शिमला। पूर्व केंद्रीय मंत्री और हिमाचल के हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के सांसद अनुराग ठाकुर के अथक प्रयासों से हिमाचल को मिले चंडीगढ़ बद्दी रेललाइन का काम अब जल्द ही पूरा हो सकेगा। चंडीगढ़ बद्दी रेललाइन में हिमाचल की ओर से दी जाने वाली राशि को भी केंद्र सरकार ने बिना किसी शर्त के सहायता राशि के रूप् में जारी कर दिया है। जिससे अब यह प्रोजेक्ट जल्द ही पूरा हो सकेगा।
चंडीगढ़-बद्दी रेलवे लाइन को मिलेगी गति
बता दें कि चंडीगढ़.बद्दी रेलवे लाइन को 50-50 प्रतिशत की भागीदारी में बनाया जा रहा है। यानी इस प्रोजेक्ट पर आने वाले खर्च का आधा हिस्सा केंद्र सरकार और आधा हिस्सा हिमाचल सरकार को वहन करना था। लेकिन हिमाचल की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने से प्रदेश सरकार अपना हिस्सा नहीं दे पा रही थी। जिससे इस प्रोजेक्ट का काम लटकने की कगार पर पहुंच चुका था।
केंद्र ने बिना ब्याज के दिया लोन
केंद्र सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए हिमाचल की हिस्सेदारी की राशि को भी बिना ब्याज के लोन के रूप में देने का फैसला लिया है। केंद्र सरकार की ओर से हिमाचल को 82.17 करोड़ रुपए की विशेष मदद बिना ब्याज के लोन के रूप में मिली है। हिमाचल सरकार को यह लोन 50 साल बाद चुकाना होगा। इस लोन को प्रदेश के हिस्से के रूप् में परियोजना के लिए दिया गया है।
कितनी बनती है हिमाचल की हिस्सेदारी
इस प्रोजेक्ट के लिए हिमाचल सरकार की ओर से 185 करोड़ रुपए देय बताए जाते रहे हैं। जिसके लिए अब केंद्र सरकार ने हिमाचल को 82.17 करोड़ की विशेष आर्थिक सहायता राशि की पहली किस्त जारी कर दी है।
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क्या है केंद्र की चेतावनी
इस विशेष सहायता राशि के साथ साथ केंद्र सरकार ने प्रदेश की सुक्खू सरकार को एक चेतावनी भी दी है। इस बजट को 31 मार्च 2025 से पहले खर्च करना होगा। इसके साथ ही इस बजट को किसी अन्य परियोजना में खर्च किया तो केंद्र सरकार सकी केंद्रीय करों से कटौती करेगी। केंद्र सरकार ने पूंजीगत निवेश के लिए राज्यों को विशेष सहयोग योजना 2024-25 में यह आर्थिक सहायता जारी की है। इसे इस वित्तीय वर्ष के लिए पहली किस्त के रूप में जारी किया गया है।
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हिमाचल ने केंद्र से मांगी थी ब्याज रहित राशि
दरअसल हिमाचल सरकार ने केंद्र सरकार से चंडीगढ़.बद्दी रेल लाइन में इस्तेमाल होने वाले राज्य के हिस्से के लिए ब्याजरहित कर्ज के रूप में मदद मांगी थी। जिस पर केंद्रीय वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग के सहायक निदेशक जितेंद्र कुमार वर्मा ने राज्य सरकार के वित्त सचिव को एक मंजूरी पत्र लिखा है। इसे केंद्र से शहरी और ग्रामीण आधारभूत ढांचा निर्माण में राज्य के हिस्से के रूप में इस्तेमाल करने की मद के तहत जारी किया गया है।
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क्या हैं केंद्र सरकार की शर्तें
मंजूरी पत्र में यह स्पष्ट किया गया है कि इस बजट को कार्यान्यवन एजेंसी को 10 दिन के भीतर जारी करना होगा। अगर ऐसा नहीं किया गया तो हिमाचल सरकार को इसका केंद्र सरकार को बाजार में देय दर से ब्याज देना होगा। वहीं किन्हीं कारणों से यह बजट संबंधित परियोजना में खर्च नहीं हो पाता है तो इसे दूसरे प्रोजेक्ट के लिए बदलने को लेकर केंद्र सरकार से मंजूरी लेनी होगी। अगर राज्य सरकार इस फंड को तय परियोजना के बजाय किसी अन्य प्रोजेक्ट में खर्च करती है तो राज्य सरकार को मिलने वाले टैक्स से उतने ही बजट की कटौती कर दी जाएगी।