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August 23, 2024

CM सुक्खू को किसने दिया OPS बंद करने का सुझाव: क्या पहली गारंटी से भी पलट जाएंगे ?

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शिमला। हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर अब चारों तरफ से संकट के बादल मंडराने लगे हैं। आर्थिक संकट से जूझ रही सुक्खू सरकार के खजाने में फूटी कोड़ी नहीं है, लेकिन देनदारियों का पहाड़ दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। अपने लंबित महंगाई भत्ते और एरियर को लेकर सड़कांे पर उतरे कर्मचारी वर्ग की मांग को कैसे पूरा किया जाए, यह सुक्खू सरकार के लिए सबसे बड़ी परेशानी बनी हुई है।

किसने दिया ओपीएस बंद करने का सुझाव

इस परेशानी से निकलने के लिए सुक्खू सरकार की अफसरशाही ने सीएम को एक बड़ा सुझाव दिया है। अफसरशाही ने सीएम सुक्खू से पुरानी पेंशन स्कीम ओपीएस को बंद करने का सुझाव दिया है। सरकार के कुछ उच्च अधिकारियों ने सीएम सुक्खू को सलाह दी है कि अगर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना है तो यह कदम उठाना जरूरी है। इसके साथ ही इस अफसरशाही ने सीएम सुक्खू को चेतावनी भी दी है कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो शायद आने वाले समय में आर्थिक हालात इतने बिगड़ जाएं कि कर्मचारियों को वेतन देने तक के पैसे ना बचें।

ओपीएस से सरकारी खजाने पर कितना पड़ेगा असर

शीर्ष अधिकारियों का कहना है कि कर्मचारियों का लंबित डीए और एरियर देने के लिए पहले खजाने में राजस्व जुटाना होगा। अगर ऐसा नहीं किया गया तो आने वाले समय में ओपीएस और अन्य देनदारियां देने के बाद सरकारी खजना लगभग खाली हो जाएगा और उसके बाद कर्मचारियों को वेतन देने तक के पैसे नहीं बचेंगे। उस समय हालात और ज्यादा मुश्किल हो जाएंगे।

ओपीएस बंद करने पर क्या बोले सीएम सुक्खू

वहीं, अफसरशाही के इस सुझाव को फिलहाल सीएम सुक्खू ने मानने से तो इंकार कर दिया है, लेकिन उनके सामने नाराज कर्मचारियों को मनाने का कोई रास्ता नहीं है। सीएम सुक्खू ने अपने शीर्ष अफसरशाही को कोई अन्य विकल्प ढूंढने को कहा है। सीएम सुक्खू ने अधिकारियों को राजस्व बढ़ाने के अन्य उपायों की तलाश करने को कहा है।

कांग्रेस की पहली गारंटी थी ओपीएस

बता दें कि सत्ता में आने से पूर्व कांग्रेस ने अपनी पहली गारंटी में ओपीएस देने का वादा किया था। जिसके चलते ही कर्मचारी वर्ग ने कांग्रेस को वोट दिया और सुखविंदर सिंह सुक्खू हिमाचल कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री बने। हालांकि अपने वादे के अनुसार कांग्रेस और सीएम सुक्खू ने सत्ता में आने के बाद पहली ही कैबिनेट में ओपीएस को बहाल कर दिया।

ओपीएस बहाल करते ही केंद्र ने लगाई थी पाबंदियां

हिमाचल सरकार की मुश्किलें ओपीएस बहाल करने के बाद से बढ़ने लगीं। ओपीएस बहाल करते ही केंद्र सरकार ने कई तरह की पावंदियां लगा दी। कर्ज की लिमिट कम कर दी। इसके अलावा एनपीएस के तहत कर्मचारियों का 9000 करोड़ रुपए भी केंद्र के पास फंस गया।
इसी बीच लगातार दो सालों से प्रदेश में प्राकृतिक आपदा आ रही है, जिससे करोड़ों का नुकसान हेा रहा है। आपदा में हुए नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र से 10 हजार करोड़ रुपए की मांग की गई थी, वह भी नहीं मिलने से प्रदेश की सुक्खू सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

क्यों सड़कों पर उतरा है कर्मचारी वर्ग

बता दें कि स्वतंत्रता दिवस पर सीएम सुक्खू द्वारा कर्मचारियें और पेंशनरों को डीए और एरियर को लेकर कोई घोषणा नहीं की गई थी। जिसके चलते कर्मचारी वर्ग सीएम सुक्खू से खासा नाराज चल रहा है। अपने लंबित डीए और एरियर की मांग को लेकर अब यह कर्मचारी वर्ग सड़कों पर उतर आया है। बुधवार को सचिवालय के बाहर जमकर कर्मचारी वर्ग ने प्रदर्शन किया और सुक्खू सरकार से लंबित डीए और एरियर की मांग की।

कर्मचारियों ने क्या लगाए थे आरोप

कर्मचारी वर्ग का कहना था कि सरकार अपने विधायकों मंत्रियांे, सीपीएस को तो हर सुख सुविधा प्रदान कर रही है, लेकिन जब बात कर्मचारी वर्ग की आती है तो सीएम साहब खजाना खाली होने की बात कर पल्ला झाड़ लेते हैं। कर्मचारी एसोसिएशन ने सरकार को गुरुवार तक का अल्टिमेटम दिया था। लेकिन सरकार ने बीते रोज तक कर्मचारियों की मांगों पर कोई चर्चा नहीं की। ऐसे में कर्मचारी वर्ग ने आज एक बार फिर जनरल हाउस बुलाया है, जिसमें आगामी रणनीति बनाई जा रही है।

शीष अधिकारियों ने सीएम सुक्खू का चेताया

कर्मचारी वर्ग के इस गुस्से को देखते हुए ही सरकार के कुछ शीर्ष अधिकारियों ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय को ओपीएस से पीछे हटने की सलाह दी है। यह भी कहा है कि ऐसा नहीं किया गया तो आर्थिक प्रबंधन में बड़ी मुश्किल आ सकती है। राज्य सचिवालय में इस सुझाव पर मंथन चल रहा है।

संकट से उबरने को दिया सुझाव

केंद्र सरकार की ओर से कई योजनाओं के वित्तपोषण में सीलिंग लगाने और विकास योजनाओं के लिए बजट की कमी के बीच अफसरशाही ने भविष्य के संकट से उबरने के लिए सीएम सुक्खू को यह सुझाव दिया है। शीर्ष अधिकारी लगातार मुख्यमंत्री से इस विषय को उठा रहे हैं और प्रदेश की आर्थिक स्थिति को ठीक करने के लिए कुछ कड़े फैसले लेने की सलाह दे रहे हैं।
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