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June 8, 2025
हिमाचल के स्कूलों में मौखिक शिक्षा बंद, छात्रों को ब्लैकबोर्ड पर लिख कर पढ़ाएंगे शिक्षक
शिक्षक ब्लैकबोर्ड पर लिखकर छात्रों को समझाएंगे पूरा सिलेबस
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सोलन। हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार जहां एक ओर राज्य में छात्रों की घटती संख्या और संसाधनों की कमी का हवाला देते हुए दर्जनों सरकारी स्कूलों को चरणबद्ध तरीके से बंद कर रही है, वहीं दूसरी ओर शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए नई शिक्षण नीति लागू करने जा रही है। शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेशों के अनुसार अब मौखिक शिक्षण पद्धति को छोड़कर लिखित व ब्लैकबोर्ड आधारित शिक्षण को अनिवार्य किया गया है।
प्रदेश सरकार ने यह कदम उन शिकायतों के मद्देनज़र उठाया है, जिनमें कहा गया था कि अधिकांश स्कूलों में शिक्षक केवल मौखिक रूप से पाठ्यक्रम निपटाकर छात्रों को पढ़ा रहे हैं। मौखिक रूप से पढ़ाने के कारण बच्चों की समझ, लेखन क्षमता और विषय में पकड़ कमजोर हो रही है। सुक्खू सरकार ने इसे शिक्षा व्यवस्था की गिरती गुणवत्ता के लिए एक गंभीर कारण माना है।
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अब नई प्रणाली के तहत शिक्षक एक पीरियड में उतना ही पाठ पढ़ा सकेंगे जितना वह ब्लैकबोर्ड पर लिखकर समझा सकते हैं। इसके अतिरिक्त शिक्षकों को हर दिन पढ़ाए गए विषय की ब्लैकबोर्ड फोटो लेकर डिप्टी डायरेक्टर को भेजनी होगी, ताकि विभाग निगरानी कर सके कि निर्देशों का पालन हो रहा है या नहीं।
राज्य सरकार का तर्क है कि जिन स्कूलों में छात्रों की संख्या शून्य है या 10 से कम है, उन्हें बंद और मर्ज कर बड़ी इकाइयों में समाहित किया जा रहा है, ताकि संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सके और पढ़ाई में गुणवत्ता लाई जा सके। लेकिन इस फैसले की आलोचना भी हो रही है, क्योंकि इससे दूरदराज के गांवों के बच्चों की पहुंच शिक्षा तक सीमित हो सकती है।
शिक्षा उप निदेशक गोपाल चौहान ने बताया कि सरकार का उद्देश्य केवल स्कूलों की संख्या बढ़ाना नहीं बल्कि उन स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण और प्रभावशाली शिक्षण व्यवस्था स्थापित करना है। अब छात्रों को केवल सुनना नहीं, बल्कि लिखकर और देखकर सीखने की आदत डाली जाएगी, जो परीक्षा और समझ दोनों में सहायक होगी।
शिक्षकों को चेतावनी दी गई है कि यदि कोई मौखिक पद्धति से ही पढ़ाई करता पाया गया या ब्लैकबोर्ड का उपयोग नहीं किया गया, तो संबंधित शिक्षक के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी और कारण बताओ नोटिस भी जारी होगा। इस आदेश को सभी स्कूलों में सख्ती से लागू करना अनिवार्य होगा।
सरकार को उम्मीद है कि यह पहल न केवल शिक्षण प्रणाली में सुधार लाएगी, बल्कि विद्यार्थियों की समझ, लेखन अभ्यास और परिणामों में भी सकारात्मक परिवर्तन लाएगी। हालांकिए स्कूल बंद करने की नीति और नई प्रणाली को लेकर शिक्षक संगठनों व अभिभावकों के बीच मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है।