देहरा। हिमाचल में लंबे समय से हड़ताल पर बैठे पटवारी और कानूनगो ने आज स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बड़ा फैसला लिया है। पटवारी और काननूगो ने काम पर वापस लौटने का फैसला लिया है। राज्य पटवारी कानूनगो संघ ने यह फैसला आज मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ देहरा में हुई बैठक के बाद लिया। सीएम सुक्खू ने प्रतिनिधिमंडल को उनकी जायज मांगों का सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ समाधान करने का आश्वासन दिया।
कल से काम पर लौटेंगे पटवारी कानूनगो
सीएम सुक्खू के साथ आज हुई बैठक के बाद प्रदेश सरकार और पटवारी कानूनगो संघ के बीच पिछले एक माह से चल रही टकरार भी समाप्त हो गई है। अब पटवारी और कानूनगो कल यानी शुक्रवार से काम पर लौटेंगे और लोगों को पेश आ रही परेशानियों से निजात मिलेगी।
क्या बोले सीएम सुक्खू
राज्य पटवारी और कानूनगो संघ के साथ हुई बैठक में सीएम सुक्खू ने कहा कि पटवारी और कानूनगो को राज्य कैडर किया जाना सरकार का नीतिगत फैसला है। उन्होंने पटवारी और कानूनगो से सरकार की इस पहल में सहयोग करने को कहा है। सीएम सुक्खू ने कहा कि सरकार की योजनाओं को धरातल पर लागू करने में पटवारी और कानूनगो की महत्तवूर्ण भूमिका रहती है। सीएम सुक्खू ने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार एक मिशन मोड पर कार्य कर रही है और इसमें पटवारी और कानूनगो की बेहद अहम भूमिका है।
पटवारी कानूनगो संघ ने किया बड़ा ऐलान
सीएम सुक्खू के साथ बैठक के बाद पटवारी और कानूनगो संघ ने जहां कल से काम पर वापस लौटने का निर्णय लिया है। वहीं उन्होंने अपना एक दिन का वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में देने का भी ऐलान किया है। पटवारी और कानूनगो संघ के अध्यक्ष सतीश चौधरी ने कहा कि सरकार की सभी योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए पूर्ण निष्ठा और समर्पण भाव से कार्य सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सभी पटवारी और कानूनगो अपने एक दिन का वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में देंगे।
महासंघ ने क्यों जताई थी आपत्ति
पटवारी और कानूनगो को जिला से राज्य कैडर बनाए जाने के विरोध में उतरे महासंघ ने कहा था कि सरकार के इस फैसले से पटवारियों और कानूनगो को कोई लाभ नहीं होगा। इसके उल्ट उन्हें काम करने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।
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उनका कहना था कि प्रदेश भर में राजस्व रिकॉर्ड में एकरूपता नहीं है और पैमाना प्रणाली भी अलग अलग है। कई जिलों में भूमि की पैमाइश बीघा बिस्वांसी के आधार पर होती है, तो कई जिला में कनाल और मरले में होती है। ऐसे में पटवारी और कानूनगो को इस प्रणाली को समझने में ही अधिकतर समय लग जाया करेगा।
सीएम ने 12 जुलाई को लिया था राज्य कैडर का फैसला
बता दें कि प्रदेश सरकार के मुखिया सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 12 जुलाई की कैबिनेट बैठक में पटवारियों और कानूनगो को जिला से राज्य कैडर में बदलने का फैसला लिया था। जिस का पटवारियों और कानूनगो ने विरोध जताया था। सरकार के इस फैसले के खिलाफ पटवारी और कानूनगो महासंघ ने 15 जुलाई से ऑनलाइन कार्यों का बहिष्कार कर दिया था। जिससे लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। इन कर्मचारियों ने विरोध स्वरूप अधिकारियों के वाट्सएप ग्रुप भी छोड़ दिए थे।
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पहले की बैठक रही थी बेनतीजा
सुक्खू सरकार ने पटवारी और कानूनगो संघ की हड़ताल खत्म करने का इससे पहले भी प्रयास किया था। 29 जुलाई को महासंघ की बैठक राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में आयोजित की गई थी, लेकिन इस यह बैठक भी बेनतीजा रही थी। उस दौरान भी पटवारियों और कानूनगो ने जिला से राज्य कैडर को निरस्त करने की मांग की थी।
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सुक्खू सरकार ने डराने का भी किया था प्रयास
पटवारियों और कानूनगों की हड़ताल से उठी समस्या को देखते हुए कांग्रेस सरकार ने पटवारी और कानूनगो को डराने का भी प्रयास किया ताकि वह काम पर वापस लौट जाएं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सरकार ने सख्ती बरतते हुए पटवारी और कानूनगो को चेतावनी दी थी। यही नहीं पटवारी और कानूनगो को सस्पेंड करने के आदेश भी जारी किए थे।
बैठक में कौन कौन हुए शामिल
सीएम सुक्खू की अध्यक्षता में हुई आज की बैठक में सीएम सुक्खू के अलावा उप.मुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया, विधायक संजय रत्न, सुदर्शन बबलू व मलेंद्र राजन, पूर्व विधायक अजय महाजन, अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार चंद शर्मा और पटवारी और कानूनगो संघ के पदाधिकारी इस बैठक में मौजूद रहे।