शिमला। हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्य में भी लोग भागदौड़ भरी जिंदगी जी रहे हैं। काम के चक्कर में लोगों को कई घटों तक बसों का सफर करना पड़ता है। ऐसे में बहुत बार ऐसा होता है लोग समय पर नहीं पहुंच पाते हैं। जिस कारण उनको नुकसान झेलना पड़ता है और मानिसक तनाव भी हो जाता है।
ज्यादातर लोग झेल रहे मानसिक तनाव
आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में ज्यादातर लोग मानिसक तनाव झेल रहे हैं। कोई काम को लेकर परेशान है तो कोई निजी जीवन में चल रही दिक्कतों से। जबकि, मानसिक तनाव सिर्फ दिमाग ही नहीं हमारे पूरे शरीर पर बुरा असर डालता है।
यह भी पढ़ें: हिमाचल : शटरिंग करते गिर गया सुरेश, साथियों ने पहुंचाया अस्पताल, नहीं बच पाया
डायबिटीज के लिए जिम्मेदार
मानसिक तनाव शरीर में कई बीमारियों को पैदा करता है। इसमें सबसे बड़ी बीमारी है डायबिटीज- इसके लिए मानसिक तनाव बहुत हद तक जिम्मेदार है।ट
क्या होता है शरीर पर असर?
मानसिक तनाव (मेंटल स्ट्रेस) का डायबिटीज (मधुमेह) से गहरा संबंध है। तनाव शरीर के विभिन्न हार्मोनल प्रतिक्रियाओं को प्रभावित करता है, खासकर कोर्टिसोल और एड्रेनालिन जैसे स्ट्रेस हार्मोन को बढ़ाता है। जब तनाव लंबे समय तक रहता है, तो ये हार्मोन शरीर में इंसुलिन की क्षमता को प्रभावित करते हैं, जिससे इंसुलिन प्रतिरोध हो सकता है। इंसुलिन प्रतिरोध के कारण रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ सकता है, जो धीरे-धीरे टाइप 2 डायबिटीज का कारण बन सकता है।
यह भी पढ़ें: हिमाचल : निजी बस संचालक की दादागिरी, बीच सड़क में अध्यापिकाओं से की बदतमीजी
तनाव और डायबिटीज का संबंध-
तनाव के समय कोर्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है, जो शरीर को अधिक शर्करा रिलीज करने के लिए प्रेरित करता है।
अस्वास्थ्यकर जीवनशैली-
तनाव
के कारण लोग अक्सर अस्वास्थ्यकर भोजन खाते हैं, शारीरिक गतिविधि कम कर देते हैं, और नींद की गुणवत्ता खराब हो जाती है, जो डायबिटीज़ के खतरे को बढ़ा सकता है।
तनाव के कारण अक्सर नींद में कमी होती है, जो इंसुलिन की कार्यक्षमता पर नकारात्मक असर डालती है।
इमोशनल ईटिंग-
तनाव के दौरान बहुत से लोग अत्यधिक कैलोरी और शर्करा युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं, जिससे वजन बढ़ता है और मधुमेह का खतरा बढ़ता है।
यह भी पढ़ें: हिमाचल की बेटी को केंद्र में मिली बड़ी जिम्मेदारी, पहले अटेंप्ट में पास किया UPSC एग्जाम
कैसा होता है स्ट्रेस?
स्ट्रेस (तनाव) के लक्षण शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से अलग-अलग तरीकों से प्रकट हो सकते हैं। ये लक्षण अक्सर व्यक्ति की जीवनशैली, कामकाजी वातावरण और व्यक्तिगत परिस्थितियों पर निर्भर करते हैं।
भावनात्मक लक्षण-
- चिड़चिड़ापन और गुस्सा
- उदासी या अवसाद
- बेचैनी और घबराहट
- मूड स्विंग्स (मूड का तेजी से बदलना)
- एकांतवास की इच्छा
शारीरिक लक्षण-
- सिरदर्द
- मांसपेशियों में दर्द या अकड़न (खासकर गर्दन और कंधों में)
- थकान या अत्यधिक कमजोरी
- नींद में समस्या (अनिद्रा या अधिक सोना)
- पेट की समस्याएँ, जैसे कि कब्ज, दस्त या गैस
- हृदय गति तेज होना या सीने में दर्द
- भूख में कमी या बढ़ोतरी
यह भी पढ़ें: हिमाचल : देवर करता था छेड़छाड़- घर पर बताया तो पति और सास ने बहू को पीटा
व्यवहारिक लक्षण-
- अत्यधिक भोजन करना या बिल्कुल न खाना
- शराब, धूम्रपान या ड्रग्स का सेवन बढ़ जाना
- सामाजिक गतिविधियों से दूरी बनाना
- जिम्मेदारियों को टालना
- ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
मानसिक लक्षण-
- ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
- नकारात्मक विचारों का बढ़ना
- निर्णय लेने में कठिनाई
- आत्म-संदेह या कम आत्म-विश्वास
अगर ये लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं तो यह आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं। तनाव से निपटने के लिए स्वस्थ आदतें जैसे नियमित व्यायाम, ध्यान, पर्याप्त नींद, और मानसिक स्वास्थ्य के लिए मदद लेना महत्वपूर्ण है।
यह भी पढ़ें: हिमाचल : दांत दर्द की दवाई खाना महिला को पड़ा महंगा, छोड़ गई दुनिया
मेंटल हेल्थ को बनाए रखना और तनाव से बचाव के लिए कुछ सरल लेकिन प्रभावी उपाय हैं। ये उपाय मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत करने और तनाव को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
नियमित शारीरिक व्यायाम करें-
- रोजाना कम से कम 30 मिनट का व्यायाम करने से मानसिक तनाव को कम किया जा सकता है। व्यायाम से एंडोर्फिन नामक हार्मोन निकलता है, जो मानसिक रूप से खुशी और सकारात्मकता का अनुभव कराता है।
- योग और ध्यान मानसिक शांति प्राप्त करने और तनाव को कम करने के लिए विशेष रूप से प्रभावी हैं।
संतुलित आहार लें-
- पोषक तत्वों से भरपूर आहार, जैसे हरी सब्जियाँ, फल, अनाज, और प्रोटीन युक्त भोजन, मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में सहायक होते हैं।
- शर्करा और कैफीन का सेवन कम करें, क्योंकि ये आपके मूड को प्रभावित कर सकते हैं।
यह भी पढ़ें: हिमाचल में कैब चालक ने दिल्ली के पत्रकारों के साथ किया गलत सलूक, FIR दर्ज
नींद पूरी करें-
- रोजाना 7-8 घंटे की गुणवत्तापूर्ण नींद लेना महत्वपूर्ण है। अच्छी नींद मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बनाए रखने और तनाव को कम करने में मदद करती है।
- सोने का एक नियमित समय निर्धारित करें और सोने से पहले स्क्रीन टाइम (फोन, टीवी, कंप्यूटर) से दूरी बनाएं।
समय का प्रबंधन करें-
- एक व्यवस्थित दिनचर्या बनाएँ और कार्यों को प्राथमिकता दें। इससे काम का बोझ कम महसूस होगा और तनाव भी घटेगा।
- समय-समय पर छोटे-छोटे ब्रेक लें ताकि आप अपने मस्तिष्क को आराम दे सकें।
यह भी पढ़ें: हिमाचल : तीसरी मंजिल से गिरा मिस्त्री- साथियों ने ठेकेदार पर जड़े आरोप
सोशल कनेक्शन बनाए रखें-
- परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताना और उनसे अपने मन की बातें साझा करना मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत करता है।
- अकेलेपन से बचने के लिए नए दोस्त बनाएं और सामाजिक गतिविधियों में हिस्सा लें।
मेडिटेशन और ध्यान करें-
- रोजाना कुछ समय ध्यान या मेडिटेशन के लिए निकालें। यह मस्तिष्क को शांत करता है और मानसिक तनाव को कम करता है।
- डीप ब्रीदिंग (गहरी सांसें लेना) तकनीक का अभ्यास करें, जिससे तात्कालिक तनाव कम होता है।
अपने आप पर दया करें-
- खुद पर बहुत अधिक दबाव डालने से बचें। अपनी कमजोरियों को स्वीकारें और अपने आप से प्यार करें।
- आत्म-संवेदना का अभ्यास करें, जिसमें आप अपनी गलतियों को माफ करना और खुद को बेहतर बनाने का प्रयास शामिल करते हैं।
यह भी पढ़ें: हिमाचल: होटल में लग रही थी लड़कियों के जिस्म की बोली; दे*ह व्यापार का पर्दाफाश
पेशेवर मदद लें
- अगर आपको लगातार चिंता, अवसाद, या अत्यधिक तनाव महसूस हो रहा है, तो किसी मनोवैज्ञानिक या काउंसलर से बात करें।
- थेरेपी और काउंसलिंग मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने में बहुत सहायक होती हैं।
हॉबी और मनोरंजन-
- अपनी पसंदीदा हॉबी, जैसे संगीत सुनना, किताबें पढ़ना, चित्रकारी करना, या बागवानी करने में समय बिताएं। यह मन को शांत करने का एक अच्छा तरीका है।
सकारात्मक सोच विकसित करें-
- नकारात्मक विचारों को पहचानकर उन्हें सकारात्मक सोच से बदलें। आशावादी दृष्टिकोण रखने से मानसिक स्वास्थ्य बेहतर बना रहता है।
- आभार का अभ्यास करें, जिससे आप अपने जीवन की सकारात्मक चीजों पर ध्यान केंद्रित कर सकें।
इन उपायों को अपनाकर मानसिक तनाव से बचाव किया जा सकता है और एक स्वस्थ, खुशहाल जीवन जीया जा सकता है।