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August 9, 2024

आपदा से सबक: सुक्खू सरकार ने घर बनाने के नियम किए सख्त, नहीं मानें तो...

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शिमला। हिमाचल प्रदेश में लगातार दूसरे साल मानूसन सीजन शुरू होते ही भयानक तबाही हुई है। भारी बारिश के बाद आने वाली बाढ़ अपने साथ कई घरों और लोगों को बहा ले गई है। जिससे कई लोगों की मौत हो गई है। लगातार दूसरे साल हुई इस तबाही को देखते हुए अब सुक्खू सरकार भी जाग गई है। सुक्खू सरकार ने इस तबाही को रोकने के लिए अब सख्त कदम उठाए हैं।

घर बनाने के नियमों में किया बदलाव

प्रदेश की कांग्रेस सरकार के मुखिया सुखविंदर सिंह सुक्खू ने घर बनाने के नियमों में बदलाव किया है और इन्हें सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए हैं। खास कर नदी नालों के पास घर निर्माण करने वाले लोगांे को इन नियमों का पालन करना होगा। उचित दूरी के बाद ही मकान बनाने की अनुमति होगी। नए नियमों के अनुसार हिमाचल में लोग अब नदी नालों से पांच से सात मीटर की दूरी पर ही घर बना सकेंगे। नियम ना मानने वालों पर सख्ती बरती जाएगी।

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नालों से पांच मीटर, नदियों से 7 मीटर की दूरी पर ही बनेंगे घर

सुक्खू सरकार के नए नियमों के अनुसार अब लोग नालों से पांच मीटर जगह छोड़कर और नदियों से सात मीटर जगह छोड़ने के बाद ही घरों का निर्माण कर सकेंगे। इन नियमों का सख्ती से पालन करना होगा। सरकार ने नए नियमों को राजपत्र में प्रकाशित कर दिया है।

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इससे पहले सरकार ने लोगों से आपत्तियां और सुझाव मांगे थे। अब सुक्खू सरकार ने इन नियमों को लागू कर दिया है। इन नियमों का सख्ती से पालन करवाने के भी निर्देश दिए हैं। इससे पहले हिमाचल में नालों से तीन मीटर की दूरी पर और नदियों से पांच मीटर की दूरी पर भवनों क निर्माण के नियम थे।

विक्रमादित्य सिंह भी उठा चुके हैं सवाल

बता दें कि कुछ दिन पहले कांग्रेस सरकार में लोक निर्माण विभाग के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने अपनी ही सरकार की कार्यप्रणाल पर सवाल उठाते हुए कहा था कि हिमाचल में साडा और टीसीपी के नियमों का सख्ती से पालन नहीं हुआ। जिसके चलते ही प्रदेश में मानसून सीजन के शुरू होते ही बादल फटने और बाढ़ में कई घर बह गए और उन घरों में रहने वाले लोग अभी भी लापता हैं। यह भी पढ़ें: टांडा मेडिकल कॉलेज की कैंटीन में शौचालय के पानी का इस्तेमाल, स्वास्थ्य से खिलवाड़

31 जुलाई को हिमाचल में आई थी भयंकर तबाही

बता दें कि 31 जुलाई की रात को प्रदेश के मंडी, कुल्लू और शिमला के समेज गांव में बादल फटने के बाद बाढ़ आ गई थी। जिसमें कई घर जमींदोज हो गए और 50 से अधिक लोग इस बाढ़ में बह गए। समेज गांव का तो नामोनिशान ही मिट गया है। इस बाढ़ में अभी तक 13 लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं। जबकि 35 से अधिक लोग अभी भी लापता हैं। जिनकी तलाश की जा रही है।

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