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December 20, 2024

हिमाचल: सदन में अनुबंध कर्मचारी बिल पारित, जानें कब से होगा लागू

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धर्मशाला। हिमाचल विधानसभा के शीतकालीन सत्र के आज तीसरा दिन हंगामेदार गुजर रहा है। सुबह से ही विपक्ष अक्रामक रवैया अपनाए हुए था। विपक्ष ने बेरोजगारी पर सदन के बाहर जोरदार प्रदर्शन भी किया। इस सब के बाद शुरू हुई सदन की कार्यवाही में सत्ता पक्ष ने हिमाचल प्रदेश सरकारी कर्मचारियों की भर्ती और सेवा की शर्तें विधेयक 2024 को को सदन में चर्चा के लिए रखा। विपक्ष के विरोध के बावजूद सत्ता पक्ष ने हिमाचल प्रदेश सरकारी कर्मचारियों की भर्ती और सेवा की शर्तें विधेयक 2024 को को ध्वनि मत से पारित कर दिया।

किस पर पड़ेगा इसका असर

इस विधेयक के पारित होने के बाद हिमाचल प्रदेश में अनुबंध कर्मचारियों को अब 2003 से वरिष्ठता और इंक्रीमेंट जैसे लाभ नहीं मिलेंगे। ना ही कर्मचारी इसके लिए क्लेम कर सकेंगे। प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने हिमाचल प्रदेश सरकारी कर्मचारियों की भर्ती और सेवा की शर्तें विधेयक 2024 को विधानसभा में पारित कर दिया है। यह भी पढ़ें : विधानसभा सत्र के तीसरे दिन की हंगामेदार शुरूआत- परिसर में धरने पर बैठे BJP विधायक

बीजेपी विधायकों ने किया विरोध

बता दें कि शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन सरकारी कर्मचारियों के अनुबंध सेवाकाल को पदोन्नति और वित्तीय लाभ देने के लिए रेगुलर के बराबर नहीं समझे जाने के विधेयक को पारित करने से पहले विधानसभा सदन में चर्चा के लिए रखा गया। जिस पर भाजपा विधायक त्रिलोक जमवाल, हंसराज, जेआर कटवाल और रणधीर शर्मा ने इस नए कानून का विरोध किया। यह भी पढ़ें : हिमाचल : बीच बाजार में शराबी शख्स ने किया बवाल, पुलिस वाले को भी नहीं छोड़ा

2003 के बाद अनुबंध पर लगे कर्मचारियों पर लागू होगा विधेयक

भाजपा विधायक त्रिलोक जम्वाल ने कहा कि कर्मचारियों के भर्ती नियमों पर संशोधन लेकर आए हैं। जो भी 12 दिसंबर 2003 के बाद अनुबंध पर लगे हैं, उनके बारे में यह विधेयक लाया जा रहा है। यह संशोधन पिछली तिथि से लागू हो रहा है। लेकिन उनकी पदोन्नति का क्या होगा। अनुबंध के कर्मचारियों को इससे परेशानी होगी। यह भी पढ़ें : हिमाचल की देविका ने NDA परीक्षा में किया टॉप, सेना में बनेंगी अफसर

सीएम सुक्खू ने दिया तर्क

जिस पर सीएम सुक्खू ने तर्क दिया कि यह विधेयक इसलिए पारित करना पड़ रहा है, क्योंकि कॉन्ट्रैक्ट पॉलिसी का कोई मतलब नहीं रह गया है। एक त्रुटि कानून में रह गई थी जिसमें रेगुलर/कॉन्ट्रैक्ट शब्द लिखे जाने के कारण कोर्ट में सरकार केस हार रही थी। सुक्खू सरकार के इस तर्क के बाद सदन में ध्वनि मत से सत्ता पक्ष की विधायकों ने बेंच थपथपाकर इस कानून को पारित कर दिया। यह भी पढ़ें : हिमाचल के डिपुओं में पिछले 2 महीने से नहीं मिल रहा सरसों तेल, उपभोक्ता परेशान

सरकार आर्थिक बोझ से बचने को लाई विधेयक

इस विधेयक को लाने के पीछे एक प्रमुख चिंता हिमाचल प्रदेश पर पड़ने वाला संभावित वित्तीय बोझ है। अनुबंध सेवाकाल का लाभ देने से कर्मचारियों को न केवल अतिरिक्त संसाधनों का भारी आवंटन करना पड़ेगा, बल्कि पिछले 21 वर्षों से अधिक समय से वरिष्ठता सूची में भी संशोधन करना होगा।

जिस दिन रेगुलर हुएए उसी दिन से मिलेगा लाभ

विधेयक पारित होने के बाद अब कर्मचारियों को जॉइनिंग की तारीख से सीनियरिटी और वित्तीय फायदे नहीं मिलेंगे। कर्मचारी जिस डेट को रेगुलर हुएए उसी दिन से उन्हें यह लाभ मिलेंगे। अनुबंध सेवाकाल को इसमें नहीं जोड़ा जाएगा। यह बदलाव विशेष रूप से उन कर्मचारियों के लिए हैंए जिनकी वरिष्ठता को लेकर पहले अदालत से आदेश जारी किए गए थे। इन आदेशों के चलते राज्य खजाने पर बोझ बढ़ने की संभावना थी।

पहले 8 साल तक एग्रीमेंट पर दी सेवाएं

बता दें कि शुरुआत में एग्रीमेंट पॉलिसी के तहत कमीशन पास कर्मचारियों को 8 साल बाद रेगुलर किया गया। इसके बाद यह अवधि घटाकर 6 सालए फिर 5 साल और अब 3 साल बाद कंट्रैक्ट कर्मियों को रेगुलर किया जाता है। इसे देखते हुए कुछ कर्मचारी कोर्ट पहुंचे। कोर्ट ने कुछ कर्मचारियों को बैकडेट से सीनियरिटी और वित्तीय फायदे देने के आदेश दिए।

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