शिमला। हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो चुकी है। प्रदेश की कांग्रेस सरकार को अपने कर्मचारियों और पेंशनरों को वेतन और पेंशन देने के लिए भी कर्ज लेना पड़ रहा है। पिछले दो माह से सरकार कर्मचारियों और पेंशनरों को समय पर वेतन और पेंशन नहीं दे पाई है। लेकिन इस बार सीएम सुक्खू ने वेतन और पेंशन समय से भी पहले यानी 28 अक्तूबर को देने का ऐलान कर दिया है। यही नहीं 4 फीसदी डीए देने की भी घोषणा की है।
कहां से आया सुक्खू सरकार के पास पैसा
तो अब सवाल यह उठता है कि अचानक से सुक्खू सरकार के खजाने में इतना धन कहां से आ गया, जिससे समय से पहले ही वेतन और पेंशन के अलावा डीए देने का भी ऐलान कर दिया गया।
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वहीं अगले माह सुक्खू सरकार अपने कर्मचारियों और पेंशनरों को समय पर वेतन और पेंशन दे पाएगी, यह भी अपने आप में एक बड़ा सवाल है। तो सबसे पहले यह जानते हैं कि इस महीने सुक्खू सरकार को कहां कहां से धन आया है।
केंद्र ने भी दी कांग्रेस सरकार को राहत
दरअसल त्यौहारी सीजन के चलते केंद्र की मोदी सरकार ने देश के सभी 28 राज्यों को केंद्रीय करों में उनकी हिस्सेदारी के रूप में मिलने वाली रकम की एक किस्त एडवांस में दे दी है। जिसके चलते हिमाचल को केंद्रीय करों की हिस्सेदारी के रूप में 1479 करोड़ रुपए की राशि मिली है।
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हालांकि एक माह में हिमाचल की हिस्सेदारी 740 करोड़ बनती है, लेकिन मोदी सरकार ने एक किस्त एडवांस में दे दी है। जिससे हिमाचल को 1479 करोड़ मिले हैं।
सुक्खू सरकार कर्ज लेकर जुटा रही पैसे
इसी तरह से हिमाचल सरकार को केंद्र से हर माह रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट के रूप में 520 करोड़ रुपए भी मिलते हैं। वहीं सुक्खू सरकार ने 600 करोड़ रुपए का कर्ज भी लिया है।
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लोन व केंद्रीय करों में हिस्सेदारी को मिलाकर हिमाचल सरकार के खजाने में 2079 करोड़ रुपए का जुगाड़ हो गया है। वहीं हिमाचल सरकार के खुद के टैक्स रेवेन्यू व नॉन टैक्स रेवेन्यू के 1200 करोड़ रुपए जुड़ते हैं।
2079 करोड़ रुपए का कर लिया जुगाड़
इस सारी राशि को अगर मिला दें तो सुक्खू सरकार के खजाने में 2079 करोड़ रुपए आ जाएंगे। इन्हीं पैसों से सुक्खू सरकार इस बार समय से पहले वेतन और पेंशन के साथ डीए देने की घोषणा कर चुकी है। पर अब सवाल यह उठता है कि क्या सुक्खू सरकार अगले माह वेतन और पेंशन समय पर दे पाएगी, या फिर पिछले दो माह की तरह आगे भी पेंशनरों को इंतजार ही करना पड़ेगा।
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कहां कहां से आएगा पैसा
बता दें कि अगले यानी नवंबर माह में हिमाचल सरकार को केंद्रीय करों की हिस्सेदारी के रूप में मिलने वाली राशि नहीं मिलेगी। नवंबर माह में सरकार को केंद्र से सिर्फ रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट के 520 करोड़ रुपए ही मिलेंगे। इसके अलवा टैक्स व नॉन टैक्स रेवेन्यू के 1200 करोड़ रुपए व अन्य संसाधनों से भी कुछ रकम खजाने में आएगी।
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वहीं सुक्खू सरकार के पास लोन लेने का भी विकल्प है। हालांकि लोन लिमिट मात्र 1017 करोड़ रुपए ही बची है। कुल मिलाकर सरकार अगले माह भी कर्मचारियों और पेंशनरों को समय पर वेतन और पेंशन दे पाएगी।