शिमला। हिमाचल प्रदेश में कृषि एवं वानिकी विश्वविद्यालयों की जमीन पर पायलट आधार पर भांग की खेती की शुरुआत की जाएगी।बता दें कि यह निर्णय भांग की खेती को कानूनी वैधता देने के उद्देश्य से लिया गया है। मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने इस संबंध में राज्य कर एवं आबकारी विभाग, कृषि विभाग, बागबानी विभाग और पालमपुर व सोलन विश्वविद्यालयों के साथ बैठक की।
सोलन और पालमपुर में होगी भांग की खेती
बैठक में नौणी विश्वविद्यालय और पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय के प्रबंधन ने भांग की खेती से संबंधित अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। इन रिपोर्टों में भांग की खेती के संभावित फायदों और प्रयोगों पर चर्चा की गई। राज्य कर एवं आबकारी विभाग के आयुक्त युनूस को इन रिपोर्टों का अध्ययन करने और सुझाए गए उपायों को अपनाने का निर्देश दिया गया है।
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पायलट परियोजना का उद्देश्य
भांग की खेती को पायलट आधार पर शुरू करने का उद्देश्य यह समझना है कि भांग की औषधीय विशेषताओं का उपयोग किस प्रकार के उद्योगों में किया जा सकता है। इसके अलावा, यह भी देखा जाएगा कि किस स्थान के बीज का उपयोग किया जाना चाहिए।
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विधानसभा सत्र में भी चर्चा
बता दें कि राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया है, जिसने विधानसभा में अपनी रिपोर्ट पेश की है। हालांकि, भांग की खेती के औषधीय उपयोग को लेकर कई प्रयोग किए जाने हैं, जिसके बाद इसे हिमाचल प्रदेश में कानूनी रूप से मान्यता दी जाएगी। राज्य कर एवं आबकारी विभाग इस प्रक्रिया में नोडल डिपार्टमेंट के रूप में कार्य करेगा।
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भांग की औषधीय उपयोगिता पर ध्यान
इस कदम से न केवल भांग की औषधीय उपयोगिता को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि यह स्थानीय किसानों के लिए नई आर्थिक संभावनाएं भी पैदा कर सकता है। सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का उद्देश्य भांग की खेती को सुरक्षित और लाभकारी बनाना है, जिससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। वहीं, प्रदेश में सरकार द्वारा जल्द ही भांग नीति को लागू करना चाहती है।