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August 31, 2024

अलर्ट पर हिमाचल! मंकी पॉक्स के संदिग्धों की इन दो जगहों पर होगी सैंपल जांच

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शिमला। हिमाचल प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग मंकी पॉक्स को लेकर अलर्ट हो गया है। स्वास्थ्य महकमे ने सूबे के संदिग्ध मरीजों के सैपलों की जांच करने के लिए सभी अस्पतालों को निर्देश जारी कर दिए हैं। इन संदग्धि मरीजों के सैंपलों की जांच IGMC शिमला और NIV पुणे स्थित लैब में होगी।

मंकी पॉक्स को लेकर स्वास्थ्य महकमा अलर्ट

स्वास्थ्य महकमे ने अस्पतालों को मरीजों की ट्रेवल हिस्ट्री का पता लगाने को भी कहा है। साथ ही विदेश से आने वाले लोगों पर नजर रखने के लिए आशा वर्कर और हेल्थ केयर वर्कर को निर्देश दिए हैं। यह भी पढे़ं: घर से बिना बताए चली गई 17 वर्षीय लड़की, खोज में दर-दर भटक रही मां स्वास्थय विभाग ने आम जनता से आग्रह किया है कि अगर किसी व्यक्ति के शरीर में गिल्टियां है या फिर तेज बुखार, दर्द समेत अन्य लक्षण है तो उसे हल्के में ना लें। ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सक को दिखाएं।

मरीजों की पता की जाएगी ट्रेवल हिस्ट्री

कार्यकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी सोलन डॉ. अमित रंजन तलवाड़ ने बताया कि मंकी पॉक्स का कोई भी संदिग्ध मामला अभी अस्पतालों में नहीं है। बावजूद इसके विभाग पूरी तरह से अलर्ट है। हाल ही में मंकी पॉक्स वायरल को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने एडवाइजरी भी जारी की थी।
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क्या है मंकीपॉक्स?

मंकीपॉक्स एक दुर्लभ वायरल संक्रमण है-जो मंकीपॉक्स वायरस के कारण होता है। यह वायरस चेचक (स्मॉलपॉक्स) के वायरस के समान परिवार से संबंधित है, लेकिन यह आमतौर पर कम गंभीर होता है। अगर समय पर इसके लक्षणों की पहचान और उचित बचाव कर लिया जाए तो इसे नियंत्रित किया जा सकता है।

मंकीपॉक्स के लक्षण:

बुखार:
संक्रमण के 5-21 दिन बाद बुखार होना मंकीपॉक्स का पहला लक्षण हो सकता है। यह बुखार 1-3 दिनों तक बना रह सकता है।
सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द:
बुखार के साथ सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, और पीठ दर्द भी हो सकता है।
थकान और कमजोरी:
संक्रमित व्यक्ति को अत्यधिक थकान, कमजोरी, और ऊर्जा की कमी महसूस हो सकती है।
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सूजी हुई लसीका ग्रंथियां:
मंकीपॉक्स के अन्य लक्षणों में से एक है लसीका ग्रंथियों का सूजना, जो अक्सर गर्दन, कांख, और कमर के क्षेत्र में होता है।
त्वचा पर चकत्ते और दाने:
बुखार के 1-3 दिनों बाद चेहरे, हाथ, और शरीर के अन्य हिस्सों पर चकत्ते और दाने दिखाई देने लगते हैं। ये चकत्ते अक्सर चेचक के दानों की तरह होते हैं और द्रव से भरे में बदल सकते हैं। यह चकत्ते शुरुआत में चेहरे पर दिखते हैं, फिर शरीर के अन्य हिस्सों, विशेष रूप से हाथों और पैरों पर फैल सकते हैं।
दाने का चरण:
फफोले धीरे-धीरे पपड़ी में बदल जाते हैं और अंततः गिर जाते हैं। यह चरण आमतौर पर 2-4 सप्ताह तक रहता है। यह भी पढ़ें: हिमाचल में मिला पंजाब से उठाया बच्चा, पूर्व फौजी है आरोपी, पहले भी कर चुका है कांड

मंकीपॉक्स से बचाव के उपाय:

संक्रमित जानवरों से दूरी:
मंकीपॉक्स मुख्य रूप से संक्रमित जानवरों (जैसे, बंदर, गिलहरी, और कृंतक) के संपर्क में आने से फैलता है। संक्रमित जानवरों से दूरी बनाए रखना चाहिए और उन्हें छूने से बचना चाहिए।
संक्रमित व्यक्तियों से बचाव:
मंकीपॉक्स संक्रमित व्यक्ति के निकट संपर्क (जैसे, त्वचा से त्वचा का संपर्क, दूषित वस्त्रों, या श्वसन बूंदों के संपर्क में आने) से भी फैल सकता है। संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखना चाहिए और उनके उपयोग की वस्त्रों से बचना चाहिए।
स्वच्छता का ध्यान रखना:
हाथों को साबुन और पानी से बार-बार धोना चाहिए, खासकर संक्रमित व्यक्ति या जानवर के संपर्क में आने के बाद। मास्क और दस्ताने पहनना चाहिए यदि किसी संक्रमित व्यक्ति की देखभाल कर रहे हों। यह भी पढ़ें: हिमाचल का बेटा USA में संभालेगा बड़ी जिम्मेदारी, जानिए कैसे पाया मुकाम
टीकाकरण:
चेचक का टीका मंकीपॉक्स के खिलाफ कुछ हद तक सुरक्षा प्रदान करता है। यदि आपके क्षेत्र में मंकीपॉक्स का प्रकोप है, तो डॉक्टर से टीकाकरण के बारे में परामर्श करें।
संक्रमित व्यक्ति को आइसोलेट करना:
यदि किसी व्यक्ति में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखाई दें, तो उसे तुरंत आइसोलेट कर देना चाहिए और डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए ताकि संक्रमण दूसरों तक न फैले।

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