शिमला। हिमाचल प्रदेश में पिछले दिनों कैबिनेट बैठक में पुलिस कर्मचारियों की बस यात्रा को लेकर एक बड़ा फैसला लिया गया था। सुक्खू सरकार ने फैसला लिया था कि एचआरटीसी की बसों में अब पुलिस कर्मचारियों का पूरा किराया लगेगा। जो पुलिस कर्मचारी ऑन ड्यूटी होंगे उन्हें बस यात्रा के पैसों की रिंबर्समेंट की जाएगी। सुक्खू सरकार का यह फैसला एचआरटीसी और पुलिस प्रबंधन के बीच खींचतान पैदा कर सकती है।
मंत्री हर्षवर्धन के फ्री वाले शब्द पर भड़के पुलिस कर्मी
दरअसल कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए उद्योग मंत्री हर्षवर्धन की तरफ से प्रयोग किए गए फ्री बस यात्रा के शब्द पर पुलिस कर्मचारियें ने नाराजगी जाहिर की है।
पुलिस कर्मचारियें का कहना है कि वह एचआरटीसी की बसों मंे फ्री यात्रा नहीं करते हैं, बल्कि उनके वेतन से इसके लिए 210 रुपए प्रतिमाह कटते हैं। अगर इस रकम को जोड़ा जाए तो यह पूरे साल में पांच करोड़ बनती है। ऐसे में मंत्री का बसों में फ्री यात्रा कहना गलत है और इससे पुलिस कर्मियों की छवि खराब हुई है।
25 फीसदी पुलिस कर्मी करते हैं सफर, 210 रुपए कटते हैं सभी के
वहीं पुलिस कर्मचारियों का कहना है कि मात्र 25 फीसदी पुलिस कर्मचारी ही एचआरटीसी की बसों में सफर करते हैं, जबकि 210 रुपए सभी पुलिस कर्मियों के कटते हैं। ऐसे में रिंबर्समेंट वाली प्रक्रिया से सरकार को नुकसान होगा। क्योंकि पुलिस कर्मचारी जब समन देने कांगड़ा से शिमला जाएगा तो उसका बस किराया एक हजार लगेगा। उसके पैसे रिंबर्स करने में भी सरकार को महंगा रहेगा।
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एचआरटीसी बोला, 30 करोड़ का होगा फायदा
वहीं दूसरी तरफ एचआरटीसी प्रबंधन का कहना है कि प्रदेश में 18700 पुलिस कर्मचारी हैं। अगर इनमें से आधे कर्मचारी भी एचआरटीसी बसों में सफर करते हैं तो भी सालाना किराया अनुमानित 35 करोड़ बन जाएगा। जबकि इस समय एचआरटीसी को मात्र 5 करोड़ मिल रहे हैं। जिससे एचआरटीसी को लगभग 30 करोड़ का घाटा उठाना पड़ रहा है। जबकि नई व्यवस्था में हर पुलिस कर्मी का किराया लगेगा और जो ऑन ड्यूटी सफर करेंगे उन्हें ही रिंबर्समेंट मिलेगा। जिससे एचआरटीसी को काफी फायदा होगा।
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सुक्खू सरकार के फैसले के बाद आमने सामने आए दो विभाग
बता दें कि क्योंकि हिमाचल में पुलिस फोर्स में कोई यूनियन नहीं बनाई जा सकती और न ही कोई प्रेस बयान जारी करने की अनुमति होती है, जिसके चलते पुलिस कर्मचारियों ने अपना पक्ष परोक्ष रूप से रखा है। खैर जो भी हो लेकिन सरकार के इस फैसले के बाद एचआरटीसी प्रबंधन और पुलिस विभाग आमने सामने आ गए हैं।