शिमला। हिमाचल के मंडी जिला में स्थित शानन पावर प्रोजेक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल सरकार को बड़ी राहत प्रदान की है। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार के सिविल सूट को खारिज करते हुए पंजाब सरकार को नोटिस जारी कर 8 नवंबर तक जवाब देने के आदेश दिए हैं। इस मामले की आज सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। जिसमें हिमाचल प्रदेश की तरफ से एडवोकेट जनरल अनूप रत्न कोर्ट में पेश हुए।
सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की पंजाब की सिविल सूट
दरअसल पंजाब सरकार द्वारा दायर सिविल सूट को रद्द करने के लिए हिमाचल सरकार की ओर से रिजेक्शन एप्लिकेशन दायर की गई थी। जिसकी आज सुनवाई हुई। कोर्ट में हिमाचल सरकार की तरफ से बताया गया कि पंजाब सरकार द्वारा दायर किया गया सिविल सूट एक ट्रीटी और एग्रीमेंट पर आधारित है, और संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत ऐसे सूट सुप्रीम कोर्ट में नहीं चलाए जा सकते।
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सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार से मांगा जवाब
सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार के सिविल सूट को रद्द कर दिया और पंजाब सरकार को नोटिस जारी कर 8 नवंबर तक जवाब देने के निर्देश जारी किए। पंजाब सरकार द्वारा पावर प्रोजेक्ट को अपने पास रखने के लिए जो याचिका दायर की गई है। उस पर भारत सरकार को भी जवाब देने के आदेश दिए हैं।
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आजादी के पहले का है शानन प्रोजेक्ट
दरअसल मंडी जिला के जोगिंद्रनगर मे स्थित यह शानन प्रोजेक्ट आजादी से पहले का है। मौजूदा समय में इस पर पंजाब सरकार का अधिकार है। ब्रिटिश शासन के दौरान मंडी रियासत के राजा जोगेंद्र सेन ने शानन बिजलीघर के लिए जमीन उपलब्ध करवाई थी।
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उस दौरान जो समझौता हुआ था, उसके अनुसार लीज अवधि 99 साल रखी गई थी। यानी 99 साल पूरे होने पर ये बिजलीघर उस धरती (मंडी रियासत के तहत जमीन) की सरकार को मिलना था।
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मार्च 2024 में खत्म हो चुकी है लीज अवधी
वह यह लीज की अवधी मार्च 2024 में समाप्त हो चुकी है। इस प्रकार से लीज समाप्त होने के पश्चात प्रोजेक्ट पर हिमाचल प्रदेश का हक है। हिमाचल प्रदेश की जनता का हक है। लेकिन पंजाब सरकार इसे हिमाचल को सौंपने में आनाकानी कर रहा है।
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पंजाब सरकार ने उस प्रोजेक्ट को अपने पास रखने हेतु उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। लेकिन हिमाचल प्रदेश सरकार पुरजोर तरीके से न्यायालय में अपने हक को डिफेंड कर रही है। सुप्रीम कोर्ट में 8 नवंबर को अब रिजेक्शन एप्लीकेशन पर सुनवाई होगी।