को अकेले छोड़ने का मन नहीं बना सकी। यही अपनापन, वही ममता उसे सैलाब के मुंह में ले गया।

 

बिहाली गांव की इस त्रासदी ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। जहां एक ओर यह हादसा प्राकृतिक आपदा की बेरहम सच्चाई को दिखाता है, वहीं मूर्ति की कहानी प्यार, त्याग और साहस की मिसाल बनकर हर दिल को छू जाती है।

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