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September 17, 2024

हिमाचल: वेतन-पेंशन तो देर सवेर मिलेंगे, DA-एरियर को भूल जाएं कर्मचारी; जानें आकंड़ें

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शिमला। हिमाचल पर आया आर्थिक संकट लगातार बढ रहा है। अब तो इस आर्थिक संकट की चर्चा चुनाव प्रचारों में भी होने लगी है। पीएम मोदी हरियाणा और जम्मू में हिमाचल की आर्थिक स्थिति का जिक्र कर चुके हैं। अब जिक्र हो भी क्यों नहीं। इतिहास में पहली बार हिमाचल प्रदेश में कर्मचारियों को वेतन पांच तारीख को मिला, जबकि पेंशनरांे को पेंशन 10 तारीख को मिली है।

रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट हो रही कम

अब सवाल यह उठता है कि अगर इस माह सुक्खू सरकार के पास वेतन और पेंशन देने के पैसे नहीं थे, तो फिर आने वाले महीनों और सालों में सरकार कर्मचारियों का वेतन और पेंशन कैसे और कहां से देगी। दरअसल केंद्र सरकार की तरफ से हर राज्य को प्रति वर्ष रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट के रूप में मिलते हैं। जो सरकार की काफी मदद करती है।

अगले साल मात्र 3257 करोड़ सालाना मिलेगा ग्रांट

यह रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट वित आयोग की सिफारिश पर केंद्र सरकार की तरफ से राज्य सरकारों को मिलती है। लेकिन हिमाचल को मिलने वाली यह ग्रांट भी हर साल कम हो रही है। आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो 2021-22 में रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट के रूप में 10249 करोड़ रुपए सालाना हिमाचल को मिलते थे। यह भी पढ़ें: हिमाचल : श्मशान घाट के पास पेड़ से लट*का मिला व्यक्ति, नहीं हो पाई पहचान जब अगले वित वर्ष कम होकर महज 3257 करोड़ रुपए रह जाएगी। यानी वर्ष 2021-22 में राज्य सरकार को हर महीने औसतन 854 करोड़ रुपए के करीब ग्रांट मिलती थी, वो अगले वित्तीय वर्ष में घटकर 271 करोड़ रुपए रह जाएगी।

ना लोन लिमिट ना रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट फिर कहां से मिलेगा वेतन पेंशन

वहीं दूसरी तरफ कर्मचारियों के वेतन के लिए सरकार को जहां हर महीने 1200 करोड़ चाहिए होते हैं। वहीं पेंशनरों की पेंशन के लिए 800 करोड़ की जरूरत होती है। अब जब केंद्र से रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट के रूप में हिमाचल को मात्र 271 करोड़ रुपए प्रतिमाह मिलेंगे। यह भी पढ़ें: हिमाचल : नशा बेचने आए थे दो युवक, लोगों ने की छितर परेड वहीं लोन लिमिट भी लगभग खत्म हो गई है, तो फिर कर्मचारियों का वेतन और पेंशन कहां से दिया जाएगा। सितंबर माह में पहली बार वेतन और पेंशन देरी से दिया गया। इसका कारण यह था कि सरकारी खजाने में एकमुश्त दो हजार करोड़ का ना होना था।

पहली बार देरी से मिला वेतन और पेंशन

केंद्र से रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट के 520 करोड़ मिलने और अन्य संसाधनों से आए पैसों से सरकार ने वेतन दिया। जबकि केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के 740 करोड़ रुपए आने और सरकार द्वारा 700 करोड़ रुपए कर्ज लेकर पेंशनरों को 10 तारीख को पेंशन दी। यह भी पढ़ें: आप के जिले में रहते हैं कितने प्रवासी- एक क्लिक में देखें पूरा डाटा कर्ज लेकर पेंशनरों का भुगतान किया गया। लेकिन सुक्खू सरकार के पास कर्ज की लिमिट भी खत्म हो गई है। यानी दिसंबर तक सरकार सिर्फ 1617 करोड़ का ही कर्ज ले सकती है। ऐसे में आने वाले समय में कर्मचारियों और पेंशनरों को समय पर भुगतान होने की भी उम्मीद नहीं है।

कर्ज लेकर भी नहीं दिया जा सकता डीए एरियर

वहीं दूसरी तरफ कर्मचारियों का अभी तक 12 फीसदी डीए भी लंबित है। जो लगभग 9 हजार करोड़ रुपए बनता है। अब सरकार की स्थिति ऐसी हो गई है कि कर्ज लेकर भी डीए या एरियर का भुगतान नहीं किया जा सकता। ऐसे में हम कह सकते हैं कि आने वाले समय में कर्मचारियों और पेंशनरों को देर सवेर वेतन और पेंशन तो मिल जाएगी, लेकिन डीए और एरियर मिलने की उम्मीद लगभग ना के बराबर ही है। यह भी पढ़ें: विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले में मिले सबूत, जानें किसने खोला राज

मार्च तक प्रदेश पर होगा 94 हजार करोड़ कर्ज

हिमाचल की सुक्खू सरकार ने 15 दिसंबर 2022 से लेकर 31 जुलाई 2024 तक कुल 21366 करोड़ रुपए का कर्ज लिया है। सरकार ने इस दौरान 5864 करोड़ रुपए कर्ज वापस भी किया है। यही नहीं सरकार ने जीपीएफ पर भी पहली जनवरी 2023 से 31 जुलाई 2024 तक की अवधि में 2810 करोड़ रुपए का लोन लिया है।

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अगले साल मार्च महीने में हिमाचल सरकार पर 94 हजार करोड़ रुपए से अधिक के कर्ज का अनुमान है। जो उससे अगले साल के कुछ ही महीनों में एक लाख करोड़ के आंकड़े को पार कर सकता है। अगले साल रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट भी मामूली रह जाएगी, ऐसे में सुक्खू सरकार की गाड़ी कर्ज के सहारे भी नहीं चल पाएगी।

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