मंडी। आज के दौर में छोटे से छोटा चुनाव जीतने के लिए भी जमकर चुनाव प्रचार करना पड़ता है। अपने प्रतिद्वंदी को हराने के लिए जनता के बीच जाकर वोट मांगने पड़ते हैं। यहां तक कि चुनाव जीतने के लिए शराब और पैसों का भी इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन हिमाचल के मंडी जिला से एक अनोखा मामला सामने आया है। यहां एक महिला ने ना तो प्रचार किया और ना ही वह जनता के बीच वोट मांगने गई, फिर भी वह पंचायत का चुनाव जीत गई।
मंडी के थाटा पंचायत की उपप्रधान बनी महिला
यह मामला मंडी जिला के बालीचौकी उपमंडल के तहत आती ग्राम पंचायत थाटा से सामने आया है। यहां उपप्रधान के पद के लिए चुनाव हुए थे। जिसमें एक महिला विजय घोषित हुई। महिला के सामने तीन पुरुष प्रतिद्वंदी खड़े थे। महिला ने इन तीनों पुरुषों को चित कर चुनाव जीत लिया। इस चुनाव के लिए महिला ने ना तो प्रचार किया और ना ही वह जनता के बीच गई।
इन बिंदूंओं से जाने पूरा माजरा
- महिला के पति की कुछ महीने पहले हुई थी मौत
- महिला का पति दीपक कुमार पंचायत में था उपप्रधान
- पति की मौत के बाद खाली हुई थी उपप्रधान की सीट
- लोग दीपक की मौत के बाद उसकी पत्नी को ही बनाना चाहते थे उपप्रधान
- महिला कौशल्या देवी नहीं लड़ना चाहती थी चुनाव
- जनता के दबाव में आकर भर दिया नामांकन
- चुनाव प्रचार के लिए नहीं निकली घर से बाहर
- महिला के खिलाफ तीन पुरुष प्रतिद्वंदी लड़ रहे थे चुनाव
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पति के निधन के बाद खाली हुई थी सीट
बता दें कि थाटा पंचायत की नई उपप्रधान बनी कौशल्या देवी के पति दीपक कुमार का कुछ समय पहले ही आकस्मिक निधन हो गया था। दीपक कुमार पंचायत के उपप्रधान थे। उनकी मौत के बाद उपप्रधान का पद खाली हो गया था। ऐसे में जनता ने दीपक कुमार की पत्नी को ही उपप्रधान बनाने का मन बना लिया।
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लोगों ने घर आकर बताया चुनाव परिणाम
बताया जा रहा है कि कौशल्या देवी चुनाव नहीं लड़ना चाहती थी, लेकिन जनता के दबाव के चलते उसे नामांकन भरना पड़ा। कौशल्या ने नामांकन तो भर दिया, लेकिन चुनाव के लिए वह ना तो प्रचार करने गई और ना ही जनता से मिली। फिर भी लोगों ने उसे ही अपना उपप्रधान चुन लिया। बड़ी बात यह है कि चुनाव परिणाम के दौरान भी वह अपने रोजमर्रा के कामों में व्यस्त रही। चुनाव परिणाम निकलने के बाद लोग कौशल्या के घर पहुंचे और उसे बताया कि वह चुनाव जीत चुकी है।
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बिना प्रचार के चुनाव जीत गई कौशल्या
दरअसल दीपक कुमार ने उपप्रधान रहते कई काम करवाए थे। अपने अच्छे कामों को लेकर दीपक ने लोगों के दिलों में ऐसी अमिट छाप छोड़ी कि उसकी मौत के बाद लोग उसकी पत्नी को ही उसके स्थान पर देखना चाह रहे थे। जिसके चलते ही कौशल्या के ना चाहते हुए भी लोगों ने उसका नामांकन भरवाया और वह बिना प्रचार के ही चुनाव जीत गई।
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तीन पुरुष उम्मीदवारों को हराकर जीता चुनाव
इस चुनाव में कौशल्या के सामने तीन पुरुष उम्मीदवार मैदान में उतरे थे। इन तीनों पुरुष उम्मीदवारों ने चुनाव जीतने के लिए जमकर प्रचार भी किया और पानी की तरह पैसा भी बहाया। बावजूद इसके लोगों ने इन तीनों उम्मीदवारों को नकार दिया और कौशल्या देवी को अपना उपप्रधान चुना। लोगों ने ही उसे घर जाकर चुनाव जीतने की जानकारी दी। उसके बाद कौशल्या देवी मतदान केंद्र पहुंची और अपना प्रमाण पत्र हासिल किया।
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चुनाव जीतने के बाद क्या बोली कौशल्या देवी
बता दें कि कौशल्या देवी को बिना प्रचार से ही 357 मत मिले, जबकि प्रतिद्वंदी प्रत्याशी खेम राज को 193, कृष्ण को 158 और खेमराज को 17 मत पड़े। वहीं, नवनिर्वाचित उपप्रधान कौशल्या देवी ने कहा कि वह चुनाव नहीं लड़ना चाहती थी, लेकिन लोगों की भावनाओं को ठेस न पहुंचे, इसीलिए चुनाव लड़ा है। उन्होंने कहा कि वह अपने पति के बताए मार्ग पर ही जनता की सेवा करने का प्रयास करेगी।