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October 5, 2024

हिमाचल के शक्तिपीठों में चढ़ा लाखों का चढ़ावा, इस मंदिर में पहुंचे सबसे ज्यादा भक्त

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शिमला। देश भर में अश्विन नवरात्र मेले के की धूम है। हिमाचल प्रदेश के मंदिरों और शक्तिपीठों में भी श्रद्धा का जनसैलाब उमड़ा है। पहले दिन प्रदेश के चार प्रमुख शक्तिपीठों में मां के भक्तों ने लाखों का नकद चढ़ावा चढ़ाया।

पहले दिन 45.04 लाख का चढ़ावा

बता दें कि प्रदेश के चार प्रमुख शक्तिपीठों में मां के भक्तों ने 45.04 लाख रुपये का नकद चढ़ावा चढ़ा है। इस राशि में सबसे अधिक चढ़ावा चिंतपूर्णी मंदिर में 13.73 लाख रुपये प्राप्त हुआ। वहीं, अन्य में शक्तिपीठों में भी चढ़ाई की राशि लाखों के पार पहुंची है। यह भी पढ़ें : हिमाचल में रेत, बजरी हो सकती है महंगी- खनन पर लगेंगे 3 तरह के शुल्क

श्रद्धालुओं की भीड़

नवरात्र के दिनों में भक्तों की भारी भीड़ ने प्रदेश के शक्तिपीठों का रुख कर रहे हैं। पहले दिन चिंतपूर्णी, ज्वालाजी, नयनादेवी, बज्रेश्वरी देवी, और चामुंडा देवी मंदिरों में मिलाकर 56,300 श्रद्धालुओं ने माथा टेका। मंदिरों में मां के जयकारे गूंजते रहे और भक्तों की लंबी कतारें देखने को मिलीं।

चिंतपूर्णी में सबसे अधिक भीड़

बता दें कि चिंतपूर्णी मंदिर में पहले दिन 13 लाख 73 हजार 720 रुपये का चढ़ावा प्राप्त हुआ और दूसरे दिन 20 हजार श्रद्धालुओं ने मां के चरणों में शीष नवाया। मंदिर प्रशासन ने श्रद्धालुओं के लिए बेहतर व्यवस्थाएं सुनिश्चित की हैं, जिससे उनकी यात्रा सुगम हो सके। यह भी पढ़ें : हिमाचल : पहले दोनों दोस्तों ने साथ में पी शराब, फिर एक ने ली दूसरे की जा*न

अन्य शक्तिपीठों का चढ़ावा

  • नयनादेवी मंदिर: पहले नवरात्र पर 13 लाख 33 हजार 750 रुपये का चढ़ावा प्राप्त हुआ, जबकि 15 हजार श्रद्धालुओं ने मां के चरणों में शीष नवाया।
  • ज्वालाजी मंदिर: पहले नवरात्र पर 7 लाख 26 हजार 943 रुपये का चढ़ावा चढ़ाया गया और शुक्रवार को 10 हजार श्रद्धालुओं ने दर्शन किए।
  • बज्रेश्वरी देवी मंदिर: पहले नवरात्र पर 10 लाख 70 हजार 236 रुपये का चढ़ावा मिला, जबकि दूसरे दिन 5,500 भक्तों ने मां के चरणों में शीष नवाया।
  • चामुंडा देवी मंदिर: दूसरे दिन 5,800 श्रद्धालुओं ने मां के चरणों में शीष नवाया।
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विशेष सजावट और पूजा

नवरात्र के इस पर्व पर सभी मंदिरों को रंग-बिरंगे सुगंधित फूलों से सजाया गया है। श्रद्धालुओं की सुविधाओं के लिए मंदिरों के खुलने और बंद होने का समय भी निर्धारित किया गया है। वहीं, भक्त भी मां से मनोकामना मांगने के लिए अलग-अलग संकल्प लेकर मंदिरों में पहुंच रहे हैं।

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