शिमला। आर्थिक संकट से जूझ रहे हिमाचल की सुक्खू सरकार आज अपने कर्मचारियों और पेंशनरों को वेतन और पेंशन नहीं दे पाई। आज पूरा दिन कर्मचारी और पेंशनर अपने फोन में वेतन और पेंशन का इंतजार करते रहे। लेकिन किसी के फोन में वेतन और पेंशन का मैसेज नहीं आया। शायद प्रदेश में ऐसा पहली बार हुआ है, जब कर्मचारियों और पेंशनरों को पहली तारीख को सैलरी और पेंशन नहीं मिली है।
इतिहास में आज पहली बार हुआ ऐसा
हिमाचल प्रदेश पर आए आर्थिक संकट का असर अब प्रदेश के दो लाख से अधिक कर्मचारियों के वेतन और 1.89 लाख पेंशनरों की पेंशन पर पड़ने लगा है। जिससे उनकी चिंताएं बढ़ने लगी हैं। बता दंे कि सिंतबर माह की शुरूआत रविवार से हुई थी। इसलिए कर्मचारियों और पेंशनरों को उम्मीद थी कि आज यानी दो तारीब को उनका वेतन और पेंशन मिल जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
रविवार को भी मिलती थी सैलरी पेंशन
हालांकि ऐसा नहीं है कि कर्मचारियों और पेंशनरों को रविवार को वेतन और पेंशन नहीं मिलती थी। एक तारीख को यदि रविवार आ रहा होता था तो सरकार शनिवार को ही ट्रैज़री में सैलरी-पेंशन डाल देती थी और रविवार को सैलरी.पेंशन क्रेडिट हो जाती थी। लेकिन इस बार आर्थिक संकट से जूझ रही सरकार कर्मचारियों और पेंशनरों को वेतन और पेंशन नहीं दे पाई है।
क्या बोली पेंशनर वेलफेयर एसोसिएशन
पेंशनर वेलफेयर एसोसिएशन शिमला शहरी इकाई के महासचिव सुभाष वर्मा ने बताया कि आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ कि जब उन्हें एक तारीख को सैलरी और पेंशन न मिली हो। उन्होंने बताया कि पेंशनर कल यानी रविवार को भी दिन भर पेंशन का इंतजार करते रहे। उन्होंने सरकार से आज पेंशन का जल्द भुगतान करने की मांग की थी, लेकिन आज सोमवार को भी वेतन और पेंशन नहंी मिली है।
जयराम ठाकुर ने भी घेरी सुक्खू सरकार
जयराम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री कभी कहते हैं कि आर्थिक संकट है और कभी कहते हैं कि प्रदेश में आर्थिक स्थिति खराब नहीं है। आज दो तारीख खत्म होने को है, लेकिन इसके बावजूद कर्मचारियों पेंशनर के खाते में सेलरी-पेंशन नहीं डाली गई है। उन्होंने कहा इतिहास में पहले कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि कर्मचारियों व पेंशनर को एक तारीख को सैलरी न मिली हो।
वेतन पेंशन के लिए चाहिए 2 हजार करोड़
- हिमाचल में करीब दो लाख सरकारी कर्मचारी हैं।
- प्रदेश में एक लाख 89 हजार के करीब पेंशनर हैं।
- कर्मचारियों के वेतन और पेंशनरों की पेंशन पर हर महीने खर्च होते हैं 2 हजार करोड़ रुपए
- सोमवार को कर्मचारियों और पेंशनरों के खाते में ट्रेजरी को डालनी है यह रकम
- ट्रेजरी के पास नहीं हैं इतने पैसे
- शनिवार और छुट्टी के दिन रविवार को सरकार से लेकर अधिकारी इन पैसों के इंतजाम में रहे व्यस्त।
दिसंबर तक खड़ी रहेगी वेतन पेंशन की समस्या
माना जा रहा है कि अगर सुक्खू सरकार ने किसी तरह से इस सितंबर महीने कर्मचारियों के वेतन और पेंशन का जुगाड़ कर भी लिया तो ऐसी स्थिति आने वाले तीन महीनों में फिर हर बार खड़ी होती रहेगी। इसका एक बड़ा कारण यह है कि सरकार की नई लोन लिमिट दिसंबर के बाद जनवरी से अप्रैल की अवधी के लिए मिलेगी, लेकिन फिलहाल दिसंबर तक सुक्खू सरकार पर वेतन और पेंशन की देनदारी भारी पड़ने वाली है।
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मंत्रियों सीपीएस के वेतन से कैसे भरेगा खजाना
हिमाचल में चल रहे मानसून सत्र के बीच सरकार के सामने यह एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। जिसे सुलझाने के लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपनी और अपने मंत्रियों, सीपीएस आदी के दो माह के वेतन और भत्तों को विलंबित करने का भी ऐलान किया था। लेकिन अब सवाल यह उठता है कि क्या मंत्रियांे, सीपीएस के दो माह के वेतन से क्या कर्मचारियों और पेंशनरों की पेंशन का बंदोबस्त हो जाएग। अगर ऐसा नहीं होता है तो कर्मचारियों और पेंशनरों को इस माह वेतन और पेंशन के लिए इंतजार करना पड़ सकता है।
ट्रेजरी की 750 करोड़ है ओवरड्राफ्ट लिमिट
हिमाचल सरकार के कोषागार की ओवरड्राफ्ट लिमिट 750 करोड़ के आसपास है। यानी इतना खर्चा बिना खाते में पैसे हुए किया जा सकता है, लेकिन अकेले वेतन का ही खर्च 1200 करोड़ है, इसलिए सिर्फ ओवरड्राफ्ट लिमिट से काम नहीं चलेगा। ऐसे में प्रदेश सरकार को यदि केंद्र से स्पेशल सेंट्रल अस्सिटेंस में कुछ मदद मिल जाए, तो कुछ राहत होगी।
पांच साल में वेतन और पेंशन पर खर्च होंगे 2.11 लाख करोड़
बता दंे कि हिमाचल में वित वर्ष 2026-27 से आने वाले पांच साल में सिर्फ और सिर्फ वेतन के लिए ही एक लाख, 21 हजारए 901 करोड़ रुपए की रकम चाहिए होगी। इसके अलावा पेंशनर्स की पेंशन पर आने वाले पांच साल में 90 हजार करोड़ रुपए की रकम खर्च होगी। कुल मिलाकर दो साल में 2.11 लाख करोड़ रुपए से अधिक धन की जरूरत होगी।
हिमाचल में पांच साल में सैलरी का खर्च
- हिमाचल में आने वाले पांच साल में वेतन का खर्च 1.21 लाख करोड़ से अधिक होगा।
- वित्त वर्ष 2026-27 में सरकारी कर्मियों के वेतन पर ही सालाना 20639 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
- वित्त वर्ष 2027-28 में ये खर्च 22502 करोड़ सालाना खर्च होंगे।
- वित्त वर्ष 2028-29 में 24145 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
- वर्ष 2029-30 में 26261 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
- वर्ष 2030-31 में सरकारी कर्मियों के वेतन का खर्च सालाना 28354 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
- पांच साल में ये सारा कुल मिलाकर 121901 करोड़ रुपए बनता है।
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