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September 8, 2024

शिमला मस्जिद मामला: 11 को फिर बवाल ? इस वजह से बढ़ी पुलिस की चिंता

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शिमला। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के उपनगर संजौली मस्जिद विवाद मामला सुर्खियां बटोर रहा है। हिमाचल की ही नहीं बल्कि पूरे देश की मीडिया की नजरें इस पर टिकी हुई हैं। वहीं अब इस अवैध मस्जिद निर्माण के विवाद में नया मोड आ गया है। जिसने पुलिस के साथ साथ प्रशासन की चिंताओं को भी बढ़ा दिया है।

पुलिस प्रशासन की बढ़ गई चिंताएं

दरअसल बीते रोज शनिवार को कमिश्नर कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई। जिसमें कोई भी निष्कर्ष नहीं निकला और मामले की अगली सुनवाई पांच अक्तूबर को टाल दी गई। कमिश्नर कोर्ट के इस फैसले से हिंदू संगठन संतुष्ट नहीं हुआ हैं। अब हिंदू संगठनों ने बुधवार 11 सिंतबर को संजौली कूच करने का आह्वान किया है। जिसने पुलिस और प्रशासन की चिंताएं बढ़ा दी है। यह भी पढ़ें: कंगना की फिल्म में लगेंगे तीन कट, होंगे 10 बदलाव, रिलीज का रास्ता हुआ साफ

हिंदू जागरण मंच ने किया आह्वान

हिंदू जागरण मंत्र के सोशल मीडिया पेज पर एक आह्वान संदेश अपलोड किया है। इसके अलावा अब अन्य संगठनों ने भी हिंदू संघर्ष समिति के बैनर तले आंदोलन चलाने का फैसला लिया है। हिंदू जागरण मंच के पूर्व प्रांत महामंत्री कमल गौतम ने बताया कि जब कमिश्नर कोर्ट में मस्जिद कमेटी के पूर्व प्रधान ये कह चुके हैं कि बाद में ढाई मंजिल किसने बनाई, उन्हें मालूम नहीं तो फिर तारीख पर तारीख देने का क्या मतलब है। यह भी पढें: हिमाचल में भांग की खेती: समर्थन देने के बाद भी चिंतिंत हैं जयराम, जानें वजह

हिंदू संघर्ष समिति की चेतावनी ने बढ़ाई प्रशासन की चिंता

हिंदू संघर्ष समिति की तरफ से संजौली कूच के बाद प्रशासन के माथे पर भी चिंता की लकीरें दिखने लगी हैं। इसका एक बड़ा कारण संजौली उपनगर में बाजार संकरा होना और मस्जिद निर्माण के आसपास भी रास्तों का तंग होना है। यह भी पढ़ें: हिमाचल छोड़ने वाले हैं 100 इंडस्ट्रियलिस्ट, CM सुक्खू के कान खड़े, दिया बड़ा बयान ऐसे में अगर यहां लोगों की भारी भीड़ जमा हो जाती है तो उसे संभालना पुलिस के लिए काफी मुश्किल भरा हो सकता है। हालांकि पुलिस ने यहां पहले से ही सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा कर दिया है, लेकिन 11 सिंतबर को यहां जुटने वाली प्रदर्शनकारियों की भीड़ की आशंका ने पुलिस की नींद उड़ा दी है।

क्या है मामला

दरअसल शिमला के मल्याणा में 30 अगस्त को दो समुदायों के बीच झगड़ा हो गया था। इस झगड़े में विक्रम सिंह नाम के एक युवक के सिर पर गंभीर चोटें आई थी। आरोप था कि उस पर हमला करने वाले मुस्लिम समुदाय के युवक थे। जिन्होंने बाद में मस्जिद में आकर शरण ली। जिसके बाद सैंकड़ो लोगों ने मस्जिद के बाहर आकर प्रदर्शन किया। उसी दौरान खुलासा हुआ कि संजौली में बनी मस्जिद के ऊपर की चार मंजिलों का निर्माण अवैध तरीके से किया गया है। यह भी पढ़ें: हिमाचल के बड़े अस्पताल की लापरवाही, डिलवरी के बाद महिला को लगाए गलत टांके

मंत्री अनिरुद्ध ने सदन में रखी थी मस्जिद गिराने की मांग

हिंदू संगठनों ने इन अवैध मंजिलों को गिराने की मांग की और संजौली में जोरदार प्रदर्शन किया। इसी बीच यह मामला सदन में भी गूंजा। जिसमें ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने सदन में कागजात रखते हुए दावा किया कि सरकारी जमीन पर मस्जिद बनी हुई है। जमीन सरकार की है, 14 साल में मामले में 44 पेशियां हो गईं, लेकिन कोई निर्णय नहीं आया। मंत्री ने इस मस्जिद को गिराने की मांग भी सदन में कर डाली। जिसके बाद यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर गूंज उठा।

कमिश्नर कोर्ट में नहीं दिखा पाए कोई रिकॉर्ड

इसी बीच बीते रोज शनिवार को कमिश्नर कोर्ट में मस्जिद पर सुनवाई हुई। जिसमें लोकल रेजिडेंट्स की तरफ से वकील जगतपाल ठाकुर ने 20 पन्ने का आवेदन दाखिल कर उनका पक्ष सुने जाने की अपील की। कोर्ट में ना तो निगम के जेई निर्माण का रिकॉर्ड बता पाए और ना ही वक्फ बोर्ड के वकील मस्जिद निर्माण को लेकर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए। यह भी पढ़ें: अदाणी ने फिर खराब किया हिमाचल का सेब मार्केट: रेट ओपन होते ही लुढ़के दाम

5 अक्तूबर को होगी अगली सुनवाई

नगर निगम की कमिश्नर कोर्ट जिसे राजस्व अदालत कहा जाता है में निगम आयुक्त भूपेंद्र अत्रि ने मामले की अगली सुनवाई 5 अक्टूबर को तय की और उसमें जेई को मौके पर निर्माण की रिपोर्ट रखने के आदेश दिए। अगली सुनवाई में वक्फ बोर्ड की तरफ से भी निर्माण को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी। लेकिन इस सब से हिंदू संगठन संतुष्ट नहीं हो पाए।

कब से चल रहा अवैध मस्जिद निर्माण का मामला

अवैध मस्जिद निर्माण का यह मामला साल 2010 में सामने आया था। उस समय मस्जिद कमेटी ने सिर्फ पिल्लरों का ही निर्माण किया था। यह मामला 2012 तक चलता रहा और इस बीच मस्जिद निर्माण कमेटी ने वक्फ बोर्ड से निर्माण संबंधी एनओसी भी ले ली। हालांकि वक्फ बोर्ड ने एनओसी देते समय यह साफ किया था कि कमेटी अपने स्तर पर निर्माण कर सकती है, लेकिन इसके लिए उसे निगम से जरूरी अनुमतियां लेनी होंगी। मस्जिद कमेटी ने एनओसी निगम में जमा किया साथ ही मैप भी जमा किया, लेकिन उसमें बहुत सी कमियां थीं।

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